शंकराचार्य बोले विकास कार्यों में हुए घोटाले की न खुले पोल इसलिए भाजपा ने बाबाओं को बनाया मंत्री

Update: 2018-04-05 11:40 GMT

मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने पांच संतों को दिया है राज्यमंत्री का दर्जा, शंकराचार्य बोले जिन लोगों को जनता जानती तक नहीं उन्हें स्वार्थवश दिया गया है मंत्रीपद

शिवराज ने विकास कार्यों में हुए गड़बड़झाले की पोल खोलने के डर से दिया नर्मदा घोटाला रथयात्रा की घोषणा करने वाले बाबाओं को बनाया मंत्री

जनज्वार। मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार द्वारा पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने को लेकर विपक्ष और आम जनता के बीच चर्चा—ए—आम है कि भाजपा अपने स्वार्थ के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।

यह बात इसलिए ज्यादा पुख्ता होती है क्योंकि भाजपा और संघ के करीबी समझे जाने वाले शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने भी इसे लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। शंकराचार्य ने कहा है कि बाबाओं को मंत्री बनाने का शिवराज का निर्णय बिल्कुल स्वाथूर्ण है। सरकार उन लोगों को राज्यमंत्री का दर्जा प्रदान करती है जो कि आम लोगों की आध्यात्मिक तौर पर सहायता करते हैं, लोगों के बीच उनकी ख्याति और पहुंच बढ़—चढ़कर होती है, मगर इन संतों का तो जनता नाम तक नहीं जानती।

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कंप्यूटर बाबा के साथ इंदौर के भय्यू महाराज, अमरकंटक (नर्मदा उद्गम) के हरिहरानंदजी, डिंडोरी के नर्मदानंदजी और पंडित योगेंद्र महंत को 3 मार्च को राज्य मंत्री का दर्जा दिया है। इस फैसले से बीजेपी सरकार और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर चौतरफा सवाल खड़े हो गए हैं।

भाजपा सरकार द्वारा बाबाओं को मंत्री पद दिए जाने के खिलाफ रामबहादुर शर्मा नाम की तरफ से मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में एक जनहित याचिका भी दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता ने राज्य मंत्री की संवैधानिकता को लेकर सवाल उठाते हुए बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा देने के फैसले पर सरकार से इस पर दोबारा विचार करने की मांग की है।

शिवराज द्वारा राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने से बाबाओं के व्यवहार में खासा परिवर्तन देखने को मिल रहा है। जिन पांचों संतों को मंत्रीपद दिया गया है, वे कुछ दिनों पहले तक शिवराज सिंह चौहान द्वारा पिछले साल नर्मदा किनारे लगाए गए पौधों और अन्य विकास कार्यों की ‘पोल’ खोलने के लिए ‘नर्मदा घोटाला रथयात्रा’ शुरू करने का ऐलान किया था। मगर मंत्री पद की हैसियत मिलने के बाद इन्होंने नर्मदा घोटाला रथयात्रा का कार्यक्रम टाल दिया है, उसकी जगह इन बाबाओं को जन जागरण की बात करते सुना जा सकता है।

इसीलिए शंकराचार्य ने कहा है कि शिवराज चौहान ने अपने स्वार्थों के लिए ऐसे लोगों को मंत्री पद दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक अगर वो ऐसा नहीं करते तो उनकी सरकार के खिलाफ नर्मदा घोटाला रथयात्रा निकाली जाती, जिससे घोटालों का पर्दाफाश हो जाता।

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