शिवराज ने मरकज़ पर कोरोना का ठीकरा फोड़ पल्ला झाड़ा, लेकिन आंकड़े कुछ और ही कह रहे हैं

Update: 2020-04-13 14:08 GMT

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इंदौर में मृतकों की उम्र 30 वर्ष से 84 वर्ष के बीच है। मृतकों की औसत आयु 51 है और उनमें से किसी का भी निज़ामुद्दीन मरकज़ से कोई संबंध नहीं है। इंदौर में, अब तक 235 लोगों ने वायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण किया है और इनमें से किसी का भी मार्कज से कोई संबंध नहीं है।

जनज्वार। प्रधानमंत्री मोदी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिये हुई मुख्यमंत्रियों की बैठक में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने राज्य में कोरोना संक्रमण के पॉजिटिव मामले बढ़ने के लिए निजामुद्दीन मर्कज़ को ज़िम्मेदार बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया लेकिन इंदौर के आंकड़े कुछ और ही कह रहे हैं। वहीँ मुख्यमंत्रियों की बैठक से एक दिन पहले भी शिवराज सिंह ने मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की तादाद बढ़ने के लिए तब्लीगी जमात के लोगों को ज़िम्मेदार ठहराया था।

एनआई न्यूज़ के मुताबिक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा, ‘जमात के कुछ लोगों ने संक्रमण छुपाया जिसके कारण प्रदेश के कई जिलों में ये संक्रमण फैल गया, इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। इसलिए FIR भी दर्ज की गई हैं।’

हालांकि मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण का हॉटस्पॉट बने इंदौर में अब तक मिले कोरोना संक्रमित के मरीजों में से किसी का मर्कज़ कनेक्शन नहीं निकला है। इंदौर में अब तक कोरोना संक्रमण के 235 मामले सामने आये हैं जबकि कोरोना संक्रमण से मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 30 लोगों की मौत भी इंदौर में ही हुई है। वहीँ एक सच्चाई यह भी सामने आई है कि मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण का औसत दो गुना है, जबकि संक्रमित लोगों के ठीक होने का औसत आधा और मरने का औसत तीन गुना है। मध्य प्रदेश कांग्रेस ने भी इसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नाकामी बताया है।

इंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक इंदौर में मृतकों की उम्र 30 वर्ष से 84 वर्ष के बीच है। मृतकों की औसत आयु 51 है और उनमें से किसी का भी निज़ामुद्दीन मरकज़ से कोई संबंध नहीं है। इंडिया टुडे ने अपनी रिपोर्ट में सरकार के लिए कोरोना संक्रमण (covid-19) के आंकड़ों का विश्लेषण करने में शामिल एक शीर्ष अधिकारी के हवाले से दावा किया कि इंदौर में, अब तक 235 लोगों ने वायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण किया है और इनमें से किसी का भी मार्कज से कोई संबंध नहीं है।

इंदौर में कोरोना संक्रमण से मरने वाले 30 लोगों में दो डॉक्टर शामिल हैं। इनमें से एक ने पिछले साल दिसंबर में सऊदी अरब की यात्रा की थी, दूसरे के पास हाल के दिनों में देश से बाहर यात्रा करने की कोई हिस्ट्री नहीं मिली। गौरतलब है कि निजामुद्दीन मर्कज़ की घटना के बाद एक मुहिम के तहत कोरोना संक्रमण को तब्लीगी जमात और निजामुद्दीन मर्कज़ से जोड़ने की कोशिश हुई। कई मौके ऐसे आये जब ज़िम्मेदार लोगों ने अपनी नाकामियों का ठीकरा निजामुद्दीन मर्कज़ और तब्लीगी जमात पर फोड़कर अपनी ज़िम्मेदारियों से पीछा छुड़ाते देखे गए।

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