बिहार में कोरोना वायरस के 6 मामले पॉजिटिव-एक की मौत, मरीजों की जांच रिपोर्ट में हो रही देरी

Update: 2020-03-26 11:02 GMT

बिहार में कोरोना वायरस के अबतक छह मामले पॉजिटिव आए, एक पहले राजेंद्र चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में ही थी जांच की सुविधा, अब नौ जगह है जांच की सुविधा...

पटना से आलोक कुमार की रिपोर्ट

जनज्वार। बिहार सरकार सतर्कता बरत रही है। एक कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे से और दूसरा आम लोगों के लिए आवश्यक सेवा बहाल करने को लेकर। अब बिहार के नौ मेडिकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पिटल में भी कौरोना की जांच की सुविधा बढ़ा दी गयी है। अबतक केवल एक ही जगह में जांच होती थी। अबतक पटना में एक शख्स की मौत कोरोना वायरस से हो गयी है। एक संदिग्ध मरीज की भी मौत हो गई है। उसका ब्लड सैम्पल जांच के बाद रिपोर्ट निगेटिव आई है। कुल 6 पाॅजिटिव मरीज हैं।

बतक राजेंद्र चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आरएमआरआई) में ही वैश्विक महामारी कोरोना की जांच की सुविधा थी। इसको लेकर बिहार सरकार की खिंचाई शुरू कर दी गयी। उस समय सरकार की जमकर आलोचना होने लगी जब बिहार में कोरोना से पहली मौत हुई थी। कोरोना की जांच प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए जाने लगे। अगर जांच की रिपोर्ट पहले आ गई होती तो मरीज पर विशेष ध्यान दिया जाता, उनकी जान भी बचाई जा सकती थी। जांच रिपोर्ट देरी से आने पर सरकार कटघरे में आ गयी।

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गौरतलब है कि बिहार में कोई अकेला मसला नहीं था। दरअसल एकलौता ‘आरएमआरआई‘ से हर जांच रिपोर्ट ही दो, तीन, चार दिन की देरी से आ रही है। पीएमसीएच में भी हमें करीब आधे दर्जन ऐसे संदिग्ध मरीज मिले थे जिनकी जांच रिपोर्ट तीन दिन बाद भी नहीं आयी थी। देरी के सवालों पर विभाग ने पहले यह कहा कि सैंपल कोलकाता भेजे जाते हैं, वहां से रिपोर्ट आती है, इसलिए वक्त लगता है। लेकिन अब विभाग कहता है कि कोरोना की जांच बिहार में ही आरएमआरआई में होती है। केवल कुछ विशेष केस में ही सैंपल पुणे या कोलकाता भेजे जाते हैं। ऐसे में सवाल है कि अगर कोरोना की जांच बिहार में ही हो रही है, तो फिर मरने वाले की रिपोर्ट तीन दिन बाद क्यों आई?

Full View बाकी के टेस्ट रिजल्ट पेंडिंग क्यों हैं? आरएमआरआई के निदेशक डॉक्टर प्रदीप दास इसके जवाब में कहते हैं, 'हमारे पास जो सैंपल आ रहे हैं, उन्हीं की जांच हो रही है। अभी तक जितने सैंपल आए हैं हमने उनकी जांच करके दे दी है। एक सैंपल की जांच में अधिक से अधिक पांच-छह घंटे का वक़्त लगता है।' तो सवाल उठता है कि मंथगति से रिपोर्ट हाॅस्पिटल में विलम्ब से क्यों मिल रहा है! इस पर ‘स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार कहते हैं, 'अलग-अलग जगहों से सैंपल आने में वक़्त लगता है। दूर-दराज के जिलों से भी सैंपल आते हैं।उन्हें एकत्र करने में वक़्त लग रहा है। हम इस प्रक्रिया को और सहज बना रहे हैं।'

21 दिन के लॉकडाउन में दूसरे दिन सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने निर्णय लिया है कि आज से इंदिरा गांधी आर्युविज्ञान संस्थान में जांच की सुविधा शुरू कर दी जाएगी। इसके अलावे बिहार के पटना मेडिकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पिटल, नालंदा मेडिकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पिटल, दरभंगा मेडिकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पिटल, अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पिटल, जवाहर लाल नेहरू मेडिकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पिटल, लाॅड बुद्धा कोशी मेडिकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पिटल और कटिहार मेडिकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पिटल यानी नौ मेडिकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पिटल में भी जांच की जाएगी। यहां से 12 घंटे में जांच रिपोर्ट उपलब्ध करवायी जाएगी।

ल्लेखनीय है कि बिहार सरकार अभी तक सरकारी मशीनरी पर ही भरोसा कर रही है। प्राइवेट एवं एनजीओ से सहयोग नहीं ले रही है। जन संगठन एकता परिषद के उत्तर बिहार के संयोजक विजय गौरेया ने सरकार से आग्रह के क्रम में कहा है कि सभी संदिग्ध लोगों की जांच जल्द से जल्द हो। इसके आलोक में जिला,अनुमंडल व प्रखंड स्तरीय लाबोरेट्री सेटअप सेटअप तैयार हो। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मुख्यमंत्री नहीं चाहते है कि निजी व स्वयंसेवी संस्थाओं को शामिल कर जग हंसाई करें। कारण की 15 साल से सत्तासीन है।

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स बीच अगमकुआं स्थित नालंदा मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल को कोरोना हाॅस्पिटल में तब्दील कर दिया गया है। यहां पर जांचोपरांत दो पॉजिटिव मिले हैं। मुंगेर निवासी जिस युवक की मौत पटना में कोरोना वायरस की चपेट में आने से हो गयी थी। उसके संपर्क में आने वाले परिजन एवं अन्य नजदीकी लोगों की जांच कराने की तैयारी शुरू कर दी गयी। इस जांच के दरम्यान एक महिला और दूसरा आदमी चपेट में आ गये । इस तरह बिहार में पाॅजिटिव संक्रमित व्यक्तियों की संख्या 6 हो गयी।

हालांकि स्वास्थ्य विभाग की जांच में मृत युवक के 16 नजदीकी को प्रथम दृष्टया में कोरोना वायरस बीमारी (कोविड 19) की जद में होना माना जा रहा था। स्वास्थ्य विभाग के आकड़ा के अनुसार, यह आंकड़ा 55 तक पहुंचने की आशंका थी।जो सटिक साबित हुआ। प्रधान सचिव स्वास्थ्य के निर्देश के बाद मुंगेर के सिविल सर्जन पुरुषोत्तम की ओर से ऐसे लोगों की शिनाख्त शुरू की गयी है जो कोरोना वायरस से पीड़ित मृत युवक के संपर्क में रहे हों। ऐसे लोगों की संख्या अबतक 55 तक पहुंच चुकी है। इसमें 12 लोग मृत युवक के ही परिवार के हैं।

सके अलावा मृतक के उन करीबियों को भी जांच के दायरे में लाया जा रहा है जो हाल के दिनों में उसके साथ रहे हैं। सिविल सर्जन की मानें तो उस युवक के संपर्क में आये लोगों का आंकड़ा 55 तक पहुंच गया । इन सभी कोरोना वायरस का संदिग्ध मान लिया गया। इनका मंगलवार को जांच के लिए सैंपल लिया गया। बुधवार को जांच रिपोर्ट आने पर 2 संक्रमित मिले। 53 निगेटिव मिले। सभी लोगों को होम क्वारंटाइन में रखा गया था।

Full View कोरोना पॉजिटिव पाया गया है तो वहीं एक संदिग्ध मरीज की मौत हो गई है। वह संदिग्ध मरीज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नालंदा जिले के पावापुरी के रहने वाला है। उसे पावापुरी स्थित वर्धमान मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया था। इस संदिग्ध मरीज की रात 11.30 बजे मौत हो गई। मरीज की मौत के बाद उसके ब्लड के सैंपल को पटना जांच को भेजा गया।

डॉ. पुरुषोत्तम ने बताया है कि 50 वर्षीय मरीज पहले से इम्पाइमा (फेफड़े में पस होना) से ग्रसित था। कोरोना के संक्रमण की जांच के लिए उसका ब्लड सैंपल पटना भेजा गया था। रिपोर्ट निगेटिव आई थी। बिहार में कोरोना पाॅजिटिव मरीजों का आंकड़ा अब 6 तक पहुंच गया है।

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दीघा में 8 लोगों का सैंपल लिया गया

दीघा की एक पाॅजिटिव महिला का इलाज एम्स में चल रहा है। टीम इस महिला के अपार्टमेंट में गई। टीम ने वहां से 8 लोगों का सैंपल लिया है, जो इस महिला के संपर्क में आए थे। पहले इस महिला के अपार्टमेंट के पास करीब 50 घरों का सर्वे हुआ। करीब 170 लोगों से हालचाल लिया गया। किसी में कोरोना वायरस के लक्षण नहीं पाए गए। महिला के पति,दो बेटों ने अपने फ्लैट में अपने को होम क्वारंटाइन कर लिया है। उधर महिला की हालत धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। एक-दो दिनों में फिर उनका सैंपल जांच के लिए भेजा जाएगा।

मृतक के आश्रित को चार लाख देगी बिहार सरकार

बिहार सरकार ने कोरोना फंड में 100 करोड़ रू. मुख्यमंत्री सहायता कोष से दिया है। वहीं कोरोना वायरस से मौत पर बिहार के श्रम विभाग ने एक सर्कुलर जारी किया है, जिसके तहत राज्य में कोरोना वायरस से मौत होने पर मृतक के आश्रित को चार लाख रुपए का अनुदान मिलेगा। इसके साथ ही परिवार को स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग भी दी जाएगी।

ता दें कि इससे पहले सरकार ने ये भी घोषणा की थी कि संक्रमित लोगों के इलाज का पूरा खर्च मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से दिया जाएगा। अगर किसी की मौत हो जाती है तो परिजनों को चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। यह मदद स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड के माध्यम से उपलब्ध होगी। पहले एसडीआरएफ से एक लाख रूपये मुआवजा दिया जाता था।

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