सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा राम मंदिर की विवादित जमीन कभी नहीं रही हिंदुओं की

Update: 2019-09-12 10:18 GMT

सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने रखी दलील कि 22 दिसंबर 1949 को मस्जिद के गुंबद के नीचे मूर्ति रख दी गई थी। ये गलत हरकत थी, लेकिन इसके बाद मजिस्ट्रेट ने यथास्थिति बहाल रखने का ऑर्डर पास कर दिया, अब इसे नहीं रखा जा सकता जारी...

जेपी सिंह की रिपोर्ट

योध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले की सुनवाई के 21वें दिन सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि 22 दिसंबर 1949 को जो गलती हुई उसे जारी नहीं रखा जा सकता। क्या हिंदू पक्षकार गलती को लगातार जारी रखने के आधार पर अपने मालिकाना हक का दावा कर सकते हैं? वह ऐसा दावा नहीं कर सकते। संविधान पीठ पीठ को दो पहलुओं को देखना है। पहला विवादित स्थल पर मालिकाना हक किसका है और दूसरा क्या गलत परंपरा को जारी रखा जा सकता है।

राजीव धवन ने कहा कि 22 दिसंबर 1949 को मस्जिद के गुंबद के नीचे मूर्ति रख दी गई थी। ये गलत हरकत की गई जो अवैध कार्रवाई है, लेकिन इसके बाद मजिस्ट्रेट ने यथास्थिति बहाल रखने का ऑर्डर पास कर दिया। यानी गलती को लगातार जारी रखा गया। क्या ये किसी को अपना अधिकार बताने का आधार हो सकता है।

वाल ये है कि वह विवादित जमीन किसकी है। क्या वे (रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा) इस बात का दलील दे सकते हैं कि ये उनकी है। नहीं ये उनकी नहीं है। ये कभी उनकी नहीं रही। मैं कहना चाहता हूं कि ये कभी उनकी नहीं रही है। ट्रस्टी और शेबियत (मैनेजमेंट कर्ता) में फर्क है।

राजीव धवन ने 1962 में दिए गए उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जो गलती हुई उसे जारी नहीं रखा जा सकता, यही कानून के तहत होना चाहिए। अदालत में ये साबित किए जाने की कोशिश की जाती रही है कि जमीन पहले हिन्दू पक्षकारों के अधिकार में थी। यह मानकर अदालत को विश्वास दिलाया जाता रहा है, जो उचित नहीं है।

राजीव धवन ने हिन्दू पक्ष के दावे पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या रामलला विराजमान कह सकते हैं कि उस जमीन पर मालिकाना हक उनका है? नहीं, उनका मालिकाना हक कभी नहीं रहा है। राजीव धवन ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा ने जो गैरकानूनी कब्जा चबूतरे पर किया उस पर मजिस्ट्रेट ने नोटिस जारी कर दिया, जिसके बाद से इसकी न्यायिक समीक्षा शुरू हुई और एक नोटिस जो कि निर्मोही अखाड़े के गलत दावे पर आधारित था। उसके चलते आज 2019 में उच्चतम न्यायालय सुनवाई कर रहा है।

राजीव धवन ने निर्मोही अखाड़े के मुकदमे का विरोध करते हुए कहा कि सेवादार के अलावा अन्य संबधित चीजों पर उनका दावा नहीं हो सकता है, क्योंकि वो उनके मालिक नहीं है।वो सिर्फ सेवादार हैं। ट्रस्टियों और सेवादार में अंतर है।

योध्या राम जन्मभूमि मामले में बुधवार 11 सितंबर को संविधान पीठ में महज 1 घंटा 30 मिनट ही सुनवाई हो पाई, क्योंकि संविधान पीठ मामले की सुनवाई दोपहर 2 बजे थी, जबकि इससे पहले रोजाना सुबह 10.30 से संविधान पीठ मामले की सुनवाई शुरू होती थी। गुरुवार को भी मुस्लिम पक्ष की तरफ से बहस जारी रही।

रएसएस थिंक टैंक रहे के. गोविंदाचार्य की उस याचिका पर उच्चतम न्यायालय 16 सितंबर को सुनवाई करेगा, जिसमें कहा गया है कि अयोध्या मामले की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग कराई जाए।

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