अंधविश्वास : मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व में 'चमत्कारी' महुआ पेड़ की पूजा करने पहुंच रहे लाखों लोग
नवरात्रि के दौरान वाट्सअप पर एक मैसेज हुआ था वायरल हुआ कि चमत्कारी पेड़ में हैं जादुई शक्तियां, शुरुआत में लोग सिर्फ जिज्ञासावश इसे देखने के लिए आते थे, मगर धीरे-धीरे अंधश्रद्धालुओं का लगने लगा तांता, लाखों लोग पहुंच रहे पेड़ के पास मन्नतें मांगने...
जनज्वार। देश 21वीं सदी में भी अंधश्रद्धा और भेड़चाल से ग्रस्त है। बस अफवाह फैलने की देरी है, मोक्ष की कामना लेकर लोग लाइन में लगकर मुफ्त की संखिया भी लेने पर तत्पर हो जाते हैं। ताजा मामला मध्य प्रदेश का है, जहाँ जंगल के एक महुए के पेड़ की पूजा शुरू हो गयी है। कुछ लोग तो पेड़ की छाल तक घर ले जाकर पूजा कर रहे हैं।
रोजाना करीब 10 हजार से अधिक लोगों का हुजूम यहां इकट्ठा रहता है। कुछ लोग यहां अपनी गंभीर बीमारी के ठीक होने की उम्मीद लेकर आते हैं, तो कुछ मुराद मांगने आते हैं तो कुछ मोक्ष की कामना लेकर आते हैं। कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि इस पेड़ को छूने से बीमारी नहीं होती, तो कुछ सिर्फ उत्सुकता के लिए इस पेड़ को देखने आते हैं।
मध्य प्रदेश का सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में लगे महुआ पेड़ को पूजने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं। इस वजह से यह संवेदनशील वन क्षेत्र मेला ग्राउंड में तब्दील हो गया है, जो पारिस्थितिकी के लिए किसी खतरे से कम नहीं है। रविवार और बुधवार के दिन तो यह भीड़ लाखों की संख्या तक पहुंच जाती है, जिससे स्थानीय वन विभाग के कमर्चारी और पुलिसकर्मियों को स्थिति संभालने के लिए सामने आना पड़ता है।
दरअसल नवरात्रि के दौरान वाट्सऐप पर एक मैसेज वायरल हुआ कि इस पेड़ में जादुई शक्तियां हैं। शुरुआत में लोग सिर्फ जिज्ञासावश इसे देखने के लिए आते थे, धीरे-धीरे यह बड़ी भीड़ में तब्दील हो गया।
वाट्सअप पर जो मैसेज वायरल हुआ उसमें लिखा था कि नवरात्रि के पहले जंगल में एक बुजुर्ग आदिवासी अपने गाय—भैसों को चराने के लिये जंगल में ले गया था। कड़ी धूप होने के कारण बुजुर्ग आदिवासी थककर महुआ के पेड़ के नीचे बैठ गया। हवा ठंडी चल रही थी और आदिवासी थका हुआ भी था, वो पेड़ के नीचे सो गया। उस ग्रामीण आदिवासी को गठिया की बीमारी थी, लेकिन जब वह सोकर उठा तो उसका सारा दर्द गायब हो गया।' वाया आदिवासी यह मैसेज सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ, जिसके बाद मरीजों का यहां ताता लगना शुरू हो गया है। लोग मनौतियां पूरी करने समेत अपने रोगों के इलाज के लिए यहां हजारोंहजार की संख्या में पहुंच रहे हैं।
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व 524 वर्ग किमी तक फैला हुआ है। बोरी और पचमढ़ी वाइल्डलाइफ सेंचुरी भी इससे लगा हुआ है, जिस वजह से यह 2200 वर्ग किमी का सेंट्रल इंडियन हाईलैंड इकोसिस्टम बनाता है। इस पेड़ की खोज के बाद लाखों अगरबत्तियों का धुआं जंगल में प्रवेश कर रहा है, जिससे यहां के पेड़ों और वनस्पतियों को नुकसान पहुंच रहा है। वहीं जानवरों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर हो रहा है।
वन विभाग के कर्मचारी धर्मांध लोगों को लगातार समझाने की कोशिश कर रहे हैं इस पेड़ में ऐसी कोई जादुई शक्ति नहीं है, यह एक मिथक है, मगर फिर भी लोग मान नहीं रहे हैं। वन कर्मचारी लोगों को रोकने के लिए भरपूर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन फेल होने पर उन्हें लग रहा है कि इन्हें अब नियंत्रित करने की सख्त जरूरत है जो अदालत के आदेश से ही सम्भव है।
अनपढ़ तो छोड़िये पढ़े-लिखे लोग भी पेड़ के अंधविश्वास की जद में आकर पेड़ के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। जंगल में चारों तरफ वाहनों का बाजार खड़ा हो गया है। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने से पुलिस की परेशानियां बढ़ रही हैं। मजबूरन पुलिस प्रशासन को हजारों लोगों की अनियंत्रित भीड़ को काबू करने एवं दुघर्टनाओं को रोकने के लिए रविवार को भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ा।
क्षेत्र के आईजी आशुतोष राय, एसपी एमएल छारी, एडिशनल एसपी घनश्याम मालवीय, एसडीओपी रणविजय कुशवाहा व स्टेशन रोड़ थाना प्रभारी सतीश अंधवान सहित मंगलवारा थाना प्रभारी प्रवीण कुमरे और चार थानों का पुलिस बल यहां लोगों की सुरक्षा के लिए तैनात कर दिया गया हैं।
हालांकि इस पेड़ को दैवीय बनाने में हमारा मीडिया भी कम जिम्मेदार नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स में भी दावा किया जा रहा है कि पेड़ में कोई दैवीय शक्ति विराजमान है, इसके पास पहुंचने पर पेड़ लोगों को अपने पास खींचता है।