सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से पूछा, मजदूरों के टिकट, भोजन का भुगतान कौन कर रहा?

Update: 2020-05-29 03:30 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आपने अभी तक हमें सूचित नहीं किया है कि प्रवासी मजदूरों के टिकट का भुगतान कौन कर रहा है....

जनज्वार। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर गुरुवार को केंद्र से तीन सवाल किए हैं। अदालत ने पूछा कि क्या प्रवासियों ने अपने टिकट के लिए भुगतान किया? ट्रेनों में उनके भोजन का भुगतान किसने किया और कौन सुनिश्चित कर रहा है कि प्रवासी भूखे नहीं हैं? न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सवाल पूछे, आपने अभी भी हमें सूचित नहीं किया है कि उनके टिकट के लिए कौन भुगतान कर रहा है।

मेहता ने उत्तर दिया कि या तो उन्हें भेजने वाले राज्य या जहां वे पहुंच रहे हैं वे राज्य भुगतान कर रहे हैं, क्योंकि अंतर्राज्यीय समझौता हुआ है। पीठ ने इसके बाद कहा, राज्यों के बारे में क्या? प्रवासियों को कैसे प्रतिपूर्ति मिलने वाली है? प्रवासियों को यह नहीं पता होगा कि किस राज्य को भुगतान करना है।

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पीठ ने कहा कि हो सकता है कि प्रवासियों को पता नहीं हो कि किस राज्य से प्रतिपूर्ति कैसे मिलेगी और उन्हें उपलब्ध परिवहन के बारे में भी नहीं पता हो। पीठ ने कहा, एक समान नीति बनाने की आवश्यकता है।

दालत ने माना कि अगर सभी राज्यों के लिए तंत्र अलग-अलग है (कुछ स्थितियों में प्रवासियों को भेजने वाला राज्य भुगतान करेगा, कुछ स्थिति में जहां वे पहुंचे हैं, वे राज्य भुगतान करेंगे), तो यह भ्रम पैदा करने वाली बात होगी। इस पर मेहता ने जवाब दिया, यह सभी राज्यों के बीच तय किया गया है।

Full View कौल ने मेहता से पूछा, आप यह कैसे सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई भी प्रवासियों को भुगतान करने को नहीं कहेगा या उन्हें परेशान नहीं करेगा? हम जो कह रहे हैं, वह यह है कि प्रवासियों को भुगतान की चिंता नहीं होनी चाहिए।

पीठ ने कहा कि एक स्पष्ट नीति होनी चाहिए कि उनकी यात्रा के लिए कौन भुगतान करेगा। मेहता ने अदालत को बताया कि एक मई से लेकर 27 मई के बीच 91 लाख प्रवासियों को स्पेशल श्रमिक ट्रेनों व सड़क परिवहन के जरिए उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया है। इस दौरान 3,700 विशेष रेलगाड़ियों का उपयोग किया गया है।

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पीठ ने खाद्य आपूर्ति से जुड़े मुद्दों पर भी केंद्र को फटकार लगाई। पीठ ने पूछा, भारतीय खाद्य निगम के पास खाद्य अधिशेष (फूड सरप्लस) होने के साथ, इन लोगों को भोजन की आपूर्ति की जा रही है या नहीं? लोगों के बीच भोजन की कमी क्यों होनी चाहिए? .. हम स्वीकार करते हैं कि एक ही समय में सभी को परिवहन उपलब्ध कराना संभव नहीं है, लेकिन भोजन और आश्रय तो तब तक दिया जाना चाहिए, जब तक उन्हें परिवहन नहीं मिल सकता। कौन इसे प्रदान कर रहा है?

मेहता ने कहा कि उन्हें भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा, यह एक अभूतपूर्व संकट है और हम अभूतपूर्व उपाय कर रहे हैं। पीठ ने कहा कि सरकार उपाय कर रही है, लेकिन फंसे प्रवासियों की संख्या को देखते हुए कुछ ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने 26 मई को प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा का संज्ञान लिया था और केंद्र और राज्यों से उन्हें परिवहन, भोजन और आश्रय तुरंत मुफ्त देने को कहा था।

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