सुप्रीम कोर्ट ने की वीवीपैट पर्चियों की मिलान याचिका खारिज

Update: 2019-05-21 16:40 GMT

प्रशांत भूषण ने कहा, तथाकथित रिजर्व ईवीएम को लेकर जो असामान्य तरीके अपनाए जा रहे हैं वो पक्षपातपूर्ण हैं और उसकी सुरक्षा को लेकर समझौता किया जा रहा है। जिस ईवीएम का चुनाव के लिए इस्तेमाल हो रहा है, उसके बदले जाने का है डर....

जेपी सिंह, वरिष्ठ पत्रकार

लोकसभा चुनाव के लगभग सभी चरणों में कई जगहों पर ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतें आई हैं। इससे पहले भी लगभग हर चुनाव में ईवीएम में गड़बड़ी की ख़बरें आती रही हैं। ऐसे में चुनाव आयोग की ओर से निष्पक्ष चुनाव कराने के दावे पर स्वाभाविक रूप से सवाल खड़े होते हैं। चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि आमजन में चुनाव की शुचिता को लेकर कोई गलतफहमी न रहे।

चुनाव आयोग आख़िर ईवीएम की सुरक्षा को लेकर इतना लापरवाह क्यों है? पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चुनाव आयोग को ईवीएम को लेकर नसीहत दी है। प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि ईवीएम की सुरक्षा सुनिश्चित करने का दायित्व चुनाव आयोग के पास है।

उच्चतम न्यायालय ने आज लोकसभा चुनाव की 23 मई को होने वाली मतगणना के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के आंकड़ों के साथ वीवीपैट मशीनों की पर्चियों का शत प्रतिशत मिलान करने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पहले ही प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक बड़ी पीठ इस मामले पर विचार करके आदेश पारित कर चुकी है। इस बीच विपक्ष ने चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंप कर मांग की है कि पांच पोलिंग बूथ के वीवीपैट पर्चियों का मिलान वोटों की गिनती से पहले किया जाए, न कि आखिरी राउंड की गिनती के बाद। अगर वीवीपैट मिलान गलत निकलता है तो उस विधानसभा क्षेत्र की सभी वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया जाये। चुनाव आयोग ने यूपी के 4 जिलों में ईवीएम की सुरक्षा को लेकर विपक्ष की ओर से उठाए गए सवालों को भी खारिज कर दिया है।

ईवीएम को लेकर देश के जाने माने वकील और आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता प्रशांत भूषण ने भी अपनी चिंता जाहिर की है। प्रशांत भूषण ने कहा कि डर ईवीएम की हैकिंग को लेकर नहीं बल्कि उसके बदले जाने (स्वैपिंग) को लेकर है। उन्होंने ट्वीट कर ईवीएम बदले जाने को लेकर कहा कि तथाकथित रिजर्व ईवीएम को लेकर जो असामान्य तरीके अपनाए जा रहे हैं वो पक्षपातपूर्ण हैं और उसकी सुरक्षा को लेकर समझौता किया जा रहा है। जिस ईवीएम का चुनाव के लिए इस्तेमाल हो रहा है, उसके बदले जाने का डर है।

चेन्नई के टेक्नोक्रैट्स के एक ग्रुप ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर मांग की थी कि वेरिफिकेशन के लिए सभी ईवीएम का वीवीपैट से मिलान किया जाना चाहिए। हालांकि उच्चतम न्यायालय ने इस अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि यह मेरिट के मुताबिक नहीं है। याचिका में चेन्नई के टेक्नोक्रैट्स ने कहा था कि तकनीकी तौर पर वीवीपैट से जुडी़ ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) ठीक नहीं हैं। इसलिए सभी ईवीएम का वीवीपैट से मिलान किया जाना चाहिए।

चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण

चुनाव आयोग के मुताबिक ग़ाज़ीपुर में उम्मीदवारों ने कंट्रोल रूम की निगरानी पर सवाल उठाए थे, जिसे ईसीआई के निर्देश बताकर हल कर लिया गया है। चंदौली में कुछ लोगों ने आरोप लगाया था, लेकिन ईवीएम प्रोटोकॉल के तहत सुरक्षित हैं। डुमरियागंज में ईवीएम प्रोटोकॉल के तहत सुरक्षित हैं। सभी आरोप अनावश्यक थे। डीएम और एसपी ने बातकर मामला हल कर लिया है। झांसी में राजनीतिक पार्टी के उम्मीदवारों की उपस्थिति में ईवीएम को सील किया गया है। यहां कोई समस्या नहीं है।

चुनाव आयोग ने कहा है कि इन सभी मामलों में सभी ईवीएम और वीवीपैट को राजनीतिक पार्टी के उम्मीदवारों के सामने सील किया गया था, जिसकी वीडियो भी बनाई और वहां सीसीटीवी कैमरा भी मौजूद थे। सीपीएएफ सुरक्षागार्ड भी वहां मौजूद थे। उम्मीदवारों को उस समय और उस पॉइंट पर प्रत्येक उम्मीदवार का एक प्रतिनिधित्व 24×7 को निगरानी रखने की अनुमति है। इसलिए ये आरोप निराधार हैं।

प्रणब मुखर्जी ने भी जताई चिंता

इस बीच पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी चुनाव आयोग को ईवीएम को लेकर नसीहत दी है। प्रणब मुखर्जी ने बयान जारी करते हुए कहा है कि इस मामले में संस्थागत अखंडता (ईवीएम की सुरक्षा) सुनिश्चित करने का दायित्व चुनाव आयोग के पास है। उन्हें अवश्य ऐसा करना चाहिए और सभी अटकलों पर विराम लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे मतदाताओं के फैसले के साथ कथित छेड़छाड़ की रिपोर्टों को लेकर चिंतित हैं। चुनाव आयोग के कब्जे में मौजूद ईवीएम के बचाव और सुरक्षा की जिम्मेदारी आयोग की है।

राबड़ी देवी ने मांगा जवाब

आरजेडी नेता राबड़ी देवी ने कहा है कि देशभर के स्‍ट्रॉन्‍ग रूम के आसपास ईवीएम की बरामदगी हो रही है। ट्रकों और निजी वाहनों में ईवीएम पकड़ी जा रही है। ये कहां से आ रही है, कहां जा रही है? कब, क्यों, कौन और किसलिए इन्हें ले जा रहा है? क्या यह पूर्व निर्धारित प्रक्रिया का हिस्सा है? चुनाव आयोग को अतिशीघ्र स्पष्ट करना चाहिए।

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