भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी मानवाधिकार कार्यकर्ता अब 17 सितंबर तक रहेंगे हाउस अरेस्ट

Update: 2018-09-12 10:58 GMT

आज हुई सुनवाई में पांचों मानवाधिकारवादियों का हाउस अरेस्ट 17 सितंबर यानी अगली सुनवाई तक के लिए बढ़ा दिया गया है...

जनज्वार। वकील, शिक्षक और मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, ख्यात कवि और बुद्धिजीवी वरवर राव, मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा, जिनेस आॅर्गनाइजेशन के वर्णन गोंजा​लविस और लेखक—सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा को छापेमारी के बाद पुलिस ने भीमा कोरेगांव हिंसा में संलिप्त बताते हुए गिरफ्तार किया था।

इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें पहले एक हफ्ते के लिए 6 सितंबर तक हाउस अरेस्ट का फैसला दिया था, उसके बाद अवधि और बढ़ाई गई और आज हुई सुनवाई में इन पांचों मानवाधिकारवादियों का हाउस अरेस्ट 17 सितंबर यानी अगली सुनवाई तक के लिए बढ़ा दिया गया है।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक मुख्‍य न्‍यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस खानविलकर की खंडपीठ ने इतिहासकार रोमिला थापर व चार अन्‍य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई को पांच दिनों के लिए टालते हुए कहा कि अदालत को सूचित किया गया है कि इनकी पैरवी कर रहे वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता अभिषेक मनु सिंघवी किसी दूसरी अदालत में व्‍यस्‍त हैं, इसलिए अगली सुनवाई सोमवार 17 सितंबर को होगी।

कोर्ट के नजरबंदी के आदेश के बाद सुधा भारद्वाज ने मीडिया से कहा था कि ‘मुझे लगता है जो भी वर्तमान शासन के खिलाफ है, चाहे वह दलित अधिकारों, जनजातीय अधिकारों या मानवाधिकारों की बात हो, विरोध में आवाज उठाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के साथ इसी तरह व्यवहार किया जा रहा है।’

हाउस अरेस्ट किए गए और जिनके घर छापे पड़े उन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा कि ये छापे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला हैं और आपातकाल की यादें ताजा करते हैं।

अब अगली सुनवाई 17 सितंबर को होनी है, जिसमें तय किया जाएगा कि सुप्रीम कोर्ट इन मानवाधिकारवादियों के बारे में क्या फैसला लेता है।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले साल 31 दिसंबर को ऐलगार परिष्द के बाद कोरेगांव-भीमा गांव में हुई हिंसा के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर इन पांचों मानवाधिकारवादियों को 28 अगस्त को गिरफ्तार किया था।

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