सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश, कल शाम 4 बजे तक बहुमत साबित करके दिखाएं मुख्यमंत्री येदियुरप्पा

Update: 2018-05-18 13:52 GMT

पहले येदियुरप्पा सरकार को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का वक्त दिया गया था, मगर फिर उसे बदलकर सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने कल शाम तक कर दिया है....

बेंगलुरू। कर्नाटक का नाटक थमने का नाम नहीं ले रहा है। पहले बहुमत न होने के बावजूद राज्यपाल बजूभाई ने येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्यौता दिया, जिसके खिलाफ कांग्रेस ने कोर्ट में याचिका दायर की। हालांकि राज्यपाल के फैसले को सुरक्षित रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने दी।

मगर आज इस मामले में फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने कहा कि सरकार कल शाम 4 बजे तक बहुमत साबित करके दिखाए। गौरतलब है कि पहले येदियुरप्पा सरकार को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का वक्त दिया गया था, मगर फिर उसे बदलकर सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने कल शाम तक कर दिया है।

कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस ने राज्यपाल के सामने साथ मिलकर सरकार बनाने का प्रस्ताव रखा था, मगर राज्यपाल वजूभाई ने भाजपा को सरकार बनाने का न्यौता दिया। जबकि ऐसी ही स्थितियां कुछ समय पहले हुए चुनावों में अन्य राज्यों में पेश आई तो वहां के राज्यपालों ने गठबंधन को सरकार बनाने का न्यौता दिया और वहां भाजपा गठबंधन की सरकारें बनीं।

कोर्ट के इस फैसले के बाद कल शाम को यह साफ हो जाएगा कि बिना बहुमत के दूसरी बार मुख्यमंत्री बने बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहेंगे या फिर किसी और के नाम पर मुख्यमंत्री की मुहर लगेगी। कुल 224 सीटों के लिए मतदान होना था, जिनमें से दो सीटों पर मतदान न होने के चलते 222 सीटों पर विधायक चुने गए। अभी भाजपा के पास 104, कांग्रेस के पास 78 और जेडीएस+बसपा के पास 38 विधायक हैं। बहुमत के लिए 112 का आंकड़ा पार करना जरूरी है।

आज इस मामले में हुई सुनवाई में सबसे पहले भाजपा के वकील मुकुल रोहतगी की तरफ से दो चिट्ठियां सुप्रीम कोर्ट की बेंच को सौंपी गईं, और रोहतगी की तरफ से तर्क दिया गया कि येदियुरप्पा कर्नाटक के सबसे बड़े दल भाजपा के नेता हैं, इसलिए मुख्यमंत्री पद उन्हीं का बनता है। रोहतगी ने यह भी कहा कि उनके और भाजपा के पास जरूरी विधायकों का समर्थन है और वे सदन में बहुमत साबित करने को तैयार हैं।

इसके बाद कांग्रेस की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुनवाई में कहा कि जो स्थितियां बन रही हैं उसमें सुप्रीम कोर्ट को फैसला करना चाहिए कि बहुमत साबित करने का पहला मौका गठबंधन को मिलना चाहिए या फिर बहुमत से 8 मत कम पाने वाली भाजपा को।

जस्टिस एके सीकरी की बेंच ने जब भाजपा की तरफ से वकील रोहतगी से बहुमत के लिए जरूरी नंबर दिखाने को कहा तो कहा गया कि हम नंबर वहीं दिखाएंगे, जहां इनकी जरूरत होगी। सुप्रीम कोर्ट में यह जरूरी नहीं है। हम समर्थन साबित करने के लिए मुख्यमंत्री का पत्र भी ला सकते हैं। हमारे पास बहुमत है।

इस मसले पर चली बहस के बाद जस्टिस सीकरी की बेंच ने बहुमत साबित करने के लिए मांगे जा रहे लंबे समय की मांग को खारिज कर कहा कि येदियुरप्पा सरकार कल शाम तक बहुमत साबित करके दिखाए।

आज चाहे कोर्ट ने जो फैसला दिया हो, मगर भाजपा के वरिष्ठ नेता फ्लोर टेस्ट की बात पर कांफिडेंट नजर आ रहे हैं। सवाल है कि भाजपा ने किस पार्टी के सदस्यों को तोड़ा है, जिसके बल पर वह यह बात कर ही है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट किया, "भाजपा फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार है। हमें विश्वास मत जीतने का भरोसा है। सदन में होने वाले फ्लोर टेस्ट में हम बहुमत सिद्ध कर देंगे।"

इस बीच सोशल मीडिया पर चर्चे आम रहे कि विधायकों को भाजपा की खरीद—फरोख्त से बचाने के लिए कांग्रेस ने अपने विधायक बेंगलुरु के इगलटन रिजॉर्ट में भेज दिए थे। जेडीएस विधायक होटल शांगरी ला में रोके गए। इस बीच, कुछ विधायकों के लापता होने की भी चर्चा खूब रही।

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल ने ट्वीट किया, ‘सुप्रीम कोर्ट के आज के आदेश से हमारे इस रुख की पुष्टि होती है कि राज्यपाल ने असंवैधानिक ढंग से काम किया। संख्या के बिना सरकार गठन के बीजेपी के दावे को न्यायालय ने खारिज किया है।’ राहुल ने कहा कि कानूनी रूप से रोके जाने के बाद भाजपा सत्ता हासिल करने के लिए धन और बल इस्तेमाल करने का प्रयास करेगी।

इस बारे में राजनीतिक विश्लेषक तरह—तरह के कयास लगा रहे हैं। मीडिया से बातचीत में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा, ‘सदन में उपस्थित सदस्यों की संख्या के आधार पर ही बहुमत तय होगा। किसी भी पार्टी का चुना हुआ सदस्य अगर बहुमत के समय सदन में गैरहाजिर रहता है या हाजिर होकर भी वोट नहीं देता या किसी दूसरे दल को वोट देता है तो इसे पार्टी के निर्देश या व्हिप का उल्लंघन माना जा सकता है।’

कल शाम तक के लिए सबकी नजरें फिर से एक बार कर्नाटक पर जम गई हैं। कौन बनाएगा सरकार? को लेकर तरह—तरह के कयासों का बाजार गर्म है। चर्चा यह भी आम है कि भाजपा साम—दाम—दंड—भेद किसी भी तरीके से कर्नाटक की कुर्सी बचाकर रहेगी। फिर चाहे 100 करोड़ में एक विधायक ही क्यों न खरीदना पड़े।

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