अर्णब गोस्वामी केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कोर्ट ने जांच CBI को सौंपने से किया इनकार

Update: 2020-05-19 09:18 GMT

टीवी एंकर अर्णब गोस्वामी की बढ़ी मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंपने से किया इनकार, पालघर मॉब लिंचिंग केस में एक समुदाय को बदनाम करने का है आरोप है....

जनज्वार ब्यूरो। रिपब्लिक टीवी के एडिट-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी को लेकर एक बड़ी खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अर्णब गोस्वामी के खिलाफ कथित रूप से 21 अप्रैल को बदनाम करने वाले न्यूज शो टेलीकास्ट पालघर में मॉब लिंचिंग से जुड़े मामले को सीबीआई को सौंपने से इनकार कर दिया है।

र्णब ने पालघर में भीड़ द्वारा साधुओं की पीट-पीटकर हत्या के मामले पर एक समाचार शो में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ कथित अपमानजनक बयान को लेकर गोस्वामी के खिलाफ प्राथमिकियां दर्ज कराई गयी हैं।

कोर्ट में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ गोस्वामी की एक अन्य याचिका पर भी फैसला सुनाएगी जिसमें उनके शो में कुछ बयानों से कथित तौर पर धार्मिक भावनाएं आहत होने के मामले में पुलिस द्वारा दो मई को उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गयी है। शीर्ष अदालत ने 11 मई को निर्देश दिया था कि मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज नई प्राथमिकी में गोस्वामी के खिलाफ कोई निरोधक कार्रवाई नहीं होनी चाहिए । शीर्ष अदालत ने उनकी दोनों याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

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पीठ ने अपने फैसले में नागपुर में दर्ज की गई पहली प्राथमिकी के अलावा बाकी सभी प्राथमिकियों को रद्द करते हुए कहा कि पत्रकारिता की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति और बोलने की आजादी का मूल आधार है। नागपुर में दर्ज प्राथमिकी शीर्ष अदालत ने अर्णब गोस्वामी पर कथित हमले की शिकायत के साथ संयुक्त जांच के लिए मुंबई स्थानांतरित कर दी थी।

Full View पहले केस को लेकर गोस्वामी ने शीर्ष अदालत में दावा करते हुए कहा था कि मुबंई पुलिस ने उनके साथ कथित मानहानि वाले बयानों के संबंध में दर्ज प्राथमिकी के सिलसिल में 12 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी और उनके खिलाफ मामले में जांच कर रहे दो अधिकारियों में से एक को कोविड-19 के संक्रमण की पुष्टि हुई है।

वहीं महाराष्ट्र सरकार ने भी शीर्ष अदालत में आरोप लगाया कि गोस्वामी शीर्ष अदालत द्वारा प्राप्त संरक्षण का दुरुपयोग कर रहे हैं और पुलिस को धमका रहे हैं।

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सके अलावा गोस्वामी की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि पूरा मामला एक राजनीतक दल द्वारा एक पत्रकार को निशाना बनाने का है क्योंकि शिकायती एक पार्टी विशेष के सदस्य हैं।

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