कहां हो नीतीश सर, देखिए न 'तब्लीगी' सब गंगा दशहरा मनाकर बिहार में फैला रहा कोरोना

Update: 2020-06-01 16:43 GMT

कोरोना से बेखौफ दिखी गंगा दशहरा पर सारण में डुबकी लगाने वालों की भीड़, फिजिकल डिस्टेंसिंग के कॉन्सेप्ट का कोई अर्थ नहीं रहा, नदी घाटों पर हजारों लोगों ने डुबकी लगाई....

छपरा, जनज्वार। गंगा दशहरा पर सोमवार 1 जून की सुबह मांझी स्थित सरयू नदी के रामघाट, पुल घाट, डोरीगंज और आमी के गंगा नदी स्थित तिवारी घाट, बंगाली बाबा घाट, शहर स्थित सीढ़ी घाट सहित विभिन्न घाटों पर भारी भीड़ रही। महिलाओं की बात कौन करे, डुबकी लगाने में पुरुष भी पीछे नहीं थे। कहीं भी भीड़ को कंट्रोल करने या फिजिकल डिस्टेंसिंग मेंटेन कराने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी।

स्था के नाम पर सोशल डिस्टेंसिंग की खुलेआम धज्जियां उड़ीं, मगर इस तरफ न बिहार के प्रशासनिक अधिकारियों की नजर पड़ी, न ही बिहार पुलिस की। हां, सोशल डिस्टेंसिंग तोड़ने के लिए और कोरोना फैलाने के लिए जिन तब्लीगियों को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है, वह जनता भी इस भीड़ से बेखबर नजर आई। नीतीश बाबू को तो शायद यह दिखाई ही न दिया हो।

लोग मनमाने ढंग से भीड़ बनाकर इकट्ठे थे। बड़ी संख्या में महिलाओं व पुरुषों ने डुबकी लगाने के बाद तट पर गंगा मइया को लड्डू चढ़ा कर पूजा-अर्चना की। श्रद्धालुओं ने कोरोना से मुक्ति के लिए गंगा मइया से प्रार्थना भी की। सारण जिला के मांझी के रामघाट पर मेले जैसा दृश्य था। इधर हनुमान गढ़ी मन्दिर परिसर में सुबह चौबीस घण्टे का अखंड रामायण पाठ सम्पन्न हुआ।

पूर्णाहुति के अवसर पर गायक दिवाकर सिंह, महादेव यादव, सुचित सिंह तथा घनश्याम ओझा आदि कलाकारों ने आरती व भजन आदि प्रस्तुत किया। मौके पर दर्जनों साधु संतों व भक्त जनों ने भंडारे में भाग लिया। अनुष्ठान का संचालन सन्त रामप्रिय दास ने किया। धार्मिक ग्रन्थों व मान्यताओं के अनुसार इसी दिन राजा भगीरथ के अथक प्रयास व तपस्या से गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थी।

हीं आधुनिक संदर्भ में कहा जाता है कि जल के महत्व को पहचानते हुए तब के जल-वैज्ञानिक भगीरथ ने गंगा को गोमुख से गंगा-सागर तक ले जाने का सफल प्रयास किया था।

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