आज होगा कलाकारों की उन्मुक्तता का नाद

Update: 2017-08-11 18:07 GMT

दिल्ली। थिएटर ऑफ़ रेलेवंस" नाट्य उत्सव के दूसरे दिन यानी आज 11 अगस्त, 2017 को शाम 6।30 बजे मंजुल भारद्वाज लिखित—निर्देशित नाटक 'अनहद नाद - अन हर्ड साउंड्स ऑफ़ यूनिवर्स' का मंचन भाई वीर सिंह मार्ग नई दिल्ली में स्थित गोल मार्किट के 'मुक्तधारा ऑडिटोरियम' में होगा।

अश्विनी नांदेडकर, योगिनी चौक, सायली पावसकर, कोमल खामकर,तुषार म्हस्के अभिनीत नाटक “अनहद नाद - अन हर्ड साउंड्स ऑफ़ युनिवर्स ” कलात्मक चिंतन है, जो कला और कलाकारों की कलात्मक आवश्यकताओं, कलात्मक मौलिक प्रक्रियाओं को समझने और खंगोलने की प्रक्रिया है। क्योंकि कला उत्पाद और कलाकार उत्पादक नहीं है और जीवन नफा और नुकसान की बैलेंस शीट नहीं है इसलिए यह नाटक कला और कलाकार को उत्पाद और उत्पादिकरण से उन्मुक्त करते हुए, उनकी सकारात्मक, सृजनात्मक और कलात्मक उर्जा से बेहतर और सुंदर विश्व बनाने के लिए प्रेरित और प्रतिबद्ध करता है।

“थियेटर ऑफ रेलेवेंस” नाट्य दर्शन के सृजन के 25 वर्ष पूरे होने पर आयोजित 3 दिवसीय नाट्य उत्सव सीधा जीवन से कनेक्ट करता है। बिना थियेटर के कोई जीवन नहीं हो सकता, इसीलिए यह नाट्य दर्शन मानता है कि दर्शक पहला रंगकर्मी है और यह नाट्य दर्शन थियेटर के प्राचीन तय मानदंडों तक सीमित नहीं रह जाता, बल्कि उसके आगे, बहुत आगे चलकर नाट्य मंचन को विभिन्न नाट्य प्रस्तुति शैलियों से मुक्ति की राह देता है। थियेटर को बन्द सुसज्जित नाट्यगृहों, ओपेन थियेटर या नुक्कड़ नाटक से लेकर, गली, मोहल्ले, कमरों, कहीं भी, कभी भी आकार दे देता है।

यहाँ तक की जीवन के रोजमर्रा के पलों में भी थियेटर को उतार देता है, और हर किसी को जीवन को देखने, महसूसने और समझने का स्वर्णिम अवसर प्रदान करता है।

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