सरस मेले पर चढ़ा उत्तराखंडी उत्पादों का रंग

Update: 2018-01-20 19:50 GMT

मेले में जुटे देशभर के स्वरोजगारी, मडुवे के बिस्किट, नमकीन, पहाड़ी दालों के अलावा बड़ी, पापड़ व उत्तराखंड के सितारगंज में तैयार की गई घास से बनी टोकरियां की जा रही हैं खासा पसंद

हल्द्वानी से राजेश सरकार की रिपोर्ट

स्वरोजगारियों को स्वावलम्बी बनाने के उद्देश्य से ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार एवं ग्राम विकास विभाग उत्तराखण्ड के संयुक्त तत्वाधान में कुमाऊं के प्रवेशद्वार हल्द्वानी के एमबी इण्टर कॉलेज मैदान में संचालित किए जा रहे दूसरे राष्ट्रीय सरस मेले में विविधताओं से भरे हमारे देश का लघु स्वरूप उभर कर सामने आ गया।

सरस मेले में कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, हिमाचल, बिहार, पंजाब व मध्य प्रदेश के स्वयं सहायता समूह बडी संख्या में प्रतिभाग कर रहे हैं। वहीं प्रदेश के जनपदों के 80 से ज्यादा स्वयं सहायता समूह इस मेले में अपने उत्पादों को लेकर बिक्री हेतु पहुंचे हैं। मेले में अब तक 200 से अधिक स्टालों का पंजीकरण हो चुका है।

16 जनवरी से आरम्भ हुए मेले का आज शनिवार को पांचवा दिन था। मेला जैसे जैसे अपने समापन की ओर बढ रहा है मेले में खरीददारो का हूजूम बढता जा रहा है। दूसरी तरफ अब भी स्वयं सहायता समूहों का मेले में पंजीकरण के लिए आने का क्रम जारी है।

मेला 27 जनवरी तक चलेगा। मेले का शुभारम्भ प्रदेश के परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने फीता काटकर किया। इस मौके पर मेला आयोजकों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि महिलाएं हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की धुरी हैं। इसलिए जब तक महिलाएं आर्थिक तौर पर सशक्त् नहीं होंगी, तब तक प्रदेश व देश भी मजबूत नहीं होगा। इसलिए महिलाओं को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाना होगा।

पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिह कोश्यारी ने कहा कि हस्तशिल्प हमारे देश की पहचान है। उन्होंने कहा कि विभिन्न भाषा एवं संस्कृति वाले अपने इस देश में हस्तशिल्प में भी विविधता है। देश के गांव गांव में तैयार होने वाले हस्तशिल्प को बाजार की जरूरत है। ऐसे में राष्ट्रीय सरस मेला मील का पत्थर साबित होगा और महिलाओं के उन्नयन में कारगर सिद्ध होगा।

आज शनिवार 20 जनवरी को मेले का पांचवा दिन था। मेला जैसे जैसे अपने समापन की ओर बढ रहा है, मेले में खरीददारों व दर्शकों की भीड भी बढ़ती जा रही है। मेले में लगे देश-प्रदेश के तमाम तरह के स्टालों में ग्राहकों की भीड़ देखी जा सकती है।

सरस मेले में 13 राज्यों से स्वयं सहायता समूह विभिन्न उत्पाद लेकर पहुंचे हैं, मगर सबसे ज्यादा उत्तराखडी उत्पाद ही छाये हुए हैं। मडुवे से बने बिस्किट, नमकीन, पहाड़ी दालों के अलावा बड़ी, पापड़ व उत्तराखंड के सितारगंज में तैयार की गई घास से बनी टोकरियां, हॉट केस, फूलदान की अच्छी खासी मांग बनी हुई है। इंदिरा अम्मा भोजनालय में तैयार पहाड़ी भोजन का भी लोग खूब स्वाद ले रहे हैं।

कर्नाटक का हस्तशिल्प जहां लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है, वही हिमाचल की टोपी व पंजाब के उत्पाद भी दर्शकों को अपनी ओर लुभा रहे हैं। मेले में आने वाले ग्राहकों के मनोरंजन के लिए सूचना विभाग द्वारा पंजीकृत विभिन्न दलों द्वारा प्रतिदिन मैदान में रंगारंग प्रस्तुतियां दी जा रही हैं।

आज कलाकारों द्वारा प्रस्तुत कुमाऊंनी गीत 'लाली ओ लाली होशिया पधानी...' और 'तीला धारू बोला...' जैसे प्रस्तुतियों ने लोगो को अपने साथ झूमने पर मजबूर कर दिया।

सरस मेले में 21 जनवरी को कुमाऊं मण्डल विकास निगम द्वारा फूड फेस्टिवल, 22 जनवरी को दोपहर स्कूली बच्चों के रंगारंग कार्यक्रम के साथ ही मेहंदी प्रदर्शन आदि कार्यक्रम भी आयोजित किये जायेंगे। मेले में सूचना विभाग से पंजीकृत दल कुमाऊं सांस्कृतिक उत्थान समिति व खालसा विद्यालय के छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये।

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