टॉप कंपनियों में 50 फीसदी तक कम हुईं नौकरियां

Update: 2017-10-23 20:07 GMT

देश की 500 बड़ी फर्मों में वित्त वर्ष 2016 की तुलना में वित्त वर्ष 2017 में करीब आधी नियुक्तियां हुई हैं। जहां वित्त वर्ष 2016 में 123,000 नई नियुक्तियां हुई थीं, वहीं वित्त वर्ष 2017 में सिर्फ 66,000 लोगों को नया रोजगार मिल पाया...

भारत की टॉप लेबल की कंपनियों की तरफ से कहा जा रहा है कि देश में लगातार अर्थव्यवस्था में आ रहे उतार—चढ़ाव और भविष्य के परिदृश्य के मद्देनजर वित्त वर्ष 2017 में कम नियुक्तियां की गई हैं। साथ ही यह भी कहा है कि 2017 की दूसरी छमाही में नियुक्तियों में तेजी आने की संभावना है।

वित्त वर्ष 2017 में सबसे कम भर्तियां करने वाली कंपनियों में विप्रो, सेल, एचडीएफसी बैंक, एमटीएनएल, बीएचईएल और रिलायंस कम्युनिकेशंस शीर्ष पर रहे।

बिजनैस स्टेंडर्ड में प्रकाशित खबर के मुताबिक देश की बड़ी कंपनियों में नई भर्तियां बहुत कम की गई हैं। 2016-17 में भारत की शीर्ष कंपनियों में नए कर्मचारियों की संख्या घटकर 66,000 हो गई, जबकि 2016 में 1,23,000 लोगों को नए रोजगार से जोड़ा गया था। वित्त वर्ष 2017 के अंत में बीएसई 500 सूचकांक में शामिल 241 कंपनियों में कुल स्थायी कर्मचारियों की संख्या 32.5 लाख रही, जो वित्त वर्ष 2016 के अंत में 31.9 लाख थी।

जबकि 2016-17 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), टेक महिंद्रा, आईसीआईसीआई बैंक और ऐक्सिस बैंक ने सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार दिया। बिजनेस स्टेंडर्ड में प्रकाशित खबर के मुताबिक 241 में से 136 कंपनियों ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में उनके कर्मचारियों की संख्या उससे पिछले साल जितनी ही बढ़ी है। इनमें से करीब एक-चौथाई कंपनियों यानी 32 कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या तकरीबन 10 प्रतिशत बढ़ी।

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने सबसे ज्यादा 33,000 लोगों को नौकरी पर रखा और इसके कुल कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 387,000 हो गई। इसके बाद टेक महिंद्रा के कर्मचारियों की संख्या 12,500 बढ़कर 118,000 हो गई। आईसीआईसीआई बैंक ने इस दौरान 9,000 नई भर्तियां कीं, वहीं ऐक्सिस बैंक ने 7,000 नए कर्मचारियों को रोजगार से जोड़ा।

कुल कर्मचारियों के प्रतिशत के लिहाज से गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों चोलामंडलम इन्वेस्टमेंट एंड फाइनेंस, बजाज फाइनेंस, कैपिटल फर्स्‍ट और एडलवाइस सर्विसेज ने सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार दिया।

कंपनियों में घट रहे नए रोजगार के बारे में आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि ऐसा अर्थव्यवस्था में आ रही नरमी की वजह से हो रहा है। इकोनॉमिक्स रिसर्च एंड एडवाइजरी सर्विसेज के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम कहते हैं, 'कंपनियों में शुद्ध नए कर्मचारियों की संख्या में कमी की वजह औद्योगिक वृद्धि में नरमी और मांग में कमी रही। हालांकि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में नियुक्तियों में कुछ सुधार हो सकता है, लेकिन आईटी कंपनियों द्वारा भर्तियों में कमी की भरपाई शायद ही हो पाए।'

आर्थिक विश्लेषकों के मुताबिक बड़ी कंपनियों के अधिकारी भविष्य के परिदृश्य को लेकर आश्वस्त नहीं हैं, जिसकी वजह से कम नियुक्तियां की जा रही हैं।

हालांकि कम नियुक्तियों का कर्मचारियों की सेलरी बढ़ोतरी पर मामूली असर दिखा। पिछले वित्त वर्ष में प्रति कर्मचारी औसत वेतन 8.2 फीसदी बढ़कर 12.4 लाख रुपये सालाना रहा, जो वर्ष 2016 में 11.5 लाख रुपये सालाना था।

वहीं इन सब स्थितियों में भी आश्वस्त दिखते हंट पार्टनर्स के मैनेजिंग पार्टनर सुरेश रैना कहते हैं, 'हाल के महीनों में हायर लेबल पर नियुक्तियों में तेजी आई है और कई कंपनियां नई प्रतिभाओं की तलाश में कैंपस का भी रुख कर रही हैं।'

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