हिरासत में मौत मामले के दोषी दो पुलिसकर्मियों को पहली बार फांसी की सजा

Update: 2018-07-26 04:07 GMT

जनज्वार की संपादकीय नीति नहीं है फांसी के सजा के पक्ष में, पर कानून को ठेंगे पर रखने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ केरल राज्य से आया यह फैसला न सिर्फ ऐति​हासिक है, बल्कि आम लोगों का कानून में है भरोसा पैदा करने वाला

अदालत ने सबूतों को नष्ट करने व मिटाने और दोषी पुलिसकर्मियों को बचाने का प्रयास करने के मामले में सेवानिवृत्त एसपी टीके हरिदास, ईके साबू और​​ डिप्टी एसपी अजित कुमार को अपराधी मान तीन—तीन साल की कारावास की सु​नाई है सजा, मौत की सजा पाए दोनों पुलिसकर्मी हैं अभी नौकरी में

जनज्वार। केरल के तिरुअनंतपुरम में 25 जुलाई को सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा दिया गया फैसला इंसाफ और कानून का राज चाहने वालों के लिए उम्मीद जगाने वाला है। सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश नजर ने 2005 में तिरुअनंतपुरम के फोर्ट थाने में पुलिस अत्याचार से हुई 26 वर्षीय उदयकुमार की मौत के मामले में ऐतिहासिक फैसला दिया है। फैसले को लेकर कहा जा रहा है कि देश में यह पहली दफा है जब किसी जज ने हिरासत में हुई मौत मामले में इतना कड़ा फैसला आया है।

फैसले के वक्त हिरासत में मारे गए उदय कुमार की 67 वर्षीय विधवा मां प्रभावती अम्मा मौजूद थीं और उन्होंने पुलिसकर्मियों को मिली सजा पर संतोष जताया, जबकि मौत की सजा पाए दोनों पुलिसकर्मी सब इंस्पेक्टर के. जीथकुमार और सिविल पुलिस अधिकारी एस. वी. श्रीकुमार रो पड़े।

सीबीआई की विशेष अदालत को यह मामला हाईकोर्ट के निर्देश पर मिला, जब उच्च न्यायालय के आदेश पर जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। मारे गए उदयकुमार की मां प्रभावती अम्मा ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर सीबीबाई जांच की मांग थी। उदयकुमार को चोरी के एक मामले में हिरासत में लिया गया था। पुलिस द्वारा टॉर्चर करने के बाद उसकी थाने में ही मौत हो गई थी।

मौत की सजा पाए दोनों पुलिस अधिकारी इस मामले में पहले और दूसरे नंबर के अपराधी हैं। अदालत ने दोनों अधिकारियों को दो-दो लाख रुपये का जुर्माना भी भरने का आदेश दिया है। ये दोनों पुलिसक​र्मी अभी नौकरी में हैं। गौरतलब है कि हिरासत में मौत की इस घटना को लेकर पूरे राज्य में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे।

वहीं सीबीआई अदालत ने सबूतों को नष्ट करने व मिटाने और दोषी पुलिसकर्मियों को बचाने का प्रयास करने के मामले में सेवानिवृत्त एसपी टीके हरिदास, ईके साबू और​​ डिप्टी एसपी अजित कुमार को अपराधी मान तीन—तीन साल की कारावास और पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। मुकदमें में तीसरे आरोपी केवी सोमन की मौत हो चुकी है, जबकि अन्य आरोपी वीपी मोहनन को अदालत ने पहले ही बरी कर दिया था।

वर्ष 2005 में सिर्फ 26 वर्ष की उम्र में मारे गए उदयकुमार की मां प्रभावती कहती हैं, 'मेरे बेटे को ओनम त्योहार के दौरान ही मार दिया था। एक मां की प्रार्थना को भगवान ने सुना और कोर्ट ने दोषियों को सजा दी।' द हिंदू में छपी खबर में प्रभावती ने मीडिया के साथ—साथ सीपीआई के नेता ईके राजू और उनके भाई को बहुत शुक्रिया कहा और बताया कि बिना पत्रकारों के सहयोग के मैं यह लड़ाई नहीं लड़ पाती।

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