गोहत्या के नाम पर यूपी में भीड़ ने फिर किया एक दादरी कांड

Update: 2018-06-19 05:59 GMT

गोकशी का आरोप लगाते हुए लाठी-डंडों से पीट-पीटकर 48 वर्षीय कासिम को मार डाला, जबकि 72 वर्षीय बुजुर्ग समीउद्दीन को अधमरा करके छोड़ दिया। इलाज के दौरान समीउद्दीन की भी मौत हो गई....

सुशील मानव की रिपोर्ट

जनज्वार। उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के पिलखुआ कस्बे में फिर एक बार गोहत्या के नाम पर दर्जनों लोगों की भीड़ ने एक व्यक्ति को पीट—पीट कर मार डाला। इस घटना ने दादरी में मारे गए अखलाक की याद को ताजा कर दिया है। केंद्र में भाजपा की सरकार बनते गौतमबुद्धनगर जिले के बिसाहड़ा गांव में भीड़ ने घर में गोमांस रखने के आरोप में अखलाक को मार डाला था।

कल सोमवार 18 जून की दोपहर पिलखुवा कोतवाली के गांव बझैड़ा खुर्द में दर्जनों वहशी लोगों ने गोकशी का आरोप लगाते हुए लाठी-डंडों से पीट-पीटकर 48 वर्षीय कासिम को मार डाला, जबकि 72 वर्षीय बुजुर्ग समीउद्दीन को अधमरा करके छोड़ दिया। इलाज के दौरान समीउद्दीन की भी मौत हो गई है। वारदात के वक्त कासिम जंगल की ओर जा रहे थे और समीउद्दीन अपने खेत पर चारा काट रहे थे।

अखलाक हत्याकांड का मुख्य आरोपी भी रिहा

सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने गांवों में व्याप्त तनाव को देखते हुए किसी बड़ी घटना की आशंका के मद्देनजर गांवों में पुलिस-पीएसी तैनात कर दी और उसके बाद लीपापोती करके इसे बाइक की टक्कर लगने के बाद हुई मारपीट की घटना की तरह पेश रही है। इस मामले को लेकर गांव बझैड़ा खुर्द और मदापुर में तनाव व्याप्त हो गया, जिसमें दोनों गांवों के सैकड़ों ग्रामीण आमने-सामने आ गए। परंतु पुलिस के प्रयास के बाद लौट गए।

इस पूरे मामले में मदापुर के गांव के लोगों का कहना है कि कासिम (48) बकरी के बच्चे बेचने का काम करता था। कासिम गाज़ीपुर दिल्ली की पैठ से बकरी के बच्चे लाकर पिलखुआ और आसपास के गावों में घूम—घूमकर बेचता था।

कल शाम कासिम बकरी बच्चों के रेवड़ के साथ धौलाना से वापस पिलखुआ की तरफ आ रहा था, पीछे से मोटरसाइकिल सवार लड़कों ने कासिम के बकरी के बच्चों को टक्कर मारकर घायल कर दिया. इस घटना पर कासिम की कहासुनी हो गई. मोटरसाइकिल सवार कहासुनी के बाद आगे बढ़ गए और कासिम भी अपने रास्ते चल पड़ा, मगर कासिम को पता नहीं था कि उसकी ज़िन्दगी खत्म कर देने का प्लान बना लिया गया है।

चलती ट्रेन में फिर हुआ एक परिवार पर सांप्रदायिक हमला

मोटरसाइकिल सवार बझैड़ा खुर्द (छोटा बझैड़ा) के राजपूत बहुल गांव के रहने वाले थे। इन लोगों ने प्लानिंग के तहत कुछ दूसरे लोगों को रास्ते पर चलते हुए कासिम के पास भेजा। कासिम से कहा कि वो कुछ बकरी के बच्चे खरीदना चाहते हैं या उनके पास बकरी के बच्चे हैं बेचना चाहते हैं, साथ चलकर देख ले। इस तरह कासिम को झांसा देकर रास्ते से हटाकर खेतों की तरफ ले जाया गया। वहां मोटरसाइकिल सवार उन्हीं लोगों के अलावा कुछ और लोग फावड़ा कुदाल डंडे लिए तैयार खड़े थे।

भीड़ कासिम को घसीटकर ले जा रही थी और पुलिस देख रही थी तमाशा

भीड़ ने कासिम को पीटना शुरू किया तो पास की खेतों में काम कर रहे 72 वर्षीय समीउद्दीन को चीखने चिल्लाने की आवाज़ें पहुंची। समीउद्दीन (समयदीन) मामले से अनजान थे, वो भीड़ की तरफ पहुंचे तो पता चला कि भीड़ कासिम को फावड़े कुदालों से मार रही है। ज़ाहिर है समयदीन ने भीड़ को रोकना चाहा, लेकिन ये भीड़ हत्यारों की भीड़ थी। सबूत या गवाह खत्म कर देने की गरज़ से समीउद्दीन (समयदीन) पर भी हमला कर दिया गया।

इस वारदात में कासिम की मौत घटनास्थल पर ही हो गई थी इसलिए हत्यारों ने वीडियो बनाकर इसमें गौकशी का झूठा ज़िक्र किया है मामला पूरी तरह दो बेगुनाहों को पीट पीटकर मार डालने का है। घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने कासिम के मरने पर पुलिस को गौकशी का मामला बताकर सूचना दी। जबकि घटनास्थल पर गौकशी का कोई सबूत या सामान नहीं पाया गया है दो बछड़े घटनास्थल पर लाकर बांध दिए गए ताकि पुलिस को बताया जाए कि मृतक वाकई गौकशी करना चाहते थे। मृतक कासिम के बकरी बच्चे भी लूट लिए गये।

पुलिस दोनों विक्टिम को लेकर अस्पताल पहुंची तो डाक्टर ने कासिम को मृत घोषित कर दिया, समयदीन को गंभीर घायल अवस्था में भर्ती कराया गया। अभी अभी मिली जानकारी के मुताबिक घायल समीउद्दीन (समयदीन) की भी मौत हो गई है।

बेहद कठिन दौर से गुजर रहा देश का सभ्य समाज

आज सुबह दस बजे मृतक कासिम को पोस्टमार्टम के बाद कब्रिस्तान में दफन कर दिया गया है दूसरे मृतक समयदीन को उसके गांव मदापुर में दफन किए जाने की तैयारी चल रही है। पिलखुआ और मदापुर दोनों जगह भारी पुलिस फोर्स तैनात किया गया है आला पुलिस अधिकारी मौके पर डेरा डाले हुए हैं। पुलिस प्रशासन घटना के दोषियों को जल्द गिरफ्तार करने के लिए भागदौड़ कर रहा है।

इन घटनाओं का सिलसिला देखा जाए तो मई 2014 की तारीख ने देश की तासीर बदल दी। कानून और संविधान तारीखों के साथ बहुत पीछे छूट गये हैं। ये देश अब हत्यारों का बूचड़खाने बन चुका है और मुसलमान हत्यारों का प्रिय शिकार! उस तारीख के बाद हत्यारों के दांत और पंजे और नुकीले और बड़े हो गये हैं।

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