पीएम मोदी को पहले आतंकियों से खतरा था, फिर माओवादियों से हुआ और अब वह मंत्रियों—अधिकारियों से भी हो गया है, ऐसे में सवाल यह है कि क्या अब प्रधानमंत्री को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सीधे आरएसएस अपने हाथों में लेगा या कुछ और सोचा जाएगा
खुद को देश का चौकीदार बताकर चुनाव जीतने वाले मोदी की जान को अब खतरा इतना बढ़ गया है खुफिया एजेंसियां उन्हें किसी से सीधे मिलने पर हत्या का आशंका जता रही हैं
पीएम मोदी को है अब किसी अज्ञात से खतरा, बिना एसपीजी परमिशन के नहीं मिल सकेगा कोई
जनज्वार, दिल्ली। मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जिनकी जान के खतरे का सवाल एक जुमला बन गया है और विपक्षी पार्टियां और जनता इसे मोदी की घटती लोकप्रियता के लिए किया जा रहा एक राजनीतिक स्टंट बता रही हैं।
हालांकि देश के प्रधानमंत्री के जीवन का मसला है, इसलिए जान के खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता और न ही मजाक में लिया जाना चाहिए, लेकिन प्रधानमंत्री के जान के खतरे का जो प्लॉट जांच एजेंसियां या खुफिया तैयार करती है, वह बहुत ही अविश्नीय या यों कहें की किस्सागाई लगती है।
ताजा प्लॉट के अनुसार गृह मंत्रालय ने प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा को बड़ा खतरा बताते हुये नये नियम जारी किये हैं। इस नए नियम की प्रतियां सभी राज्यों के डीजीपी को भेज दी गयी हैं। भेजी गयी प्रतियों में राज्यों और डीजीपी से साफ कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी की विशेष सुरक्षा में तैनात एजेंसी 'एसपीजी' की इजाजत के बिना अब मंत्री और अधिकारी भी उनके नजदीक नहीं जा सकेंगे।
गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक खुफिया एजेंसियों को ऐसा इसलिए करना पड़ा है कि 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री प्रचार के मुख्य चेहरा होंगे। प्रमुख चेहरा होने के कारण उन्हें हजारों सभाएं और रैलियां करनी होंगी, जिसका कोई भी साजिशकर्ता फायदा उठा सकता। प्रधानमंत्री को लेकर यह फैसला एजेंसियों ने चुनाव प्रचार के दौरान उनके उपर होने वाले जानलेवा हमलों से सुरक्षित रखने के लिए किया है।
गृह मंत्रालय का ने पीएम मोदी को सलाह दी है कि रोड शो के दौरान ही बड़ा खतरा हो सकता है। पीएम मोदी की स्थानीय दौरे के दौरान पैरामिलिट्री और स्थानीय पुलिस का घेरा होगा।