कितनी बार बैकफुट पर आएगी उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार

Update: 2017-11-14 22:07 GMT

उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार ने बजाज आलियांज कंपनी पर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए उस पर मुकदमा दर्ज करने की बात कही है। जबकि कंपनी का कहना है त्रिवेंद्र सरकार ने मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के विस्तारीकरण का कोई आदेश जारी नहीं किया...

देहरादून से मनु मनस्वी

9 नवंबर 2017 को उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से आम जनता किसी खास सौगात की उम्मीद लगाए बैठी थी। मगर मुख्यमंत्री महोदय ने जनता की उम्मीदों को तगड़ा झटका देते हुए मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना अचानक बंद कर दी।

यह काम इतनी तत्परता से हुआ कि प्रदेश के सभी अस्पतालों में इस योजना के लिए अधिकृत की गई बीमा कंपनी बजाज आलियांज द्वारा सभी अस्पतालों को मेल भेजकर सूचना दी गई कि सरकार के निर्णय के अनुसार 9 नवंबर 2017 को सायं तीन बजे से यह योजना समाप्त की जा रही है। सूचना मिलने के बाद आए मरीजों को इलाज के लिए शुल्क चुकाना पड़ा। शुल्क चुकाने में असमर्थ मरीजों को वापस भेज दिया गया।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना (एमएसबीवाई) के तहत राज्य के गरीब तबके के मरीजों को सरकारी अस्पतालों में निशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जाती थी।

इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को एमएसबीवाई कार्ड जारी किए गए थे, जिसके आधार पर सरकारी एवं चुनिंदा निजी अस्पतालों में सामान्य बीमारियों के लिए 50 हजार तथा गंभीर बीमारियों के लिए 1 लाख 25 हजार तक का नकदरहित उपचार प्रदान किया जाता था। 1 अप्रैल 2015 को लागू हुई इस जनहितकारी योजना से प्रदेश के लाखों लोग लाभान्वित हो रहे थे।

चारों ओर इस निर्णय की आलोचना होते देख सरकार ने समाचार पत्रों के माध्यम से बताया कि यह योजना बंद नहीं की गई है, बल्कि जारी है। अब सीएमओ इसके कर्ताधर्ता होंगे और सरकार शीघ्र ही किसी नई कंपनी को इस हेतु अनुबंधित करेगी।

सरकार ने बजाज आलियांज कंपनी पर अनियमितताओं के आरोप लगाते हुए उस पर मुकदमा दर्ज करने की भी बात कही है। दूसरी ओर बजाज आलियांज कंपनी के अनुसार सरकार की तरफ से कंपनी को इस योजना के विस्तारीकरण के विषय में कोई आदेश नहीं दिए गए, जिसके कारण कंपनी ने यह कदम उठाया।

बहरहाल सवाल यह है कि सूबे में सरकार गठन के छह माह बाद भी सरकार को स्वास्थ्य जैसे महकमे से जुड़ी योजनाओं और उनकी समयसीमा आदि की जानकारी न होना लापरवाही तो है ही।

क्या स्वास्थ्य मंत्री को इस बात का ज्ञान नहीं था कि इस योजना के लिए अनुबंधित कंपनी के साथ उनका करार समाप्त होने वाला है। तय सीमा से पहले ही करार बढ़ाने का उपक्रम क्यों नहीं किया गया, ताकि मरीजों को इस प्रकार परेशानी का सामना न करना पड़ता।

Similar News