नैनीताल से रावत तो अल्मोड़ा से हरीश पर दांव खेल सकती है कांग्रेस

Update: 2018-01-31 15:42 GMT

कांग्रेस कुमाऊं में ऐसा सुरक्षित दांव चलना चाहती है कि उसे किसी कीमत पर कोई नुकसान न उठाना पड़े...

हल्द्वानी से हरीश रावत की रिपोर्ट

आसन्न लोकसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। इस बार कांग्रेस कुमाऊं मण्डल की दोनों लोकसभा सीटों को हथियाने के लिए अभी से नए समीकरण की तलाश में है। हालांकि अल्मोड़ा-पिथौरागढ सीट (सू) के लिए राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने पुनः दावेदारी ठोकी है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस उन्हें यथावत बनाए रखना चाहती है और इस सीट से किसी नए चेहरे पर दांव खेल सकती है।

ऐसे में सम्भव है कि कांग्रेस इस सीट से आप पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हरीश आर्या को अपना प्रत्याशी बना सकती है।

नए समीकरणों के तहत जहां नैनीताल-उधमसिंह नगर सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कांग्रेस के उम्मीदवार हो सकते हैं, वहीं अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ सीट पर भी वह नया प्रत्याशी उतारना चाह रही है। कांग्रेस के अन्दर के सूत्र बता रहे हैं कि कांग्रेस के ऊपरी स्तर पर हरीश आर्य के नाम पर तेजी से चर्चा चल रही है और उनकी उम्मीदवारी को लेकर संसदीय क्षेत्र के कांग्रेस विधायकों, पूर्व विधायकों व वरिष्ठ पदाधिकारियों की राय ली जा रही है।

बताया जा रहा है कि संसदीय क्षेत्र के तीन मौजूदा कांग्रेस विधायक हरीश आर्य के नाम पर हामी भर चुके हैं। दरअसल कांग्रेस कुमाऊं में ऐसा सुरक्षित दाव चलना चाहती है कि उसे किसी कीमत पर कोई नुकसान न उठाना पड़े।

पिछले चुनाव में कांग्रेस ने अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ सीट पर प्रदीप टम्टा अजय टम्टा से चुनाव हार गए थे। बाद में उन्हें राज्यसभा भेज दिया गया। राज्यसभा में उनका कार्यकाल सन् 2022 तक है। कांग्रेस की मंशा है कि प्रदीप टम्टा को राज्यसभा में ही बना रहने दिया जाए, क्योंकि अगर प्रदीप लोकसभा जीत जाते तो उन्हें राज्यसभा से इस्तीफा देना पड़ेगा और राज्यसभा उपचुनाव में उत्तराखण्ड विधानसभा की मौजूदा संरचना के अनुसार दोबारा इस सीट को हासिल करना मुश्किल नहीं, इसलिए नए चेहरे को मैदान में उतारा जाए।

इस लिहाज से हरीश आर्य कांग्रेस के खांचे में फिट बैठते हैं। जिला पंचायत सदस्य रह चुके हरीश पिछले चुनाव में इसी सीट पर आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं और कुमाऊं केसरी खुशी राम आर्य के पौत्र हैं।

खुशी राम आर्य के प्रति न केवल दलित समाज, बल्कि सवर्णों में भी पर्याप्त सम्मान का भाव रहा है। वैसे भी मंत्री पद मिलने के बाद अजय टम्टा के कद में जो बढ़ोतरी हुई है, उस लिहाज से कांग्रेस के पास उनका मुकाबला करने के बाद प्रदीप टम्टा के बाद हरीश आर्य का ही बेदाग चेहरा शेष बचता है।

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