खुले में शौच से मुक्त नहीं उत्तराखंड, खुद आ कर देख लें प्रधानमंत्री

Update: 2017-06-24 09:09 GMT

जनज्वार, हल्द्वानी। केन्द्र की भाजपा सरकार के स्वच्छता मंत्रालय ने उत्तराखंड बड़े जोर शोर के साथ यह घोषणा कर दी है कि यहां ग्रामीण क्षेत्र में खुले में शौच की प्रथा समाप्त हो गयी है। ऐसी उपलब्धि पाने वाला यह देश का चौथा राज्य है लेकिन हकीकत में सरकार के यह दावे झूठे हैं। हल्द्वानी से सटे एक ग्रामीण इलाके की पड़ताल करने के बाद मालूम हुआ की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को सफल साबित करने के लिये राज्य और केन्द्र की भाजपा सरकार झूठे दावे कर रही है।

हल्द्वानी शहर से सटे मल्ली बमौरी ग्राम सभा क्षेत्र में रकसिया नाला बहता है। इस नाले की दूसरी ओर बिठोरिया ग्राम सभा क्षेत्र है। इस नाले के ऊपर बने चंबल पुल के पास लोग खुले में शौच करते हैं। बिठोरिया ग्राम सभा क्षेत्र के ग्राम प्रधान सुरेश गौड़ का कहना है कि हमारी ग्राम सभा क्षेत्र के लोग यहां शौच करने नहीं जाते हैं। उनका दावा है कि यहां खेतों में काम करने के लिये जो मजदूर हैं उनके लिये तक अस्थाई शौचालय बनाये गये हैं। जबकि मल्ली बमौरी ग्राम सभा क्षेत्र के ग्राम प्रधान मुकुल बल्यूटिया कहते हैं कि मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के तहत इस ग्राम सभा में खर्च करने के लिये एक रुपया तक नहीं आया है। उन्होने कहा कि यहां के सांसद भाजपा पार्टी से हैं, इसके बावजूद उनकी सांसद निधी से तक यहां पर किसी शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार ने प्रधानों को मिलने वाले मद में कटौती की है। अब ऐसे में स्वच्छ ग्राम कैसे बनाया जाये। केवल दो ग्राम सभा में पड़ताल करने के बाद ही साबित हो जाता है कि केन्द्रीय स्वच्छता मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बिना किसी जांच पड़ताल के उत्तराखंड के खाते में इतनी बड़ी उपलब्धि इसलिये दर्ज करवा दी क्योंकि यहां पर भाजपा की सरकार है।

बमौरी ग्रामवासियों का कहना है कि प्रधानमंत्री खुद आकर देख सकते हैं कि सरकारी दावों के विपरीत खुले में शौच से मुक्त नहीं है उत्तराखंड।

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