महिलाओं को भाजपा से बचाओ

Update: 2017-08-22 15:23 GMT

पहाड़ में महिलाओं ने शराब के ठेके खोले जाने का विरोध किया तो भाजपा सरकार ने शराब बेचने के लिए गाड़ियां लगा दीं। यानी शराब तो किसी भी तरह प्रदेश में परोसी ही जाएगी...

किरन तिवारी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे देश में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा दिया। इसे महिला सशक्तीकरण का नाम दिया। अपने सांसदों, पार्टी कार्यकर्ताओं, मुख्यमंत्रियों के माध्यम से इस नारे को फ़ैलाने की बात कही। कार्यक्रम बनाए गए। नए—नए नारे गढ़े गए। ऐसा माहौल बनाया गया कि लगा कि पहली बार देश में महिलाओं के हितों की बात हो रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इन खोखले नारों की पोल उत्तराखंड में खूब अच्छी तरह खुल रही है। उत्तराखण्ड में भाजपा की  सरकार सत्तासीन है भाजपाई मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत कितना और किस तरह का महिला सशक्तीकरण कर रहे हैं, यह तो मानो एक मजाक लगता है। भाजपा सरकार का महिला विरोधी चेहरा अलग—अलग तरीके से सामने आ रहा है।  

गौरतलब है कि उत्तराखंड में महिलाएं ही सामाजिक एवं आर्थिक विकास की धुरी हैं। वे अपने हकों के लिए लगातार लड़ रही हैं। उत्तराखंड में महिलाएं ही शराब से सबसे ज्यादा त्रस्त हैं। जब इस बार प्रचंड बहुमत से प्रदेश में भाजपा की सरकार चुनी गई तो महिलाओं को भी लगा कि अब उनकी सुनी जायेगी, लेकिन उनकी उम्मीद धरी की धरी रह गई।

महिलाएं शराब के खिलाफ सड़कों पर उतरीं। उन्होंने कहा कि हमें शराब नहीं चाहिए। दूसरी तरफ भाजपाई त्रिवेंद्र सरकार ने जगह-जगह जबरदस्ती शराब के ठेके खोलने का फरमान जारी कर दिया। जब महिलाओं ने शराब के ठेके खोले जाने का विरोध किया तो सरकार ने शराब बेचने के लिए गाड़ियां लगा दीं। यानी शराब तो किसी भी तरह प्रदेश में परोसी ही जाएगी।

इस मामले में शराबबंदी आन्दोलन से जुड़ी बीना रावत कहती है कि 'अब हमारे पास आन्दोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। जो भी सरकार आती है वह शराब को अपने तरीके से गांव-गावं तक पहुंचा देती है। हाईकोर्ट ने जब तीन जिलों में शराबबंदी का आदेश दिया तो हमें लगा कि सरकार अब राज्य में शराबबंदी की ओर कदम बढायेगी। लेकिन हुआ उल्टा। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में फैसला रद्द करवा दिया। अब हम आन्दोलन कर रहे हैं। सरकार शराब को प्रशासन-पुलिस के बल पर बेच रही है।'

अब जब पहाड़ की महिलाएं अपनी ज़मीनों को बचाने के लिए पंचेश्वर बांध का विरोध कर रही हैं, तो सरकार के नुमाइंदे प्रशासन के माध्यम से उनकी आवाज दबाने में लग गए हैं। गौरतलब है कि पंचेश्वर बांध दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध होगा, जिसके डूब क्षेत्र में आने से सैकड़ों गांव तबाह होंगे। इससे पहले बांध से कितना विकास होता है यह हम टिहरी में देख ही चुके हैं। इतने साल गुजर जाने के बाद भी टिहरी बांध प्रभावित अभी तक अपनी जड़ों से हटाए जाने के दंश से उबर नहीं पाए हैं।

ऐसा ही कुछ अब पंचेश्वर में होगा। यह भाजपा सरकार का इंसानियत विरोधी के साथ—साथ महिला विरोधी चेहरा भी है। उत्तराखंड में नया नारा है- "महिलाओं को भाजपा से बचाओ"

पंचेश्वर बांध के बनने के बाद के खतरे को भांपते हुए आन्दोलन से जुड़ी यशोदा कहती हैं, 'सरकार विकास की बात करती है। हमें बिजली, पानी, सड़क शिक्षा तो मिली नहीं, विकास किसका हुआ। अब हमें दुबारा वह समझा रही है कि विकास के लिए बांध बन रहा है। हम ऐसे बांध का विरोध करते हैं। ऐसे विकास का भी, जो हमें बेघर कर रहा है।'

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