ब्रेन स्ट्रोक के बाद 12 सितंबर को किया गया था दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में भर्ती, चले गए थे अचेतावस्था में
जनज्वार। हिंदी के प्रख्यात कवि और अनुवादक विष्णु खरे जो आजकल दिल्ली सरकार की हिंदी अकादमी में उपाध्यक्ष थे का ब्रेन स्ट्रोक के बाद दिल्ली के जी.बी. पंत अस्पताल में निधन हो गया।
बहुत नाजुक हालत में वे आईसीयू में भर्ती थे, डॉक्टर भी लगभग जवाब दे चुके थे। उनके शरीर के बाएं हिस्से में लकवा मार गया था। उनका निधन हिंदी साहित्य जगत की एक अपूर्णीय क्षति है। सोशल मीडिया पर तमाम साहित्यकार—पत्रकार उनके निधन पर दुख व्यक्त कर रहे है।।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में जन्मे विष्णु खरे कवि के साथ ही अनुवादक, फिल्म आलोचक, पटकथा लेखक और पत्रकार भी रहे हैं। वे मयूर विहार के हिंदुस्तान अपार्टमेंट में किराए के एक कमरे में अकेले रह रहे थे। कुछ साल पहले दिल्ली छोड़कर मुम्बई चले गए विष्णु खरे दिल्ली हिंदी अकादमी का उपाध्यक्ष बनने के बाद यहां अकेले वापस लौटे थे।
विष्णु खरे के निधन की सूचना साझा करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार—लेखक विष्णु नागर कहते हैं, 'जो होना नहीं चाहिए था लेकिन जो होने की आशंका थी,वह हुआ कि अभी- अभी मिली सूचना के अनुसार विष्णु खरे हमारे बीच नहीं रहे।'
साहित्यकार धीरेंद्र अस्थाना लिखते हैं, 'महाशोक, दुआएं हार गयीं जीत गया काल। हमारे महत्वपूर्ण रचनाकार और युवाओं के दोस्त विष्णु खरे नहीं रहे। दरिद्र हुआ हिंदी साहित्य।'
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नवभारत टाइम्स मुंबई के संपादक और साहित्यकार सुंदर चंद ठाकुर ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है, 'विष्णु खरे चले गये। कुछ ही देर पहले। कौन है जो अब हिंदी साहित्यकारों को फटकार लगायेगा।'
79 वर्षीय विष्णु खरे नाइट ऑफ द व्हाइट रोज सम्मान, हिंदी अकादमी साहित्य सम्मान, शिखर सम्मान, रघुवीर सहाय सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान से जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजे जा चुके हैं।