YES BANK संकट का हिमाचल के 6 जिलों के सहकारी बैंकों पर असर, लेन-देन पूरी तरह ठप्प
हिमाचल प्रदेश प्रदेश के कम से कम छह जिले इस वक्त यस बैंक के संकट से प्रभावित है। इसमें सिरमौर, शिमला, मंडी, चंबा, बिलासपुर और किन्नौर शामिल है। यहां एटीएम भी नही चल रहे हैं। सहकारी बैंक ने भी अपने एटीएम बंद कर दिए हैं....
जनज्वार। यस बैंक के संकट का असर हिमाचल के सहकारी बैंकों पर भी पड़ता नजर आ रहा है। यहां के सहकारी बैंक यस बैंक को गेटवे के तौर पर इस्तेमाल करते थे। अब क्योंकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने यस बैंक पर पाबंदी लगा दी है। इसका असर हिमाचल के सहकारी बैंकों पर भी पड़ रहा है। करीब सात लाख कस्टमर आन लाइन लेन देन नहीं कर पा रहे हैं।
राज्य सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक डा. पंकज ललित ने बताया कि आज इस समस्या को लेकर बैठक की जा रही है। उम्मीद है इसका कोई न कोई हल निकाल लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि हम अब यस बैंक की जगह दूसरे बैंक का अपना गेट वे बनाने पर विचार कर रहे हैं। इसके लिए बातचीत चल रही है।
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ग्राहकों के चैक क्लीयर नहीं हो रहे हैं। वह ऑन लाइन लेनदेन नहीं कर पा रहे हैं। प्रदेश के कम से कम छह जिले इस वक्त यस बैंक के संकट से प्रभावित है। इसमें सिरमौर, शिमला, मंडी, चंबा, बिलासपुर और किन्नौर शामिल है। यहां एटीएम भी नही चल रहे हैं। सहकारी बैंक ने भी अपने एटीएम बंद कर दिए हैं। सहकारी बैंक के खाताधारकों ने बताया कि वह ऑन लाइन लेनदेन नहीं कर पा रहे हैं। इसी तरह से नकदी के लिए उन्हें बैंक की शाखा में जाना पड़ रहा है। एटीएम भी काम नहीं कर रहे हैं।
राज्य सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक डा. पंकज ललित ने बताया कि बैंक में रखा गया सभी ग्राहकों का पैसा सुरक्षित है। एक-दो दिन के भीतर सहकारी बैंक अपना गेट वे बदलकर ग्राहकों को पूर्व की तरह सुचारु सेवाएं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि कस्टमर को जो दिक्कत आ रही है, इसका हमें खेद है।
कस्टमर ने बताया कि यस बैंक की समस्या तो कई दिनों से चल रही है। लेकिन समय रहते बैंक प्रबंधन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। अब जबकि हालात काबू से हो गए हैं, अब बैंक प्रबंधन की ओर से सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र के बैंक को गेट वे बनाया ही क्यों गया? सरकारी बैंक को ही गेटवे बनाया जाना चाहिए था।
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उनका यह भी आरोप है कि बैंक प्रबंधन की ओर से उन्हे कोई जानकारी नहीं दी जा रही है, कब तक समस्या का हल हो सकता है। चंबा निवासी सूरज ठाकुर ने बताया कि ज्यादातर ग्रामीणों का एकाउंट इसी बैंक में हैं। उनके चैक कैश नहीं हो रहे हैं, इस वजह से उनका लेनदेन पूरी तरह से ठप हो गया है। उनकी कई किश्त जानी होती है। इस तरह से चैक कैश न होने से वह डिफाल्टर हो सकते हैं। इस तरह से उन्हें अतिरिक्त पैसा ब्याज के तौर पर देना होगा। सहकारी बैंक प्रबंधन उनकी इस समस्या की ओर देख ही नहीं रहा है।