है काम कठिन उसका भी बहुत जो तेरा मल-मूत्र तक उठा रहा

Update: 2018-07-22 12:26 GMT

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रश्मि दीक्षित की कविता 'जात—पात'

जात—पात का भेद ए बंदे

किसको तू है बता रहा

है रंग खून का एक ही जब

तू तन का रंग क्यों दिखा रहा।

रहता होगा तू ऊंचे घर में

घर का दम क्यों दिखा रहा।

वो वजह है तेरे चमकते घर की

जो तेरे घर का कूड़ा उठा रहा।

होगा मालिक तू परिवार का अपने

जात से हुकूमत क्यों दिखा रहा।

दुनिया का मालिक तो वो है प्यारे

इस संसार को जो है चला रहा।

करता होगा तू बड़ी नौकरी

अपने काम का दम क्यों दिखा रहा।

है काम कठिन उसका भी बहुत

जो तेरा मल—मूत्र तक उठा रहा।

पड़कर ऊंच—नीच के भेद में

अपने जीवन को गलत राह क्यों दिखा रहा।

सब एक ही हैं ईश्वर के बंदे

जिनमें अंतर तू बता रहा

जिनमें अंतर तू बता रहा...

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