संविधान में ही अनुमति थी धारा 370 हटाने की, अब वही अनुमति दे रहा है NRC-CAA लागू करने की
रोहतक के युवा कवि संदीप कुमार की कविता 'संविधान'
जब भी संविधान बचाने की बात आती है
मुझे पाश बहुत याद आते हैं
जो संविधान कविता में लिखते हैं
"इस पुस्तक को मत पढ़ो,
यह पुस्तक मर चुकी है।"
पाश ने ये शब्द यों ही नहीं लिखे थे
उन्होंने देखी थी
निहत्थे लोगों पर पुलिस की चलती गोलियां
समझदार लोगों को आलोचना करने पर
हाथों में लगती हथकड़ियां
और यह सबकुछ संविधान के दायरे में था।
अभी जो कुछ हो रहा है
वह भी संविधान के दायरे में हो रहा है
चाहे धारा 144 लगानी हो
चाहे अफस्पा जैसे काले कानून
रोजगार मांगते युवाओं पर लाठीचार्ज करना हो
या फिर फ्री शिक्षा मांगते छात्र छात्राओं पर
आंसू गैस के गोले फेंकने हों
फसल का उचित दाम मांगते किसानों को
जेल भेजना हो या फिर
बलात्कार के खिलाफ प्रदर्शन करती महिलाओं को
कॉलर पकड़ कर खींचना हो
सबकुछ करने की इजाजत संविधान सम्मत है।
संविधान में ही अनुमति थी
धारा 370 हटाने की
अब संविधान ही अनुमति दे रहा है
NRC, CAA लागू करने की
इसलिए मैं नहीं कहता संविधान बचाओ
क्योंकि, सबकुछ संविधान के दायरे में हो रहा है ।
मैं इस वक्त संविधान की अपेक्षा
इंसानियत को बचाने की बात करूंगा
और वक्त आने पर
संविधान बदलने की बात भी करूंगा
किसी धर्म, जाति, लिंग, क्षेत्र को
फायदा पहुंचाने के लिए नहीं
इंसानों को बचाने के लिए।