'2 साल से चालू हॉस्पिटल का PM मोदी ने 10 करोड़ रुपये खर्च करके किया उद्घाटन' RSS प्रचारक का दावा
दो साल से चालू अस्पताल के इंस्पेक्शन के लिए पीएम मोदी आये, उसके बाद पीएम कार्यालय ने यहां के कलेक्टर को, कार्पोरेशन को पीएम की विजिट का बिल दिया 10 करोड़ रूपये...
Janjwar Exclusive : गुजरात के जामनगर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमपी शाह मेडिकल कॉले का उदघाटन इसी वर्ष जून माह में किया था। इस बीच गुजरात चुनाव को लेकर जनज्वार की टीम गुजरात दौरे पर है। इस दौरान जनज्वार को यहां एक RTI एक्टिविस्ट उपेंद्र सिंह परमार मिले। उपेंद्र सिंह ने जनज्वार को जो बातें बताई वह सीधे तौर पर प्रधानमंत्री और जामनगर के सरकारी अमले को बेनकाब करती है।
गौरतलब है कि RTI एक्टिविस्ट उपेंद्र सिंह परमार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संघ के प्रचारक के बतौर काम किया है और जनज्वार से हुई एक बातचीत में वह कहते भी है कि 'नरेंद्र भाई के साथ उनका रिश्ता ऐसा रहा है कि जैसे मैं बर्तन धोता था तो वह खाना बनाते थे और मैं खाना बनाता था तो नरेंद्र मोदी बर्तन धोते थे।' उपेंद्र सिंह परमार PM मोदी के बहुत करीबी रहे हैं तो जाहिर सी बात है कि उनके बारे में बहुत सी खास बातें वह जानते रहे हैं।
RTI कार्यकर्ता उपेंद्र सिंह परमार ने जनज्वार से बात करते हुए कहा कि, 'मेडिकल कॉलेज की यह बिल्डिंग जिसका प्रधानमंत्री ने आकर उद्घाटन किया वह दो साल से तो चल ही रही है। फिर पीएम ने आकर उद्घाटन क्यों किया समझ में नहीं आता। इसके बाद उपेंद्र ने एक और चौंका देने वाला तथ्य रखा, जिसमें कहा कि पीएम मोदी द्वारा यहां आकर उद्घाटन करने का खर्च 10 करोड़ रूपया आया है।'
इसके बाद उपेंद्र सिंह बताते हैं कि जब प्रधानमंत्री यहां छानबीन के लिए आये तो पीएम कार्यालय ने यहां के कलेक्टर को, कार्पोरेशन को पीएम की विजिट का बिल दिया 10 करोड़ रूपये का। इसके बाद यहां के कलेक्टर ने, कार्पोरेशन ने, हास्पिटल ने, जिला पंचायत वगैरा ने पीएम कार्यालय के बिल को थोड़ा-थोड़ा करके भरने की कोशिश की, जबकि यह बिल्डिंग कोरोना के समय से चल रही थी।
बता दें कि यह मेडिकल कॉलेज उसी वक्त का है जब प्रधानमंत्री ने एक साथ 15 से 20 मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन किया था। परमार आगे कहते हैं, अब 10 करोड़ का खर्चा कैसे आया और क्यूं आया यह तो पीएम कार्यालय ही जाने। इस बात की जानकारी का स्त्रोत मांगने पर उपेंद्र सिंह बताते हैं कि, 'जब प्रधानमंत्री यहां आए थे तो एक स्थानीय अखबार में इस विषय को लेकर खबर प्रकाशित हुई थी।'
इसके अलावा अन्य अस्पतालों की हालत या सुविधाओं के बारे में उपेंद्र परमार बताते हैं कि, 'यहां अस्पतालों के अंदर जो बेड इत्यादि होते हैं उसमें भी बड़ा घपला होता है। डॉक्टर भी नहीं आते लेकिन उनकी प्रजेंट दिखाई जाती है। इसी तरह करोड़ों रूपये का घपला होता है। उपेंद्र कहते हैं कि ये एक ऐसा घपला है जिसे आप उजागर करने जाओ तो कर नहीं सकते, लेकिन जमीनी हकीकत यही है।'
उपेंद्र आगे बात करते हुए कहते हैं, यहां का जो मेडिसिन विभाग है, उसके अंदर जो आम दवाई जिसे बोलते हैं उनमें जैसे, डायबिटीज, शुगर चेक करने की सुविधा है, वो दवा 10 दिन तक आती ही नहीं है। अब बताइये जब डायबिटीज के मरीज को 10 दिन दवा नहीं मिलेगी तो वो कैसे चलेगा। इस सिलसिले में उपेंद्र ने यहां के सुप्रिटेंडेट से बात की तो, बकौल उपेंद्र सुप्रिटेंडेंट कोई जवाब नहीं दे पाए।
उपेंद्र आगे कहते हैं कि, यहां की एमआरआई मशीन खराब पड़ी हुई है। पिछले दो तीन साल से खराब पड़ी है। 1 करोड़ 15 लाख की MRI मशीन सरकार के लिए कोई बड़ी बात नहीं है। यहां के जितने 182 एमएलए हैं उन्हें कोरोना में हेल्थ का जो बजट मिलता ता वो तो मिलता ही है। इसके बाद भी बिना मांगे प्रत्येक एमएलए को 15-15 लाख रूपये दे दिया, लेकिन यहां गरीबों के लिए कोई सुविधा कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है।