आपदा में अवसर : कानपुर के बिल्हौर की निजी राइस मिल में पैक हो रहा था सरकारी गेहूं, 400 से ज्यादा बोरियां बरामद

आशंका है कि धांधली में खरीद केंद्र वालों की भी मिलीभगत है, इससे पहले भी सरकारी बोरियों में गेहूं भरकर खरीद केंद्र भेजा गया होगा, इस मामले की जांच की जा रही है...

Update: 2021-05-24 05:27 GMT

जनज्वार, कानपुर। यूपी के कानपुर में गेहूं खरीद केंद्र और राइस मिल के बीच बड़ी सांठगांठ का मामला प्रकाश में आया है। उत्तरीपुरा की एक राइस मिल में 400 से ज्यादा गेहूं की सरकारी बोरियां बरामद हुई हैं। बताया जा रहा है कि गेहूं की यह बोरियां शिवराजपुर ब्लॉक के भैसऊ में पीसीएफ गेंहू खरीद केंद्र भेजी जानी थीं।

जानकारी के मुताबिक गेहूं आसपास के किसानों से 1600 से लेकर 1625 रुपये प्रति क्विंटल के दाम पर खरीदा गया था, जिसके बाद इसे खरीद केंद्र भेजकर घोषित सरकारी मूल्य 1975 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से भुगतान कराने कि तैयारी थी। मामले में खुलासे के बाद सवाल उठ रहे हैं कि बिना खरीद केंद्र की मिलीभगत के आखिर ये बोरियां निजी राइस मिल तक पहुंची तो कैसे? एसडीएम मीनू राणा ने मिल मालिक विनय उर्फ गुड्डू तिवारी पर दर्ज करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कर्मचारियों के खिलाफ भी एक जांच बैठा दी है।

तहसील बिल्हौर की उप जिलाधिकारी मीनू राणा ने बताया कि रविवार 23 मई को सूचना मिली थी कि उत्तरीपुरा स्थित शंकर राइस मिल में सरकारी बोरियों में गेहूं की बड़े पैमाने पर पैकिंग की जा रही हैं। यह मिल किसी गुडडू तिवारी की बताई जा रही है। पैकिंग के बाद यहां से गेहूं की बोरियां भैसऊ स्थित पीसीएफ केंद्र भेजी जानी थीं। इन बोरियों से 350 रुपये से लेकर 375 रुपये प्रति क्विंटल लाभ कमाने की तैयारी की जा रही थी।

शंकर राइस मिल में छापे के दौरान 400 से भी ज्यादा गेहूं से भरी बोरियां बरामद की गई हैं। इसके साथ ही दर्जनों बोरियों में गेहूं भरने का काम चल रहा था। एसडीएम ने इस संबंध में गुडडू तिवारी सहित उसके कर्मचारियों से भी बात की, जिसमे एक भी व्यक्ति इन बोरियों के संबंध में सही जवाब नहीं दे पाया।

एसडीएम मीनू राणा ने इस मामले में कहा, 'बोरियों को कब्जे में ले लिया गया है। सोमवार 24 मई को मामले की जांच करने के बाद कार्रवाई की जाएगी। यदि जांच में किसी प्रकार की धांधली सामने आई तो संबंधितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जा सकता है।'

गौरतलब है कि सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 1975 रुपये घोषित किया है। क्षेत्रीय किसान अपनी बोरियों में गेहूं भरकर सरकारी खरीद केंद्र ले जाता है। तौल कराने के बाद गेहूं सरकारी बोरियों में भरा जाता है, जिसका पैसा गेहूं लाने वाले किसानों के खातों में भेज दिया जाता है। इस मामले में जो गड़बड़ी है वह यह कि गेहूं की सरकारी बोरियां केंद्र से बाहर निजी राइस मिल में कैसे पहुंच गईं?

आशंका जताई जा रही है कि इस धांधली में खरीद केंद्र वालों की भी मिलीभगत है। आशंका यह भी है कि इससे पहले भी सरकारी बोरियों में गेहूं भरकर खरीद केंद्र भेजा गया होगा। इस मामले की जांच की जा रही है। आरोप गंभीर हैं और सुबूत सामने ऐसे में एसडीएम मीनू राणा जो कार्रवाई करेंगी वह देखने वाली बात रहेगी।

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