पहले विधानसभा चुनाव में मात खाने वाली 'आप' इस बार नई रणनीति के तहत दे रही पंजाब मे दस्तक

ऐसा नहीं है कि पंजाब में मुद्​दों की कमी है, लेकिन आम आदमी पार्टी इस पर फोकस करने से चूक गई। पंजाब की राजनीति कवर करने वाले सीनियर पत्रकार सुखबीर सिंह ने बताया कि किसान आंदोलन में कांग्रेस आम आदमी पार्टी से आगे हैं....

Update: 2021-06-29 10:42 GMT

जनज्वार ब्यूरो/चंडीगढ़। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की चंडीगढ़ में मंगलवार की प्रेस कांफ्रेंस कई मायने में खास रही। अगले साल पंजाब में विधानसभा चुनाव है।इसलिए यह कांफ्रेंस ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है। आम आदमी पार्टी कमोबेश दिल्ली के फार्मूले पर पंजाब में सत्ता हासिल करने की कोशिश में हैं। लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी की पंजाब में पहले वाली पकड़ नजर नहीं आ रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण तो पिछले दिनों हुए स्थानीय निकाय चुनाव में देखने को मिला। इन चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 1606 उम्मीदवार उतारे थे। आम आदमी पार्टी को 3.04 प्रतिशत मत मिले केवल 66 उम्मीदवार ही जीत हासिल कर पाए। अपने पहले ही चुनाव में आम आदमी पार्टी पंजाब में प्रमुख विपक्षी दल बन गई थी।

लेकिन इसके बाद पार्टी का लगातार ग्राफ गिरता जा रहा है। इसे रोकने की दिशा में पार्टी ज्यादा कुछ नहीं कर पाई। सुखपाल सिंह खैरा समेत कई विधायकों ने पार्टी छोड़ दी है। पंजाब की राजनीति की समझ रखने वाले सोशल साइंस के प्रोफेसर डॉक्टर दिलेर सिंह का मानना है कि इस बार आम आदमी पार्टी की स्थिति पहले से कमजोर है। इसके पास नेताओं का अभाव है। प्रमुख नेता पार्टी छोड़ कर चले गए हैं।

हालांकि किसान आंदोलन को आधार बना कर आम आदमी पार्टी पंजाब में मजबूती करने की कवायद कर रही है, लेकिन कांग्रेस इससे कहीं आगे निकल गई है। स्थानीय निकाय चुनाव इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।

प्रोफेसर सिंह ने बताया कि दिल्ली मॉडल पंजाब में कामयाब होगा, इसमें उन्हें संश्य है। क्योंकि पंजाब में कृषि क्षेत्र में बिजली मुफ्त में दी जा रही है। अब केजरीवाल बाकी उपभोक्ताओं को भी बिजली 300 यूनिट बिजली मुफ्त में देने का वादा किया जा रहा है।

प्रोफेसर सिंह ने बताया कि आम आदमी पार्टी पंजाब में अपनी पकड़ बनाने में कामयाब नहीं रही है। विपक्ष में होने के बाद भी कोई मुद्दा पार्टी उठा नहीं पाई। जिससे लोगों के साथ जुड़ सके। बड़ी बात तो यह है कि पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को खासी उम्मीद थी, लेकिन दिल्ली नेतृत्व ने एक के बाद एक गलत निर्णय लेकर अपनी पकड़ कमजोर कर ली।

स्थिति यह है कि आम आदमी पार्टी विपक्ष में होने के बाद भी आपसी फूट का लगातार शिकार होती गई। इस वजह से मतदाताओं के बीच पार्टी की पकड़ लगातार कमजोर होती जा रही है।

ऐसा नहीं है कि पंजाब में मुद्​दों की कमी है, लेकिन आम आदमी पार्टी इस पर फोकस करने से चूक गई। पंजाब की राजनीति कवर करने वाले सीनियर पत्रकार सुखबीर सिंह ने बताया कि किसान आंदोलन में कांग्रेस आम आदमी पार्टी से आगे हैं।

सुखबीर सिंह ने बताया कि इसमें दो राय नहीं कि आम आदमी पार्टी के पास उत्साही कार्यकर्ता है। जो ग्राउंड पर काम करते हैं। दिक्कत यह है कि पार्टी के नेता कार्यकर्ताओं की मेहतन पर पानी फेर रहे हैं। नतीजा यह निकला कि कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा हुआ है।

अब विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं तो आम आदमी पार्टी का दिल्ली नेतृत्व सक्रिय हो रहा है। पिछली बार भी ऐसा ही हुआ था। नतीजा सभी के सामने हैं। इस बार भी स्थिति में बदलाव की संभावना कम ही नजर आ रही है।

इसलिए केजरीवाल ने जो घोषणाएं की है,इसका ज्यादा लाभ मिलता तो नजर नहीं आ रहा है। बाकी जो मुद्दे उन्होंने उठाए हैं, वह पुराने हैं। देखना होगा कि अब उनके नेता और कार्यकर्ता किस हद तक मतदाता के बीच में जाकर पार्टी को मजबूत करने का काम करेंगे।

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