अशोक गहलोत को डबल झटका, पायलट की बगावत के बाद अब इस पार्टी ने वापस लिया समर्थन

डिप्टी सीएम सचिन पायलट की बगावत के बाद राजस्थान में सियासी घमासान उफान पर है। सोमवार को दिनभर चली खींचतान के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने समर्थक विधायकों को जयपुर के होटल फेयरमोंट में शिफ्ट कर दिया...

Update: 2020-07-14 05:06 GMT

जनज्वार। डिप्टी सीएम सचिन पायलट की बगावत के बाद राजस्थान में सियासी घमासान उफान पर है। सोमवार को दिनभर चली खींचतान के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने समर्थक विधायकों को जयपुर के होटल फेयरमोंट में शिफ्ट कर दिया। हालांकि कांग्रेस का कहना है कि उनके पास अभी भी 107 विधायकों का समर्थन है और अशोक गहलोत सरकार पूरी तरह सुरक्षित है। कांग्रेस ने आज फिर से विधायक दल की बैठक बुलाई है और सचिन पायलट से भी उसमें हाजिर होने के लिए कहा है। इस बीच अशोक गहलोत सरकार को एक और झटका लगा है। सरकार में शामिल 'भारतीय ट्राइबल पार्टी' ने अपना समर्थन वापस ले लिया है।

क्षेत्रीय दल 'भारतीय ट्राइबल पार्टी' के राजस्थान में दो विधायक हैं, जिन्होंने अभी तक अशोक गहलोत सरकार को समर्थन दिया हुआ था। सोमवार देर रात भारतीय ट्राइबल पार्टी के अध्यक्ष महेश भाई वसावा ने अपने दोनों विधायकों को पत्र लिखकर निर्देश दिए कि अगर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होता है तो उनकी पार्टी ऐसी स्थिति में तटस्थ रहेगी। महेश भाई वसावा ने अपने विधायकों से कहा है कि प्लोर टेस्ट के दौरान ना तो उन्हें अशोक गहलोत के पक्ष में मतदान करना है और ना ही सचिन पायलट के पक्ष में। दोनों विधायकों से किसी भी तरह के शक्ति परीक्षण सदन से बाहर निकल आने के लिए कहा गया है।



वहीं एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, भारतीय ट्राइबल पार्टी के दोनों विधायकों ने कहा कि वो अशोक गहलोत सरकार के साथ हैं। दोनों विधायकों का कहना है, 'लगता है कोई भ्रम हुआ है। फिलहाल हम सरकार के साथ ही हैं, लेकिन अपनी पार्टी के शीर्ष नेताओं से बातचीत के बाद इस मामले में अंतिम फैसला लेंगे।' गौरतलब है कि हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान भी भारतीय ट्राइबल पार्टी के दोनों विधायकों ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया था।

इससे पहले रविवार देर रात सचिन पायलट ने पार्टी से बगावत करते हुए दावा किया कि उनके पास 30 विधायकों का समर्थन है और राजस्थान सरकार अल्पमत में है। हालांकि कांग्रेस ने सचिन पायलट के दावे पर सोमवार को जवाब देते हुए कहा कि उनके साथ केवल 16 विधायक हैं। इसके बाद शाम होते-होते कांग्रेस की तरफ से बयान आया कि केवल 10 से 12 विधायक ही सचिन पायलट के साथ हैं। वहीं, कांग्रेस का यह भी कहना है कि अशोक गहलोत सरकार पूरी तरह सुरक्षित है और उनके पास 107 विधायकों का समर्थन है।

वहीं, सोमवार को कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला भी जयपुर पहुंचे और सचिन पायलट से अपील करते हुए कहा, 'पिछले 48 घंटों के दौरान कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने कई बार सचिन पायलट से बात करने की कोशिश की है। वो वापस लौट आएं, जो भी मतभेद हैं उन्हें बैठकर सुलझाया जाएगा। अगर किसी को अपने पद या प्रोफाइल को लेकर कोई समस्या है, तो ऐसी स्थिति में पार्टी फोरम पर अपनी बात रखनी चाहिए।'

आपको बता दें रविवार को चर्चा थी कि सचिन पायलट भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हालांकि अब खबर है कि पायलट भाजपा में नहीं जाएंगे। सचिन पायलट के एक बेहद करीबी सहयोगी ने बताया कि वो भाजपा में शामिल नहीं हो रहे हैं और ना ही विपक्षी पार्टी के साथ किसी तरह की मुलाकात की उनकी कोई योजना है।' ऐसे में पायलट का अगला कदम क्या होगा, इसे लेकर सस्पेंस बरकरार है। वहीं अशोक गहलोत के घर बुलाई गई बैठक पर सचिन पायलट के करीबी नेता ने कहा कि जिस समय विधानसभा का कोई सत्र नहीं चल रहा है, उस समय मुख्यमंत्री का इस तरह व्हिप जारी करना नियमों के खिलाफ है। इसके अलावा मुख्यमंत्री के घर पर बैठक के लिए व्हिप कैसे जारी किया जा सकता है।

सचिन पायलट के करीबी नेता का कहना है कि पायलट ने पार्टी के राज्य प्रभारी अविनाश पांडे, कांग्रेस संगठन सचिव केसी वेणुगोपाल और दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के सामने कई बार अशोक गहलोत की कार्यप्रणाली को लेकर शिकायत की थी, लेकिन उनकी शिकायत पर कोई ध्यान ही नहीं दिया गया। गौरतलब है कि राजस्थान में चल रहा सियासी संकट उस वक्त शुरू हुआ, जब राज्य की कांग्रेस सरकार को गिराने के मामले में राजस्थान पुलिस के एसओजी ने अपना बयान दर्ज कराने के लिए सचिन पायलट को नोटिस भेजा।

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