AIMIM असदुद्दीन ओवैसी ने महिलाओं की शादी की उम्र 21 करने पर भारत की तुलना सोमालिया से की, जानें क्यों?
यह हास्यास्पद है कि आप 18 साल के बच्चों को लिव इन रिलेशनशिप के लिए सहमति जता सकते हैं लेकिन अपने जीवन साथी का चुनाव करने की आप इजाजत नहीं देंगे।
नई दिल्ली। एआईएमआईएम प्रमुख असदुदृीन ओवैसी ( AIMIM Chief Asduddin Owaisi ) ने आज उत्तर प्रदेश की चुनावी रण में सीएम योगी को कोसने के बदले लोकसभा में दिखाई दिए। लेकिन यहां पर भी उनका अंदाज वही था। उन्होंने लड़कियों की शादी की उम्र ( Girl marriage age ) 18 से 21 किए जाने पर संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ करार दिया। उन्होंने कहा कि 18 साल का बच्चा देश का पीएम चुन सकता है। लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकता है, लेकिन आप उसे शादी के अधिकार देने से इनकार कर रहे हैं। आपने 18 साल के बच्चे के लिए क्या किया है? भारत ( India ) में महिला श्रम शक्ति की भागीदारी सोमालिया ( Somalia ) से कम है। सरकार को इस दिशा में काम करनी चाहिए। इस बात की चिंता करनी चाहिए। ताज्जुब यह है कि सरकार को काम करना चाहिए, वो नहीं करती है, जो नहीं करना चाहिए वो करती है।
इससे पहले 17 दिसंबर को लड़कियों की शादी की उम्र 21 करने को लेकर केंद्रीय कैबिनेट (Union Cabinet) ने प्रस्ताव को मंजूरी देने पर भी उन्होंने सख्त विरोध किया था। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी सरकार के इस फैसले पर सवाल खड़े करते हुए अपने ट्वीट में लिखा था कि मोदी सरकार ने महिलाओं के लिए शादी की उम्र बढ़ाकर 21 करने का फैसला किया है। यह पितृसत्ता है जिसकी हम सरकार से उम्मीद करते आए हैं। 18 साल के पुरुष और महिला कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, व्यवसाय शुरू कर सकते हैं, प्रधान मंत्री चुन सकते हैं और सांसदों और विधायकों का चुनाव कर सकते हैं लेकिन शादी नहीं कर सकते?
यह बेहद हास्यास्पद है कि आप 18 साल के बच्चों को लिव इन रिलेशनशिप के लिए सहमति जता सकते हैं लेकिन अपने जीवन साथी का चुनाव करने की आप इजाजत नहीं देंगे। पुरुषों और महिलाओं दोनों को कानूनी तौर पर 18 साल की उम्र में शादी करने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि अन्य सभी चीजों के लिए उन्हें कानून वयस्कों के रूप में मानता है। उन्होंने कहा कि कानून होने के बावजूद बड़े पैमाने पर हो रहे बाल विवाह।
पीएम महिलाओं के लिए आर्थिक अवसरों को बढ़ाने पर ध्यान क्यों नहीं देते?
भारतीय कार्यबल में महिलाओं की घट रही हिस्सेदारी पर उन्होंने कहा था कि अगर पीएम मोदी ईमानदार होते तो महिलाओं के लिए आर्थिक अवसरों को बढ़ाने पर ध्यान देते। फिर भी भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी घट रही है। यह 2005 में 26% से 2020 में गिरकर 16 फीसदी हो गई। स्वायत्त निर्णय लेने को सुनिश्चित करने के लिए उनके शैक्षिक परिणामों में सुधार करना आवश्यक है। लड़कियों की शिक्षा में सुधार के लिए सरकार ने क्या किया है? बेटी बचाओ बेटी पढाओ बजट का 79% विज्ञापनों पर खर्च किया गया। उन्होंने सवालिया लहजे में पूछते हुए कहा कि आप चाहते हैं कि हम विश्वास करें कि इस सरकार के इरादे नेक हैं?