UP में बहिनजी के दरकते किले में अखिलेश यादव का मास्टरस्ट्रोक, बसपा विधायकों में बगावत
बसपा ने राज्यसभा के लिए रामजी गौतम को अपना प्रत्याशी बनाया है। कहा जा रहा था कि बीजेपी मायावती की पार्टी को अंदर ही अंदर समर्थन कर रही है....
जनज्वार। राजनीति का दिलचस्प उतार चढ़ाव देखना हो तो उत्तर प्रदेश से बढ़िया उदाहरण शायद ही कहीं मिले। यूपी में राज्यसभा चुनाव अब और मौजूं होता नजर आ रहा है। बीजेपी के 9 सीटों में से आठ पर प्रत्याशी खड़ा करने के बाद चर्चा हो रही थी कि बीएसपी का प्रत्याशी नौवीं सीट जीत सकता है। तो वहीं बसपा ने भी अपने प्रत्याशी रामजी गौतम की जीत का गणित ठीक होने का दावा किया था।
लेकिन अब आंकड़ों का समीकरण बिगड़ता नजर आ रहा है। बसपा प्रत्याशी के दस प्रस्तावकों में से पांच ने अपना नाम वापस ले लिया है। कहा जा रहा है कि पांचों विधायकों ने पार्टी से बगावत कर दी है। इसके अलावा दो और विधायकों को लेकर चर्चा तेज है कि वे मायावती के खिलाफ जा सकते हैं, और अखिलेश के संपर्क में हैं।
बसपा ने राज्यसभा के लिए रामजी गौतम को अपना प्रत्याशी बनाया है। कहा जा रहा था कि बीजेपी मायावती की पार्टी को अंदर ही अंदर समर्थन कर रही है। इसलिए बीजेपी ने अपना 9वां प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा है। रामजी गौतम की जीत पक्की मानी जा रही थी। इधर सपा ने प्रकाश बजाज को निर्दलीय प्रत्याशी बनवा दिया।
बसपा के दस विधायक मंगलवार 27 अक्टूबर को राज्यसभा प्रत्याशी रामजी गौतम के प्रस्तावक बने थे। जिसमे बुधवार 28 अक्टूबर की सुबह पांच विधायक असलम चौधरी, असलम राईनी, मुज्तबा सिद्दीकी, हाकम लाल बिंद, हरि गोविंद जाटव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने पहुंच गए। चर्चा है कि इन विधायकों और अखिलेश यादव के बीच काफी देर तक बंद कमरे में बातचीत हुई।
अखिलेश यादव से मुलाकात करके बाहर आए विधायक सीधा विधानसभा पहुंचे और यहां प्रस्तावक से अपना प्रस्ताव वापस ले लिया। वर्तमान विधानसभा सदस्यों की संख्या के हिसाब से देखें तो बीजेपी के पास 304 विधायक हैं। राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए 37 विधायकों के वोटों की जरूरत होती है। यानी 296 विधायकों के बल पर बीजेपी के आठ प्रत्याशियों की जीत तय है।
आठ सीटें जिताने के बाद बीजेपी के पास अपने आठ विधायक बच रहे हैं। जबकि, नौ विधायक बीजेपी के सहयोगी अपना दल (एस) के पास हैं। इसके अलावा एसपी के नितिन अग्रवाल, कांग्रेस के राकेश सिंह, अदिति सिंह और बीएसपी के अनिल सिंह भी बीजेपी के साथ माने जा रहे हैं।
इसके अलावा श्रावस्ती से एक बीएसपी विधायक, निर्दलीय राजा भैया और उनके सहयोगी विनोद सरोज और निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी के भी बीजेपी के ही साथ रहने की संभावना थी। इस हिसाब से बीजेपी को अपना नौवां प्रत्याशी जिताने के लिए महज 13 वोटों की और दरकार थी, फिर भी बीजेपी ने आठ प्रत्याशी उतारे। इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में बीएसपी प्रत्याशी को बीजेपी के बैकडोर से समर्थन देने की चर्चाएं तेज हुई हैं।