कश्मीर पर सर्वदलीय बैठक: दुनिया भर में हो रही बेइज्जती से बचने के लिए मोदी सरकार ने किया वार्ता का दिखावा
इस बैठक में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने स्वागत भाषण दिया। उसके बाद उन्हें बीते दो सालों में जम्मू-कश्मीर में किए गए विकास कार्यों के बारे में बताया गया। इसके बाद एक एक कर जम्मू-कश्मीर के नेताओं ने अपनी बातें रखी और अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी बात रखी....
जनज्वार डेस्क। एक बात पूरी तरह साफ हो गई है कि मोदी सरकार कश्मीर की जनता के साथ किसी तरह का इंसाफ करने के मूड में नहीं है, न ही धारा 370 को बहाल करने का उसका कोई इरादा है। अंतर्राष्ट्रीय दबाव और बेइज्जती के चलते उसने वार्ता का पाखंड जरूर करके दिखा दिया है।
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गुरुवार को नई दिल्ली में जम्मू, कश्मीर के 14 नेताओं के साथ हुई सर्वदलीय बैठक ख़त्म हो गई है।
देश की विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के साथ ही जम्मू-कश्मीर के गुपकार गठबंधन के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ फ़ारूक़ अब्दुल्लाह, उमर अब्दुल्लाह, महबूबा मुफ़्ती और ग़ुलाम नबी आज़ाद भी इस बैठक में शामिल हुए।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस बैठक में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने स्वागत भाषण दिया। उसके बाद उन्हें बीते दो सालों में जम्मू-कश्मीर में किए गए विकास कार्यों के बारे में बताया गया। इसके बाद एक एक कर जम्मू-कश्मीर के नेताओं ने अपनी बातें रखी और अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी बात रखी।
बैठक के बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री मुज़फ़्फ़र बेग ने कहा- बैठक में सरकार ने आर्थिक विकास की बात की। सबसे अधिक परिसीमन की बात की गई। अनुच्छेद 370 पर शिकायत तो लोगों ने की लेकिन यह मामला कोर्ट में है इसलिए इस पर कोई चर्चा नहीं की गई।
बीजेपी नेता कविंद्र गुप्ता ने कहा -बैठक में जम्मू कश्मीर के उज्जवल भविष्य पर चर्चा हुई। सभी नेताओं ने वहां चुनाव की बात की। प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि वहां परिसीमन की प्रक्रिया के बाद चुनाव होंगे।
बैठक के बाद जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के अल्ताफ़ बुखारी ने कहा--आज अच्छे माहौल में वार्ता हुई। सभी ने विस्तार से अपनी बात रखी है। पीएम और गृहमंत्री ने सबकी बातें सुनीं। पीएम ने कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया ख़त्म होने पर चुनाव प्रक्रिया शुरू होगी।
कांग्रेस की तरफ से ग़ुलाम नबी आज़ाद इस बैठक में मौजूद थे। उन्होंने कहा--हमने बताया कि जिस तरह से पूर्ण राज्य का दर्जा हटाया गया वो नहीं किया जाना चाहिए था। हमने पांच बड़ी मांगे रखी हैं। हमने पूर्ण राज्य का दर्जा जल्दी दिए जाने की मांग रखी। साथ ही ये भी मांग की कि वहां जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव करवाए जाने चाहिए। इसके अलावा हमने वहां के लोगों के लिए रोज़गार की गारंटी देने की मांग की। हमने सरकार से कहा कि वो कश्मीर के पंडितों को वापस लाएं। साथ ही हमने राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग की।
पाँच अगस्त, 2019 को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किया था। इसके बाद महबूबा मुफ़्ती और फ़ारूक़ अब्दुल्लाह, उमर अब्दुल्लाह समेत जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा के कई नेताओं को महीनों तक नज़रबंद रखा गया था। अब क़रीब दो साल बाद मोदी सरकार ने उन्हीं नेताओं को बुलाकर बातचीत की।
गुपकार नेताओं के दिल्ली आने से एक दिन पहले जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग ने बैठक की जिसमें वहां की विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्गठन और सात नई सीटें बनाने को लेकर विचार विमर्श किया गया।
बताया गया है कि इस वर्चुअल मीटिंग में जम्मू-कश्मीर के सभी 20 उपायुक्तों ने भाग लिया, जिसमें विधानसभा सीटों को भौगोलिक रूप से अधिक सुगठित बनाने के तरीक़े के बारे में जानकारी एकत्र की गई।
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई ने बताया है कि परिसीमन की प्रक्रिया के तहत जम्मू-कश्मीर में कुछ विधानसभा सीटों को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किया जाना है। इस कवायद के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की सीटें 83 से बढ़ कर 90 हो जाएंगी।