शिया वक्फ बोर्ड चुनाव की वैधता पर हाईकोर्ट ने योगी सरकार से मांगा जवाब, बढेंगी वसीम रिजवी की मुश्किलें

सवाल उठा है कि जब पिछले 10 सालों से वक्फ़ सम्पत्तियों का आडिट नहीं कराया गया है और पुरानी वोटर लिस्ट से मुतवल्ली कोटे का चुनाव कराया जा रहा है, तो फिर विवादों में घिरे पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी और सैयद फ़ैज़ी मुतवल्ली कोटे से फिर सदस्य कैसे चुने गए हैं...

Update: 2021-07-17 03:46 GMT

(शिया वक्फ बोर्ड चुनाव की वैधता पर इलाहाबाद हाईकोर्ट हुआ तल्ख, योगी सरकार से मांगा जवाब)

जनज्वार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चुनाव की वैधता की चुनौती याचिका पर राज्य सरकार व बोर्ड से जवाब मांगा है। कल 16 जुलाई को हुई सुनवाई में हाइकोर्ट ने कहा है कि यदि 24 मार्च 2021 अधिसूचना के तहत चुनाव करा लिया जाता है तो वह याचिका के निर्णय पर निर्भर करेगा। सरकार को जबाब दाखिल करने के लिए पांच हफ्ते का समय दिया गया है। याचिका की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने अल्लामा जमीर नकवी व अन्य की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने जवाबी हलफनामे के जरिए पूछा है कि मतदाता सूची के लिए मुतवल्ली किस आधार पर चयनित किए गए हैं। इससे पहले क्या इनकी वार्षिक आय की आडिट कराई गई है या नहीं। क्यों कि एक लाख की सालाना आय वाले मुतवल्लियों को ही सदस्य चुनने का अधिकार है।

याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एस एफ ए नकवी ने बहस की। इनका कहना था कि वक्फ एक्ट के अनुसार वक्फ के वही मुतवल्ली बोर्ड के सदस्य चुनते हैं, जिनकी वार्षिक आय एक लाख से अधिक हो, जिसके लिए वार्षिक आडिट किया जाना जरूरी है। बिना यह प्रक्रिया पूरी किए चुनाव कराना अवैध है। कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और जवाब मांगा है।

यूपी में शिया और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्डों में कुल 11 मेम्बर्स होते हैं, जिनमें आठ सदस्यों का अलग-अलग कैटेगरी में चुनाव किया जाता है, जबकि तीन सदस्यों को सरकार द्वारा नोमिनेट किया जाता है। इन्हीं 11 सदस्यों के बीच से चेयरमैन का चुनाव होता है। बोर्ड का सदस्य बनने के लिए मुतवल्लियों यानी वक्फ की प्रॉपर्टी के ट्रस्टियों के बीच से भी दो लोग चुने जाते हैं।

सहारनपुर के अल्लामह ज़मीर नक़वी और अन्य लोगों की तरफ से दाखिल की गई याचिका में यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा इसी साल 24 मार्च को जारी किये गए नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है। याचिका में मुतवल्ली कोटे का मानक तय करने के साथ ही वोटर लिस्ट तैयार करने और चुनाव के नोटिफिकेशन में नियमों की अनदेखी किये जाने का भी गंभीर आरोप लगाया गया है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जयंत बनर्जी की डिवीजन बेंच द्वारा की गयी।

गौरतलब है कि हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल होने के बाद ही सरकार ने चुनाव प्रक्रिया बीच में ही रोक दी थी, मगर वसीम रिजवी और सैयद फैजी 20 अप्रैल को मुतवल्ली कोटे से शिया वक्फ बोर्ड के सदस्य चुने गए थे।

याची का कहना है कि पिछले दस सालों से वक्फ़ सम्पत्तियों का आडिट नहीं कराया गया है और पुरानी वोटर लिस्ट से मुतवल्ली कोटे का चुनाव कराया जा रहा है। विवादों में घिरे पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी और सैयद फ़ैज़ी मुतवल्ली कोटे से फिर  सदस्य चुने गए हैं।  ग्यारह चुने  हुए और मनोनीत सदस्यों के द्वारा चेयरमैन का चुनाव किया जाता है। इनमें से आठ सदस्यों का चुनाव होता है, जबकि तीन नामित किये जाते हैं।

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