Amit Shah चाहकर भी गृह नगर की इस सीट पर नहीं दिला पा रहे BJP को जीत, एक बार फिर दांव पर है उनकी प्रतिष्ठा

Gujrat Chunav 2022 : गांधीनगर की मनसा ( Mansa Assembly seat ) सीट पर शाह ( Amit shah ) के चाहने के बावजूद भाजपा लगातार 2012 और 2017 में चुनाव हार चुकी है। मनसा अमित शाह का गांव भी है। इस सीट पर लगातार तीसरी बार भाजपा ( BJP ) की प्रतिष्ठा दांव पर है। इस सीट पर पार्टी की जीत को सुनिश्चित करने के लिए शाह पर्दे के पीछे से पूरी ताकत झोंक चुके हैं।

Update: 2022-11-26 05:28 GMT

अमित शाह चाहते हुए अपने गृह नगर की इस सीट पर नहीं दिला पा रहे भाजपा को जीत, एक बार फिर दांव पर है उनकी प्रतिष्ठा

Gujrat Chunav 2022 : जब से पीएम मोदी ( PM Modi ) गुजरात के सीएम बने तभी से वो और अमित शाह ( Amit shah ) गुजरात के सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेताओं में शुमार हैं। शाह एक बेहतरीन चुनावी रणनीतिकार होने की वजह से भाजपा ( BJP ) के चाणक्य भी माने जाते हैं। भाजपा के राज्य दर राज्य चुनाव दर चुनाव जीत दर्ज करने में पीएम मोदी ( PM Modi ) की लोकप्रियता का खासा योगदान है तो शाह के पूरी कमान संभालने को भी कम श्रेय नहीं दिया जाता। इसके बावजूद अपने गृह नगर यानि गांधीनगर ( Gandhinagar ) की मनसा सीट ( Mansa Assembly seat ) पर लगातार 2012 और 2017 में भाजपा चुनाव हार चुकी है। इस सीट पर लगातार तीसरी बार भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर है। ये हाल तब है जब शाह ने अपने जीवन के शुरुआती 16 साल मनसा गांव में ही बिताए हैं। शाह के परिवार से जुड़े लोग आज भी मनसा में रहते हैं।

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लगातार हार के फजीहत से बचने के लिए शाह ने झोंकी ताकत

खास बात यह भी है कि जब से मोदी ने दिल्ली का रुख किया तभी से भाजपा मनसा ( Mansa ) सीट पर लगातार हार रही है। 2012 से भाजपा मनसा विधानसभा सीट कांग्रेस ( Congress ) के हाथों हार रही है। जबकि पिछले दो विधानसभा चुनावों में पार्टी के यहां हार का सामना करने के बीच एक बात और भी उल्लेखनीय है कि मनसा सीट परंपरागत रूप से भाजपा का गढ़ रही है। गुजरात में भाजपा को मनसा सीट पर लगातार तीसरी बार हार से बचाने के लिए अमित शाह पर्दे के पीछे से पूरी ताकत झोंक चुके हैं। इस बार पार्टी उम्मीद कर रही है कि एक नया उम्मीदवार और एक नया दृष्टिकोण 5 दिसंबर को मतदान में मनसा की परिपाटी तोड़ने में मददगार साबित होगा।

इस बार मनसा सीट ( Mansa Assembly seat ) से भाजपा ( BJP ) को जीत दिलाने के लिए कुछ वर्षों से शाह भी अपने गृहनगर में ज्यादा नजर आये हैं। हालांकि, अब वो यहां के लोगों के लिए घर का रास्ता भूले बेटे की तरह हैं, लेकिन पिछले कुछ समय में उन्होंने लगातार दौरे किए और चुनावी वर्ष में तो कई रिबन भी काटे। मनसा बस स्टेशन रोड पर ओल्ड शाक मार्केट से गुजरने वाली एक संकरी गली अमित शाह के परिवार की कुलदेवी बहुचर माताजी मंदिर की ओर ले जाती है, जिसका पुनर्निर्माण हो चुका है। मंदिर के सामने संकरी सड़क पर शाह का पुश्तैनी घर है। ​फिलहाल वहां कोई नहीं रहता है। इसके बावजूद शाह ने उसका पुनर्निर्माण करा दिया है।

​दि प्रिंट के मुताबिक शाह के पैतृक आवास से दो घर दूर रहने वाले 46 वर्षीय हरीश पी जानी ने कहा वह हर साल ही नवरात्रि के दौरान बहुचर माता मंदिर में पूजा करने आते हैं। उन्होंने पुराने मंदिर का पुनर्निर्माण भी करवाया है। शाह के पैतृक घर से एक किलोमीटर से भी कम की दूरी पर महात्मा गांधी पुस्तकालय है। पिछले कुछ सालों से यह इमारत जर्जर हालत में थी। जुलाई में शाह ने उसका नवीनीकरण कराया और उसके बाद उसका अनावरण भी किया। अनावरण कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा था कि हह मेरा गांव है। 1361 में मेरे पूर्वज यहां आए थे। मैंने पुस्तकालय में पढ़ाई की है। आज उसी पुस्तकालय के नए भवन का उद्घाटन करके मुझे खुशी हो रही है। मोदीजी की सरकार में मंत्री बनने के बाद से शाह ने मनसा गांव के लिए कई विकास कार्य किए हैं।

तो इसलिए होती है भाजपा की हार

भाजपा नेताओं ने दि प्रिंट से बातचीत के दौरान कहा कि उन्हें इस पर काफी हैरानी होती है कि मनसा में पार्टी की हार क्यों होती रही है जबकि यह निर्वाचन क्षेत्र पारंपरिक रूप से भाजपा का गढ़ रहा है। भाजपा 1995 से 2007 तक इस सीट से लगातार जीतती रही है। 2012 में यहां पार्टी की स्थिति तब बदली जब भाजपा के दिग्गज डीडी पटेल कांग्रेस के अमितभाई हरिसिंहभाई चौधरी से 8,028 मतों से हार गए। 2017 के चुनाव से पहले अमितभाई चौधरी भाजपा में शामिल हो गए और उन्हें मनसा से पार्टी का टिकट भी दे दिया गया लेकिन वो कांग्रेस उम्मीदवार सुरेशकुमार चतुरदास पटेल से 524 मतों के मामूली अंतर से हार गए। चुनावों के नतीजों पर आंशिक रूप से लोगों के सामुदायिक आधार पर मतदान करने का असर साफ नजर आया था। मानसा गांव निवासी विशाल पटेल ने बताया कि मनसा में ठाकोर समुदाय की अच्छी-खासी तादात है और पिछले दो चुनावों से वे कांग्रेस का साथ दे रहे हैं।

भाजपा नेता ने कहा कि 2017 में हार की एक और वजह यह थी कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए पाटीदार आंदोलन ने काफी असर डाला था। इस आंदोलन की वजह से 2017 में गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा में से भाजपा दो दशक के निचले स्तर 99 पर सिमट गई थी। इस बार भी मनसा में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है क्योंकि दोनों ही पार्टियों ने सामुदायिक आधार पर उम्मीदवार तय करके सियासी तापमान को गरमा दिया है। भाजपा के मानसा उम्मीदवार जेपी पटेल रियल एस्टेट कारोबारी हैं। कांग्रेस ने पूर्व विधायक बाबूजी ठाकोर को चुना है। वह ट्रांसपोर्ट बिजनेस से जुड़े हैं। मनसा के एक अन्य भाजपा नेता ने अपना नाम न छापने की शर्त पर कहा कि पार्टी ने फैसला किया कि कांग्रेस छोड़कर आने वाले हर शख्स को टिकट नहीं दिया जाएगा। टिकट का फैसला सभी आवेदकों के गहन मूल्यांकन के बाद किया गया।

Gujrat Chunav 2022 : ये है मनसा सीट पर मतदाताओं का समीकरण

मनसा विधानसभा क्षेत्र के 2.28 लाख मतदाताओं में से लगभग 46,000 पाटीदार है। दूसरे नंबर पर ठाकोर 42 हजार, ओबीसी 34 हजार, राजपूत 29 हजार, चौधरी 22 हजार, अनुसूचित जाति के 17,000 मतदाता हैं। बाकी अल्पसंख्यक समुदायों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य जातियों से आते हैं।

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