'पूरे देश को ईसाई धर्म में बदलने का चल रहा षड्यंत्र' ट्वीट कर रामदेव के साथी बालकृष्ण ने बवाल को दी हवा
बालकृष्ण ने कहा, सारे देश को ईसाई धर्म में तब्दील करने के षड्यंत्र के तहत बाबा रामदेव को टारगेट किया जा रहा है और योग तथा आयुर्वेद को बदनाम किया जा रहा है...
जनज्वार ब्यूरो। रामदेव और आईएमए यानी इंडियन मेडिकल असोसिएशन के बीच चल रहे विवाद में आचार्य बालकृष्ण ने नया शिगूफा छेड़ दिया है। बालकृष्ण ने एक ट्वीट कर इस पूरे मामले को ईसाई धर्मांतरण के षड्यंत्र से जोड़कर बवाल पैदा कर दिया है।
मंगलवार 25 मई को बालकृष्ण ने ट्वीट कर लिखा कि सारे देश को ईसाई धर्म में तब्दील करने के षड्यंत्र के तहत बाबा रामदेव को टारगेट किया जा रहा है और योग तथा आयुर्वेद को बदनाम किया जा रहा है।
मंगलवार 25 मई को बालकृष्ण ने अपने एक बयान में कहा कि बाबा रामदेव कोई उपहास नहीं उड़ा रहे थे, बल्कि वह सिर्फ मॉडर्न मेडिसिन लेने के बावजूद डॉक्टर्स की मौत पर दुख जता रहे थे। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि जितने भी वैज्ञानिक हैं, उनका पतंजलि में स्वगात है। उन्होंने कहा कि हमारे पास लाखों मरीजों का डेटा है जो कोरोनिल लेकर ठीक हुए हैं।
बालकृष्ण के इस ट्वीट पर बवाल मच गया है। कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने आचार्य बालकृष्ण की भारतीय नागरिकता पर ही सवाल उठा दिया और उन्हें भारत के निजी मामलों में हस्तक्षेप न करने की हिदायत दे डाली।
इसके अलावा गरिमा ने कहा कि जिस तरह से आचार्य बालकृष्ण ने इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की है, उससे यह साफ प्रतीत होता है कि पतंजलि और आचार्य बालकृष्ण मानसिक दिवालिया हो चुके हैं।
आइएमए उत्तराखंड के प्रदेश सचिव डॉ अमित खन्ना कहते हैं, 'बाबा रामदेव की कोरोनिल नहीं बिक पा रही है, इस वजह से बौखलाहट में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण इस तरह के बिना सर पैर के बयान दे रहे हैं। इस महामारी के समय ऐसे बयान देने पर बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण पर महामारी ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए।'
मनोज सोनी ने ट्वीट किया है, 'इस तरह के तथ्यहीन खबरें दिखा कर आप जनता को गुमराह न करे। बाबा जी ने भारी गलती की है माफी के लायक नहीं है।'
अनूप कुमार कहते हैं, 'पाखंडी यही करते हैं। हमारे यहां कई बाबा लोग भी करते हैं। इसे धर्म से जोड़ के देखेंगे तो सभी धर्म में ऐसे लोग मिलेंगे। इसलिए आवाज उठानी लोगों को जागरूक करना है तो इन सभी के लिए करिए। किसी धर्म विशेष का नाम ले कर नहीं। लोगों को बाटने की शिक्षा मत दीजिए सभी को एक दूसरे के काम आना है।'