Asaduddin Owaisi : असदुद्दीन ओवैसी ने कृषि बिल वापसी का कारण चुनावी डर को बताया, CAA वापसी की भी मांग उठाई

Asaduddin Owaisi : ओवैसी का कहना है कि विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक नुकसान के डर से मोदी सरकार ने कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया है। देश में एक बड़ा समूह कह रहा है कि सीएए संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।

Update: 2021-11-29 13:48 GMT

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Asaduddin Owaisi : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने दोबारा केद्र सरकार से नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को वापस लेने की मांग की है। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सोमवार 29 नवंबर को सरकार ने तीनों कृषि कानून को वापस ले लिया। कृषि कानून निरसन विधेयक 2021 संसद के दोनों सदनों से पास हो चुका है। अब एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी की सरकार को घेरने की कोशिशें जारी है। असदुद्दीन आवैसी ने कहा है कि चुनाव के डर से सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लिया। ऐसे में सरकार को सीएए भी रद्द कर देना चाहिए।

बता दें कि संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा से तीनों कृषि कानूनों की वापसी के साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी ने किसानों से किया अपना वादा पूरा कर लिया है। अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद तीनों कानून पूर्ण रूप से वापस हो जाएंगे।

सीएए वापसी की मांग

कृषि कानूनों की वापसी के फैसले को सही फैसला बताते हुए एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इसके पीछे चुनावी डर बताया है। ओवैसी का कहना है कि विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक नुकसान के डर से मोदी सरकार ने कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया है। देश में एक बड़ा समूह कह रहा है कि सीएए संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। हम मांग करते हैं कि केंद्र नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को निरस्त करे।

असदुद्दीन ओवैसी ने क्या कहा

सीएए की वापसी की मांग करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि "सरकार ने राजनीतिक हार के डर से विधानसभा चुनाव से पहले किसान कानूनों को वापस ले लिया. देश का एक बड़ा ग्रुप कह रहा है कि सीएए संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन करता है। हम मांग करते हैं कि केंद्र को नागरिकता संशोधन कानून को वापस लेना चाहिए।"

बता दें कि रविवार को शीतकालीन सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक के दौरान एनडीए के सहयोगी दल नेशनल पीपुल्स पार्टी ने भी सरकार से सीएए कानून वापस लेने की मांग की थी। पार्टी की सांसद अगाथा संगमा ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा था कि सरकार के सामने हमने अपनी मांग रख ली है। सरकार ने कोई प्रतिक्रिया तो नहीं दी लेकिन आश्वासन जरूर दिया है।

अगाथा संगमा ने कहा था कि "चूंकि कृषि कानून निरस्त कर दिए गए हैं और यह खासकर लोगों के हितों को ध्यान में रखकर किया गया था, इसलिए मैंने सरकार से पूर्वोत्तर के लोगों की उसी तरह की भावनाओं को ध्यान में रखकर सीएए को निरस्त करने का आग्रह किया।"

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