Ashish Mishra : लखीमपुर हिंसा के आरोपी मंत्री पुत्र को जेल में मिल रहा वीआईपी ट्रीटमेंट, बैरक में चार-चार कूलर और घर से आ रहा पसंद का खाना
Ashish Mishra : आशीष मिश्रा के लिए खाने-पीने के खास इंतजाम किए गए हैं, दोपहर करीब दस बजे आशीष मिश्रा के घर से लंच भी पहुंचाया जाता है, आरोपी दोपहर 12 से 1 बजे के बीच लंच करता है....
Ashish Mishra : लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) 24 अप्रैल से जेल में है। खबरों के मुताबिक आशीष मिश्रा को जेल में भी वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। उसके लिए खाने पीने से लेकर रहने तक के खास इंतजाम किए गए हैं। बता दें कि आशीष मिश्रा केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे हैं।
दैनिक भास्कर ने अपनी एक रिपोर्ट में जेल प्रशासन के सूत्रों के हवाले से बताया है कि 24 अप्रैल के बाद से आशीष मिश्रा ने जेल का खाना नहीं खाया है। जेल के अंदर ही उसे वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जा रहा है। रोजाना सुबह 7 बजे से 8 बजे के बीच उसके नाश्ते के लिए घर से चाय, मक्खन और ब्रेड आता है। सूत्रों ने बताया है कि बैरक में उसके लिए चार कूलर लगवाए गए हैं और स्पेशल पान भी बाहर से मंगाया जा रहा है। पानी भी एक दो नहीं बल्कि पूरे 30 और चालीस। ये पान वह लंच और डिनर के बाद खाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक मंत्रीपुत्र को जेल के भीतर गर्मी सताने लगी है इसलिए बैरक में चार कूलर की व्यवस्था की गई है ताकि भीषण गर्मी से उसे निजात मिल सके। लेकिन फिर भी उसे गर्मी परेशान कर रही है तो दिक्कतों को दूर करने के लिए जेल प्रशासन अन्य इंतजामों में जुटा है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि आशीष मिश्रा के लिए खाने-पीने के खास इंतजाम किए गए हैं। दोपहर करीब दस बजे आशीष मिश्रा के घर से लंच भी पहुंचाया जाता है। आरोपी दोपहर 12 से 1 बजे के बीच लंच करता है। 24 अप्रैल से उसे उसकी पंसद का ही वेज खाना घर से मंगाया जा रहा है। शाम को करीब छह बजे घर से डिनर भी जेल में पहुंचाया जाता है। वह देर शाम साढ़े सात और आठ बजे के बीच डिनर करता है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली जमानत को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था। इसके बाद मंत्रीपुत्र आशीष मिश्रा ने 24 अप्रैल को सीजेएम कोर्ट में सरेंडर किया था। हाईकोर्ट से मिली जमानत के खिलाफ कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लगाई गईं थीं।
बता दें कि मंत्रीपुत्र के लिए जमानत का फैसला हाईकोर्ट ने कैसे सुना दिया इस पर खूब चर्चा भी हुई थी। वकील की दलील के बाद हाईकोर्ट ने फैसले में कहा था कि अभियोजन की दलीलें मान भी लें तो स्पष्ट है कि घटनास्थल पर हजारों प्रदर्शनकारी थे। ऐसे में संभव है कि ड्राइवर ने बचने के लिए गाड़ी भगाई और यह घटना हो गई।
याची ने कहा था कि प्रदर्शनकारियों में कई लोग तलवारें व लाठियां लिए हुए थे। बहस के दौरान कहा गया कि एसआईटी ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सकी
याची ने कहा था कि प्रदर्शनकारियों में कई लोग तलवारें व लाठियां लिए हुए थे। बहस के दौरान कहा गया कि एसआईटी ऐसा कोई साक्ष्य नहीं पेश कर सकी जिससे साबित हो कि गाड़ी चढ़ाने के लिए उकसाया गया।