गहलोत ने पायलट पर फिर बोला हमला, सोनिया को बताया बागी विधायकों की नाराजगी की वजह
Rajasthan Political Crisis : बागी विधायक इस बात से बहुत नाराज थे कि मैंने उनसे 2020 में वादा किया था कि मैं आपका अभिभावक बनूंगा। अब सत्ता परिवर्तन के संकेत मिलने के बाद से विधायक इस बात से नाराज थे कि राजस्थान में अकेले रहने से उनका क्या होगा?
Rajasthan Political Crisis : कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर जारी चुनावी गहमागहमी के बीच राजस्थान कांग्रेस ( Congress ) में भी उठापटक थमने के आसार बहुत कम हैं। एक दिन पहले गहलोत और सोनिया ( Sonia Gandhi ) के बीच मुलाकात का पत्र लीक होने के बाद आज फिर सीएम अशोक गहलोत ( Ashok Gehlot ) ने अपने विरोधी सचिन पायलट ( Sachin Pilot ) पर हमला बोल दिया। उन्होंने 25 सितंबर को राजस्थान में घटी सियासी बवाल पर कहा कि जब मैंने प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद डोटासरा को विधायकों को समझाने के लिए भेजा था तो वे यानि बागी विधायक इस बात से बहुत नाराज थे कि मैंने उनसे 2020 में वादा किया था कि मैं आपका अभिभावक बनूंगा। अब सत्ता परिवर्तन के संकेत मिलने के बाद से विधायक इस बात से नाराज थे कि राजस्थान में अकेले रहने से उनका क्या होगा?
अशोक गहलोत ( Ashok Gehlot ) ने रविवार सुबह एक समारोह में महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के बाद मीडिया की ओर से पूछे गए सवाल कि क्या सब ठीक है तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि एक लाइन का प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया। इसका मुझे भी दुख है कि प्रस्ताव पारित नहीं करवा पाया। इसलिए मैंने माफी भी मांगी लेकिन ये स्थिति क्यों आई?
सचिन सीएम बने तो बागी विधाकयों का क्या होगा
गहलोत ( Ashok Gehlot ) ने आगे कहा कि जब मैंने प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद डोटासरा को विधायकों को समझाने के लिए भेजा था तो वे इस बात से बहुत से विधायक नाराज थे कि मैंने उनसे 2020 में वादा किया था कि मैं आपका अभिभावक बनूंगा। विधायक इस बात से नाराज थे कि राजस्थान में अकेले रहने से उनका क्या होगा? विधायक दल का नेता होने के नाते जो हुआ, उसकी मैं जिम्मेदारी लेता हूं।
खुद के सियासी करियर समाप्त होने देख विधायकों ने सोचा कि दूसरों को स्वीकार करने के बजाय बगावत करना बेहतर है। उन्होंने पायलट कैंप की तरफ इशारा करते हुए कहा कि सभी जानते हैं कि कुछ विधायक अमित शाह, जफर इस्लाम और धर्मेंद्र प्रधान के साथ बैठे थे। सभी जानते हैं कि भाजपा सरकार गिराने की कोशिश कर रही थी। वे सरकार को पांच साल पूरे नहीं करने देना चाहते हैं। यहां पर गहलोत का इशारा यह था कि साल 2020 में तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ( Sachin Pilot ) ने 18 विधायकों के साथ बगावत कर दी थी और मुख्यमंत्री गहलोत से नाराज होकर हरियाणा के मानेसर चले गए थे। बाद में आलाकमान के दखल देने के बाद पायलट की वापसी हुई थी। इस दौरान गहलोत ने पार्टी में बड़ी टूट होने से भी बचा लिया था।
जल्दबाजी में विधायकों ने इस्तीफे दिए
बता दें कि 15 सितंबर के बाद कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में अशोक गहलोत के दावेदार होने की चर्चाएं जोरों पर चली थी। ऐसे में पार्टी हाइकमान राजस्थान में गहलोत के उत्तराधिकारी की तलाश में था। गहलोत का उत्तराधिकारी तय करने के लिए बीते रविवार यानि 25 सितंबर को मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को पर्यवेक्षक बनाकर जयपुर भेजा गया था। वहां सीएम आवास में विधायक दल की बैठक होनी थी लेकिन उससे पहले ही गहलोत खेमे के विधायक मंत्री शांति धारीवाल के घर एकत्रित हुए और सामूहिक इस्तीफे पर हस्ताक्षर कर दिए। बाद में ये विधायक स्पीकर के आवास पहुंचे और इस्तीफे सौंप दिए।
बागी विधायकों ने लगाए ये आरोप
Rajasthan Political Crisis : गहलोत ( Ashok Gehlot ) कैंप के बागी विधायकों का कहना था कि पर्यवेक्षक अजय माकन एजेंडे के साथ जयपुर आए हैं। वे सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। माकन विधायक दल की बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पारित करवाना चाहते हैं। ये बात अलग है कि पर्यवेक्षकों ने बागियों के दावे को खारिज कर दिया।