क्या आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने काढ़ा पीकर नहीं किया था योग जो उन्हें हो गया कोरोना

मंत्री जी को भी कोविड 19 ने जकड़ लिया, पर आयुष मंत्रालय के सभी भ्रामक और बिना वैज्ञानिक आधार वाले दावे मंत्रालय की वेबसाइट पर बदस्तूर सजे हैं...

Update: 2020-08-13 06:18 GMT

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

जनज्वार। 12 अगस्त को केन्द्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाइक कोविड 19 की चपेट में आ गए और घर पर होम आइसोलेशन में हैं। बहुत सारे नेताओं को कोविड 19 ने चपेट में लिया है, पर यह खबर महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि मार्च के अंत से आयुष मंत्रालय अति-सक्रिय तरीके से आयुर्वेद में कोविड 19 की दावा का दावा कर रहा था। फिर आयुर्वेद से, योग से, गरम पानी से, हर्बल चाय से, काढ़ा से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढाने के दावों को इस तरह से प्रस्तुत करता रहा, मानो इन सबका सेवन करने वालों की तरफ कोविड 19 फटकेगा भी नहीं।

खुद टीवी समाचार चैनलों पर लगातार बैठकर श्रीपद नाइक जनता को काढा और दूसरी चीजों के सेवन की सलाह इस तरह देते रहे मानों इसके सेवन के बाद कोविड 19 समेत कोई बीमारी किसी को होगी ही नहीं। ऐसा ही कुछ योग के बारे में भी आयुष मंत्रालय कह रहा था।

कभी कभी तो हवन से ही कोविड 19 को दूर करने का दावा किया जा रहा था। ऐसे दावों में हमारे प्रधानमंत्री जी भी शामिल हैं और बहुत संभव है कि 15 अगस्त को लाल किले से भी अपने संबोधन में काढ़े से, योग से, गर्म पानी पीने से कोविड 19 दूर करने की सलाह भी शामिल करें।

काढ़े और योग में प्रधानमंत्री समेत दूसरे मंत्रियों का विश्वास किस हद तक बढ़ गया है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री और विश्व स्वास्थ्य संगठन में भारत के प्रतिनिधि डॉ हर्षवर्धन हैं, जो स्वयं सार्वजनिक तौर पर काढ़ा, गर्म पानी और योग की कोविड 19 के सन्दर्भ में वकालत करते रहे हैं।

मंत्री जी को भी कोविड 19 ने जकड लिया, इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह भी इसकी चपेट में आ चुके हैं पर आयुष मंत्रालय के सभी भ्रामक और बिना वैज्ञानिक आधार वाले दावे मंत्रालय की वेबसाईट पर बदस्तूर सजे हैं और लोगों को गुमराह कर रहे हैं। आयुष मंत्रालय कोई अध्ययन किये बिना ही यूनानी पद्धति, होमियोपैथी और आयुर्वेद में कोविड 19 का इलाज अप्रैल के महीने में ही खोज चुका हैं और इस रोग से बचाव के रास्ते भी।

आयुष विभाग द्वारा अप्रैल के अंत में जारी एक एडवाइजरी के अनुसार कुछ हर्बल आयल ऐसे है, जिन्हें खोपड़ी पर लगाने से इस रोग से दूर रहा जा सकता है। अर्सेनिकम एल्बम ३० नामक होमियोपैथी की दवा से इस रोग से लड़ा जा सकता है। मंत्रालय के अनुसार इसे 3 दिनों तक खाली पेट खाना है और यदि एक महीने बाद भी एतिहाद के तौर पर फिर से यही प्रक्रिया दोहरानी है। इसके अतिरिक्त अपने आस-पास साफ़-सफाई की बात भी कही गयी है।

प्राचीन विद्याओं से भले ही कोई ठीक होता हो या ना होता हो पर भारत सरकार समेत सभी आयुर्वेद, होमियोपैथ और यूनानी संस्थान ठण्ड से लेकर कैसर और एड्स तक के इलाज का दावा करते हैं। आयुष मंत्रालय के अनुसार देश की दस प्रतिशत से अधिक जनसंख्या तो पूरी तरह होमियोपैथी पर निर्भर करती है।

आयुष मंत्रालय के लिए पीआईबी ने जो एडवाइजरी जारी की थी, उसमें इस रोग के लिए 'रहस्यमय' शब्द का उपयोग किया गया है, पर आश्चर्य यह है कि इस रहस्य का बिना वैज्ञानिक अध्ययन किये ही इसकी दवा भी खोज ली गयी। एडवाइजरी के अनुसार कोरोनावायरस से ग्रस्त होने पर होमियोपैथी पद्धति में उपलब्ध दवायें– अयास्त्य हरित्याकी 5 ग्राम दिन में दो बार, शम्शामंज वटी 500 ग्राम दिन में दो बार, त्रिकतु और तुलसी का काढा पीयें और तिल के तेल को नाक में डालें।

मेनस्ट्रीम मीडिया भी ऐसी ही भ्रामक दावों का प्रचार कर रहा है। इसी बीच में दुनिया के महान व्यापारी रामदेव भी पहले योग से फिर सरसों के तेल को नाक में डालकर और फिर कोविड 19 की तथाकथित दवा बाजार में उतारकर कोविड 19 को दूर करने का दावा कर रहे हैं।

गौमूत्र और गोबर का उपयोग तो सभी देख चुके हैं, जब इसकी चर्चा शुरू हुई थी तब देश में कोरोना के एक हजार मरीज भी नहीं थे पर अब गौमूत्र और गोबर का सेवन करते-करते लगभग 24 लाख रोगी हो गए हैं।

लगभग 100 वैज्ञानिकों, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों ने कोविड 19 के वैकल्पिक उपचार से सम्बंधित दावों की वैज्ञानिक व्याख्या कर एक बयान जारी किया था। इसके अनुसार, 'कोविड 19 के आरम्भ से ही देश में हरेक स्तर पर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने और इसके उपचार के भी अनेक भ्रामक प्रचार किये जा रहे हैं। इन उपायों में सरसों का तेल, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन, चाय, काढा, गौ-मूत्र और यहाँ तक कि ताबीज भी प्रमुख हैं। इन्हें वैकल्पिक दवा के तौर पर बताया जा रहा है। इस तरह की कुछ मान्यताएं राज्य सरकारों या केंद्र सरकार की तरफ से भी व्यापक तौर पर प्रचारित की जा रहीं हैं। हम, वैज्ञानिक समुदाय, इस बयान के माध्यम से इन दावों की वैज्ञानिक व्याख्या जनता के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं।'

'अब तक कोई भी वैज्ञानिक अध्ययन यह साबित करने में नाकाम रहा है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन जैसी आधुनिक औशादी या फिर अर्सेनिकम अल्बम डी30 जैसी होमियोपैथिक औषधि या फिर कोई भी आयुर्वेदिक दवा कोविड 19 के विरूद्ध शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाती है।

इन सबका यह प्रभाव बड़े पैमाने पर कोविड 19 के मरीजों पर गहन परीक्षण के बाद ही पता चल सकता है, और ये परीक्षण किये नहीं गए हैं। संभव है कुछ स्थितियों में इनसे आराम हो, या फिर कुछ अन्य रोगों में इनसे लाभ हो रहा हो, इसका मतलब यह नहीं है कि ये सभी कोविड 19 के विरुद्ध भी प्रभावी होंगीं।'

'किसी भी बैक्टीरिया या वायरस के विरुद्ध शरीर में प्रतिरोधक क्षमता केवल दो स्थितियों में उत्पन्न हो सकती है – या तो इसने शरीर पर आक्रमण किया हो और फिर हम इससे ठीक हो गए हों, या फिर हमने इसका टीका लगवाया हो। दोनों ही स्थितियों में शरीर में एंटीबाडीज उत्पन्न होते हैं, जो उस रोग से मुकाबला करते हैं।'

'बोलचाल की भाषा में लोग अच्छे स्वास्थ्य का मतलब रोगप्रतिरोधक क्षमता समझ लेते हैं, पर ऐसा नहीं होता। व्यायाम या फिर बेहतर दिनचर्या से आप स्वास्थ्य हो सकते हैं, और कुछ हद तक सामान्य रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं, पर इसका कोविड 19 की प्रतिरोधक क्षमता से कोई नाता नहीं है।'

'दूसरी तरफ कोविड 19 के सन्दर्भ में अति गंभीर मामलों में बेहतर सामान्य रोग प्रतिरोधक क्षमता कोविड 19 से निपटने की प्रक्रिया को और जटिल बना देती है, इसलिए कोविड 19 के मामले में सामान्य रोग प्रतिरोधक क्षमता को बधान या फिर जिन तरीकों का परीक्षण नहीं किया गया है उन्हें अपनाना, दोनों ही खतरनाक हैं।'

ऐसे भ्रामक प्रचार से लोगों को यह महसूस हो सकता है कि इन सबके सेवन के बाद उनपर कोविड 19 का अब कोई असर नहीं हो सकता है और फिर वे सामान्य निर्देशों, जैसे शारीरिक दूरी, लॉकडाउन, चहरे पर मास्क लगाना इत्यादि के पालन में लापरवाह हो सकते हैं। यह लापरवाही कोविड 19 के संकट को और विकराल बना सकती है।

कोविड 19 के इस दौर में हम अजीब सी स्थिति में हैं – भ्रामक खबरें और अफवाहें सरकार और मेनस्ट्रीम मीडिया प्रचारित कर रहा है, और तथ्यों को उजागर करने वाले पत्रकार या मानवाधिकार कार्यकर्ता समाज के लिए खतरा या फिर राजद्रोही बताकर जेल में डाले जा रहे हैं। कोविड 19 ने श्रीपद नाइक को अपने चपेट में लेकर कम से कम आयुष मंत्रालय के दावों की पोल तो खोल ही दी है।

Tags:    

Similar News