धामी से डरे बंशीधर, बोले मैंने धरना नहीं दिया, खड़े-खड़े हुआ पैरों में दर्द तो बैठ गया

अपनी सफाई में कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत ने ग्रामीणों के साथ ज़मीन पर बैठने को धरना कहना ही गलत बता दिया है। उनका कहना है की मौके पर जनता के साथ बैठने को धरने का नाम देना गलत है....

Update: 2021-09-12 16:01 GMT

(कैबिनेट मंत्री के धरने पर बैठने के बाद विभाग में तो तूफान उठना था, वह उठकर शांत हो गया है)

हल्द्वानी। डबल इंजन की सरकार में "डबल आदमी" का रोल निभा रहे रामलीला के दिग्गज कलाकार और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत (Banshidhar Bhagat) का हल्द्वानी (Haldwani) में बिजली अधिकारियों के खिलाफ धरना दिया जाना शायद ऊपरी स्तर पर रास नहीं आया। अब उन्होंने धरने को "खड़े-खड़े पैर में दर्द होने पर ज़मीन पर बैठना" बताना शुरू कर दिया है।

पाठकों को याद होगा कि बिजली कटौती औऱ पोल शिफ्ट करने के मामले को लेकर हल्द्वानी में बिजली विभाग के अधिकारियों से नाराज होकर प्रदेश की उत्तराखण्ड सरकार के कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत लोगों के साथ रात के अंधेरे में धरने पर बैठ गये थे। (जनज्वार इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट कर चुका है)

कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister) के धरने पर बैठने के बाद विभाग में तो तूफान उठना था, वह उठकर शांत हो गया है। लेकिन उनके इस कदम से देश भर में उत्तराखण्ड सरकार (Uttarakhand Govt) की जो किरकिरी हुई, उसका तूफान शायद शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। इसीलिए अब कैबिनेट मंत्री इस मामले में सफाई देते नजर आ रहे हैं।

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अपनी सफाई में कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत ने ग्रामीणों के साथ ज़मीन पर बैठने को धरना कहना ही गलत बता दिया है। उनका कहना है की मौके पर जनता के साथ बैठने को धरने का नाम देना गलत है। उन्होंने कहा कि खड़े-खड़े मेरे पैरों में दर्द हो गया था, इसलिए मैं जमीन पर बैठ गया था। बकौल भगत "पार्षद का फोन आने के बाद मैं मौके पर वास्तविकता जानने के लिए गया था। अब जनता के साथ मौके पर बैठ जाने को धरने के नाम देना गलत है। अगर कही पर भी हमारी जनता का शोषण या उत्पीड़न होगा तो मैं वहां 10 बार जाऊंगा।"

बंशीधर भगत के मुताबिक इस मामले में उनके पार्षद को जनता का भारी आक्रोश झेलना पड़ा है। पार्षद ने मुझे कई फोन किये। इसलिए मुझे मौके पर पहुंचना पड़ा।

कैबिनेट मंत्री के इस बयान से लग रहा है की कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत के धरने पर बैठने के बाद सरकार के साथ-साथ उनकी भी काफी किरकिरी हुई है। जिसके बाद उनके तेवर अब नरम पड़ गए हैं।

वैसे बंशीधर भगत का विवादों से नाता जरा पुराना है। बीते दिनों रामनगर चिकित्सालय में डॉक्टरों के साथ हुई तू-तू-मैं-मैं के बाद डॉक्टर्स व अस्पताल स्टाफ ने उनके खिलाफ धरना देकर प्रदर्शन भी किया था। यह मामला जल्द ही मैनेज कर लिया गया था। लेकिन रामलीला के रंगमंच पर दशरथ की भूमिका निभाने वाले भगत अपनी डबल इंजन की सरकार में "आम आदमी" और "कैबिनेट मंत्री" का जो डबल रोल खेलने की कोशिश कर रहे थे, वह शायद पार्टी में उनके बड़े लोगों को रास नहीं आया। उनकी इस सफाई का निहितार्थ तो यही निकलता है।

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