Political Drama Bihar : भाजपा ने सहनी को पढ़ाया सियासी पाठ तो मांझी की हुई बोलती बंद, अब नहीं दिखा पाएंगे नीतीश को आंख

Political Drama Bihar : बुधवार शाम को पटना के सियासी गलियारों में कुछ ऐसा हुआ जिससे मुकेश सहनी हीरो से जीरो हो गए। वो नीतीश की सरकार गिराते उससे पहले भाजपा ने वीआईपी पार्टी के तीनों विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कर पूरा खेल ही पलट दिया।

Update: 2022-03-24 01:33 GMT

वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी का भाजपा ने बिगाड़ा सियासी खेल। आरजेडी ने भी दिया झटका।

Political Drama Bihar : कुर्सी का खेल हमेशा से नायाब साबित होता है। बुधवार को बिहार ( Bihar ) में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। एक दिन पहले तक वीआईपी ( VIP ) पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी ( Mukesh Sahni ) बिहार में एनडीए ( NDA ) की सरकार गिराने को लेकर आंख दिखा रहे थे, लेकिन बुधवार शाम को पटना के सियासी गलियारों में कुछ ऐसा हुआ जिससे मुकेश सहनी हीरो से जीरो हो गए। वो नीतीश की सरकार ( Nitish Government ) गिराते उससे पहले भाजपा ( BJP ) ने वीआईपी पार्टी के तीनों विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कर पूरा खेल ही पलट दिया।

इस सियासी खेल का साइड इफेक्ट ये हुआ है कि बार-बार आरजेडी ( RJD ) से मिलकर नीतीश सरकार को गिराने का संकेत देने वाले हम ( HAM ) पार्टी के प्रमुख जीतन राम मांझी ( Jitan Ram manjhi ) का भी खेल बिगड़ गया । ऐसा इसलिए कि मांझी के चार विधायक और वीआईपी के चार विधायकों के दम पर दोनों नेता एनडीए ( NDA ) सरकार को गिराने का समय-समय दंभ भरते आये हैं। लेकिन वीआईपी के मुकेश सहनी ( Mukesh Sahni ) के कमजोर होने मांझी का अपने चार विधायकों के साथ आरजेडी में शामिल होने से भी नीतीश सरकार को कोई खतरा नहीं है। यानि भाजपा ने खेल तो खराब किया सहनी का, पर जेडीयू ( JDU ) कोटे से चार विधायकों वाली पार्टी बनी हम का भी खेल अपने आप बिगड़ गया। यानि वीआईपी के कमजोर होने से मांझी भी बेदम हो गए। इस खेल में एक बार फिर नीतीश कुमार ( Nitish Kumar ) लाभ में रहे। उन्हें कुछ किए बगैर ही दोनों नेताओं की सियासी ब्लैकमेलिंग से मुक्ति मिल गई है।

इस घटना के बाद मुकेश सहनी ( Mukesh Sahni ) का अब बिहार की राजनीति में कोई अस्तित्व नहीं रह गया है। अब वीआईपी पार्टी के पास एक भी विधायक नहीं हैं। एमएलसी होने की वजह से सहनी नीतीश कैबिनेट में मंत्री हैं। इस घटना के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए, लेकिन उन्होंने अभी ऐसा नहीं किया। माना जा रहा है कि सहनी विक्टिम कार्ड खेलने के लिए इस्तीफा नहीं देंगे। उनके इस खेल को बिगाड़ने के लिए भाजपा भी संभवत: उनसे इस्तीफे की मांग न करे।

फिलहाल, विधानसभा के गलियारों में वीआईपी के तीन विधायक भाजपा में शामिल हो गए। विकासशील इंसान पार्टी (VIP) टिकट पर जीते तीन विधायक यानि राजू सिंह, सुवर्णा सिंह और मिश्री लाल यादव भाजपा में शामिल हो गए। इसी के साथ मुकेश सहनी हो गए शून्य। यानि भाजपा अब बिहार विधानसभा में 77 विधायक के साथ सबसे बड़ी पार्टी हो गई है। आरजेडी 75 विधायकों के साथ दूसरे नंबर और जेडीयम 45 सीटों के साथ तीसरे नंबर की पार्टी है।

ऐसे हुआ सियासी खेल का पटाक्षेप

बुधवार को बिहार विधानसभा में शाम छह बजे सबसे पहले डीजीपी सीएम नीतीश कुमार से मिलते हैं। उसके बाद डीजीपी विधानसभा के स्पीकर विजय कुमार सिन्हा से मिलने पहुंचते हैं। 15 मिनट बाद उन्हें मुलाकात का मौका मिलता है। ठीक उसी समय वीआईपी के तीनों विधायक स्पीकर के चैंबर में एंट्री मारते हैं। कुछ मिनट बाद बिहार भाजपा के अध्यक्ष संजय जायसवाल वहां पहुंचते हैं। उसके बाद वीआईपी के तीनों विधायक भाजपा में शामिल होते हैं। इसका ऐलान डिप्टी सीएम तारकेश्वर प्रसार करते हैं।

 विधानसभा में सीटों का अंकगणित

विधानसभा में कुल सीटों की संख्या 243 है। सत्ताधारी एनडीए गठबंधन के पास 127 सीटें हैं। इनमें भाजपा 77, जेडीयू 45, हम 5 और 1 निर्दलीय। महागठबंधन के पास 110 सीटें हैं। इनें आरजेडी 75, कांग्रेस 19 सीपीआईएमएल 12, सीपीआई 2 सीपीआईएम 2, अन्य में एमआईएमआईएम के पांच विधायक शामिल हैं। एक सीट खाली है। ये सीट वीआईपी के एक विधायक के निधन की वजह से खाली है। यानि वीआईपी के पास अब एक भी विधायक नहीं है। वीआईपी में मुकेश सहनी अकेले पड़ गए हैं। वह नीतीश सरकार में मंत्री हैं और बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं।

जुलाई 2021 से ही चल रही थी तनातनी

बता दें कि मुकेश सहनी की भाजपा के साथ यह नाराजगी पिछले साल जुलाई में उस समय शुरू हुई थी जब उन्हें यूपी के बनारस में फूलन देवी को लेकर आयोजित कार्यक्रम में जाने नहीं दिया गया था। यूपी पुलिस ने एयरपोर्ट पर ही साहनी को रोक दिया था। इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए साहनी ने कहा था कि ऐसी घटनाएं भाजपा सरकार के 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' के नारे पर सवाल खड़ा करती हैं। उन्होंने कहा था कि सरकार के साथ समर्थन जारी रहेगा लेकिन मैंने बहिष्कार किया है क्योंकि मैं इंडिया का सदस्य हूं और एनडीए के सदस्य होने की वजह से लोकतांत्रिक अधिकार मुझे नहीं मिला, मैं यूपी में कार्यक्रम करने जा रहा था। इसके बाद यूपी विधानसभा चुनाव में सहनी ने कई सीटों पर पार्टी का प्रत्याशी मैदान में उतारा था। भाजपा के एक सांसद ने सहनी से कहा था कि आपने ऐसा का बहुत बड़ा पार किया है। इसके बाद सहनी ने बिहार सरकार के खिलाफ बगावती तेवर दिखाते हुए एनडीए गठबंधन से अलग विधानपरिषद चुनाव में प्रत्येक सीट पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया था। सहनी ने विधान परिषद की 24 सीटों के चुनाव के लिए रविवार को अपनी विकासशील इंसान पार्टी ( वीआईपी ) के उम्मीदवारों की घोषणा की थी। बिहार विधानपरिषद चुनाव में भाजपा ने 12 सीटों के लिए जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू ने 11 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए हैं।

बोचहां सीट पर प्रत्याशी उतार भाजपा ने सहनी को बताई वकात

बोचहां सीट से वीआईपी विधायक के निधन के बाद यहां उपचुनाव होना है और यहां से भाजपा ( BJP ) ने बेबी कुमारी को पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया है। इससे नाराज सहनी ने भी अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। सहनी के महागठबंधन में जाने की अटकलों के बीच भाजपा के इस नए दांव ने सारे समीकरण बदल दिए हैं। बोचहां सीट पर सहनी को दोहरा झटका तब लगा, जब आरजेडी ने यहां से दिवंगत वीआईपी विधायक मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान को अपनी पार्टी से टिकट दे दिया।कुछ ही घंटों बाद सहनी ने राजद पर पलटवार करते हुए पूर्व मंत्री रमईराम की बेटी गीता देवी को टिकट दे दिया। 2020 में आरजेडी उम्मीदवार रमई राम को मुसाफिर पासवान से करारी हार झेलनी पड़ी थी।

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