BJP सांसद सोनल मानसिंह ने क्यों कर डाली अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाने की मांग, संसद में लगे ठहाके

सोनल मानसिंह बोलीं, मैं यह कोट पढ़ना चाहती हूं, जिसे मैं कहीं पढ़ा था, महिला होना बेहद कठिन है। आपको एक पुरुष की तरह सोचना पड़ता है और महिला की तरह काम करना पड़ता है। एक युवा लड़की सा दिखना होता है और घोड़ों की तरह काम करना होता है...

Update: 2021-03-08 16:36 GMT

photo : social media

जनज्वार। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राज्यसभा में सांसदों ने इस विषय पर अपने विचार रखे। इस दौरान महिलाओं के हितों के लिए तमाम चर्चायें की गयीं, उनके उत्पीड़न कैसे रुके, इस पर भी विचार हुआ।

विचारों के आदान—प्रदान के दौरान भाजपा सांसद और मशहूर नृत्यांगना सोनल मान सिंह ने पुरुषों के लिए भी एक दिन का सेलिब्रेशन रखने की मांग कर डाली। मशहूर शास्त्रीय नृत्यांगना और राज्यसभा की नामित सदस्य ने कहा, 'मैं मांग करती हूं कि इंटरनेशनल मेंस डे भी मनाया जाना चाहिए।'

उनकी यह मांग सुनकर सदन में बैठे सभी सांसद हंस-हंसकर लोटपोट हो गये। इस पर सोनल मानसिंह ने कहा कि लोग किसी भी तरह से समानता की मांग कर सकते हैं। गौरतलब है कि दुनिया भर में हर साल 19 नवंबर को इंटरनेशनल मेन्स डे का सेलिब्रेशन किया जाता है।

अपना भाषण शुरू करते हुए सोनल मानसिंह ने कहा, ' मैं यह कोट पढ़ना चाहती हूं, जिसे मैं कहीं पढ़ा था। महिला होना बेहद कठिन है। आपको एक पुरुष की तरह सोचना पड़ता है और महिला की तरह काम करना पड़ता है। एक युवा लड़की सा दिखना होता है और घोड़ों की तरह काम करना होता है।' सोनल मानसिंह ने शायराना अंदाज में आगे कहा, 'पहले से अधिक हूं, लेकिन अधिकार से वंचित हूं।'

सोनल मानसिंह के अलावा संसद में कई महिलाओं ने महिला अधिकारों की बात करते हुए संसद में 33 फीसदी आरक्षण के मुद्दे को उठाया। महिला सांसदों ने कहा कि सदन में 33 फीसदी महिलाओं को आरक्षण दिए जाने का मुद्दा अब भी लटका है।

गौरतलब है कि पहली बार संसद में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की मांग वाला बिल 12 सितंबर, 1996 को संसद में पेश हुआ था। इस विधेयक को एचडी देवेगौड़ा की यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट की सरकार ने पेश किया था। महिलाओं की गवर्नेंस और सरकार में भागीदारी के मकसद से पेश किया गया यह बिल लोकसभा में पारित नहीं हो सका था। तब से ही यह बिल अटका हुआ है।

वहीं सोनल मानसिंह के बाद बोलते हुए शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि महिलाओं को संसद में 33 फीसदी नहीं, बल्कि 50 फीसदी आरक्षण दिया जाना चाहिए। 24 साल पहले हमने 33 फीसदी का प्रस्ताव दिया था, अब इसे संसद और विधानसभाओं में बढ़ाकर 50 फीसदी तक कर देना चाहिए।

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