'GDP में भारी गिरावट के बीच सार्वजनिक उद्यमों को बेचना मानसिक दिवालियापन के संकेत,' भाजपा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने साधा निशाना

सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा कि मोदी सरकार इस बात से इनकार नहीं कर सकती है कि सीएसओ के आंकड़े बताते हैं कि 2016 के बाद से जीडीपी की ग्रोथ माही तिमाही, साल दर साल गिरती रही है....

Update: 2021-08-30 08:55 GMT

जनज्वार। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद सुब्रमण्यन स्वामी अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अपनी ही पार्टी की सरकार की नीतियों की आलोचना कर चर्चाओं में में रहते हैं। सार्वजनिक उद्यमों को बेचे जाने को लेकर उन्होंने रविवार को एक ट्वीट के जरिेए निशाना साधते हुए कहा कि ऐसे समय में जब अर्थव्यवस्था लगातार गिर रही है, सार्वजनिक उद्यम बेचना मानसिक दिवालियापन है।

सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने ट्वीट में लिखा, "जब देश की अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट हो रही है, ऐसे समय में सार्वजनिक उद्यम को बेचना मानसिक दिवालियापन और हताशा का संकेत है। यह एक अच्छी सोच नहीं है। मोदी सरकार इस बात से इनकार नहीं कर सकती है कि सीएसओ के आंकड़े बताते हैं कि 2016 के बाद से जीडीपी की ग्रोथ माही तिमाही, साल दर साल गिरती रही है।"

वहीं स्वामी के ट्वीट पर यूजर्स अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। एस के जैन लिखते हैं- "सर, इतने सारे मुफ्त के लिए और पैसा कहां से आएगा... या तो टैक्स बढ़ाओ या विमुद्रीकरण करो.. मुश्किल समय में, किसी को जीवित रहने के लिए परिवार के गहने किराए पर देने या बेचने पड़ते हैं।"

हैरी नाम के एक यूजर लिखते हैं- "देश में बहुसंख्य आबादी के लिए सभी प्रमुख सार्वजनिक उद्यम रोजगार के बड़े स्रोत हैं। इसे निजी कंपनियों को बेचने या उधार देने से उन्हें अधिक लाभदायक या टिकाऊ बनाने के बहाने बड़े पैमाने पर नौकरी में कटौती हो सकती है... परिवारों के लिए यह कठिन स्थिति हो सकती है।"

आशुतोष लिखते हैं- "भारत सरकार यह नहीं कह सकती कि उसके बिजनेस क लिए कोई बिजनेस नहीं है। एक तरफ यह सबकुछ मुफ्त (वैक्सीन, घर, गैस) दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सार्वजनिक उपक्रमों को बेच रहे हैं। दोनों साथ नहीं चल सकते।"

बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में छह लाख करोड़ रुपये की नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन की घोषणा की थी जिसके तहत वित्तीय वर्ष 2022-25 तक छह लाख करोड़ रुपये की संपत्ति निजी क्षेत्र को लीज पर दिए जा सकते हैं। इनमें रेलवे, बिजली से लेकर सड़क जैसे अलग-अलग बुनियादी ढांचा क्षेत्रों की संपत्ति शामिल हैं।

वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा था कि सरकार केवल अंडर यूटिलाइज्ड एसेट्स को ही निजी क्षेत्र को देगी। संपत्ति का स्वामित्व सरकार के पास ही रहेगा और प्राइवेट सेक्टर के पार्टनर को तय समय के बाद अनिवार्य रूप से इनका नियंत्रण वापस करना होगा।




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