BJP ने हिमाचल की कमान सुरेश कश्यप को सौंप खेला दलित कार्ड, 2022 चुनावों से पहले दलितों को साधने की कोशिश

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बुधवार को गृह प्रदेश हिमाचल में प्रदेश संगठन की बागडोर सांसद सुरेश कश्यप की सौंपी, सुरेश कश्यप वर्ष 1988 से 2004 तक इंडियन एयरफोर्स को भी सेवाएं दे चुके हैं....

Update: 2020-07-22 15:13 GMT

नवनीत मिश्र की रिपोर्ट

नई दिल्ली। भाजपा ने हिमाचल प्रदेश संगठन की कमान दलित चेहरे सुरेश कश्यप को दी है। शिमला सुरक्षित सीट से लोकसभा सांसद सुरेश कश्यप को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के फैसले को चौंकाने वाला भी माना जा रहा है। वजह कि उनका नाम इस रेस में था ही नहीं।

पार्टी ने नए चेहरे पर दांव खेलकर कई समीकरणों को साधने की कोशिश की है। मई में पीपीई किट घोटाले से नाम जुड़ने के कारण राजीव बिंदल के इस्तीफे के बाद से प्रदेश अध्यक्ष का पद खाली चल रहा था।

राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बुधवार को गृह प्रदेश हिमाचल में प्रदेश संगठन की बागडोर सांसद सुरेश कश्यप की सौंपी। सुरेश कश्यप वर्ष 1988 से 2004 तक इंडियन एयरफोर्स को भी सेवाएं दे चुके हैं। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने भाजपा से जुड़कर राजनीति शुरू की।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि सुरेश कश्यप को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के पीछे भाजपा की प्रमुख रणनीति दलितों में पैठ बनाने की है। हिमाचल प्रदेश, देश के उन राज्यों में शुमार है, जहां राष्ट्रीय औसत से ज्यादा दलितों की आबादी है। हिमाचल में 25.2 प्रतिशत दलित रहते हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले दलित चेहरे के हाथ में संगठन की बागडोर सौंपने से पार्टी को दलितों को साधने में आसानी होगी। हिमाचल में कई सीटों पर दलित वोट बैंक निर्णायक है।

सुरेश कश्यप को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के पीछे और भी कई कारण हैं। उन पर राज्य में किसी गुट का ठप्पा नहीं लगा है। उनकी पहचान जमीनी नेता की रही है। वह पढ़े-लिखे भी हैं। 2004 में एयर फोर्स से एसएनसीओ के पद से रिटायर होने के बाद सुरेश कश्यप ने लोक प्रशासन में एमए और टूरिज्म में डिप्लोमा की शिक्षा हासिल की थी।

नए चेहरे को अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने काडर को यह संदेश देने की कोशिश की है कि संगठन में मेहनत करने पर उन्हें उचित समय आने पर बड़ा पद मिल सकता है। सुरेश कश्यप ने क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी) से राजनीति की शुरुआत कर आज प्रदेश अध्यक्ष का मुकाम हासिल किया।

वर्ष 2005 में वह पच्छाद बीडीसी के बजगा वार्ड से सदस्य बने। फिर 2006 में भाजपा के एससी मोर्चा के जिला अध्यक्ष बने। इस बीच भाजपा ने वर्ष 2007 में पहली बार उन्हें विधानसभा का चुनाव लड़ाया था। हालांकि हार गए थे। पार्टी ने 2009 में प्रमोशन देकर उन्हें भाजपा एससी मोर्चा का प्रदेश महासचिव बना दिया। आगे वह एससी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी बने।

2012 में दूसरी बार वह पच्छाद विधानसभा सीट से जीत गए। तब उन्होंने इस सीट पर सात बार के कांग्रेस विधायक जीआर मुसाफिर को हराकर सबको चौंका दिया था। 2017 के विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार वह जीते। फिर पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें शिमला की सुरक्षित सीट से उतारा तो सांसद बने। अब पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है।

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