उत्तराखण्ड में BJP की डबल इंजन सरकार भी नहीं ला पा रही CM धामी के घर तक ट्रेन, खटीमा-सितारगंज-किच्छा रेल परियोजना में फंसा पेंच

उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के गृह क्षेत्र खटीमा से किच्छा तक को समेटने वाली खटीमा-सितारगंज-किच्छा रेल नाम की नई परियोजना राज्य सरकार द्वारा केंद्रीय रेल मंत्रालय को भूमि न देने की वजह से अटक गई है....

Update: 2022-11-03 11:16 GMT

देहरादून। पिछले आठ साल से देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर चुनावी प्रदेश में जाकर वहां के विकास के लिए डबल इंजन (केंद्र के साथ प्रदेश में भी भाजपा की सरकार) की सरकार बनाने की बात करते आए हैं, लेकिन उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के घर के पास वाले खटीमा रेलवे स्टेशन की एक परियोजना केंद्र व प्रदेश के बीच की रस्साकशी में फंसने को मजबूर है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के गृह क्षेत्र खटीमा से किच्छा तक को समेटने वाली खटीमा-सितारगंज-किच्छा रेल नाम की नई परियोजना राज्य सरकार द्वारा केंद्रीय रेल मंत्रालय को भूमि न देने की वजह से अटक गई है। इसके साथ ही प्रदेश की बहुचर्चित टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन के फाइनल लोकेशन सर्वे की रिपोर्ट अगले साल के शुरू जनवरी तक आयेगी, जिसके बाद इस परियोजना के भविष्य का फैसला होगा। यह तमाम खुलासे सूचना अधिकार के तहत मांगी गई सूचनाओं के माध्यम से हुए हैं।

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने रेल मंत्रालय से उत्तराखंड की नई रेल लाइनों के विकास के सम्बन्ध में सूचनायें मांगी थी। रेल मंत्रालय के लोक सूचना अधिकारी द्वारा खटीमा-सितारगंज-किच्छा तथा टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन की सूचनायें उपलब्ध कराने के लिये इसे रेलवे बोर्ड को हस्तांतरित कर दिया, जिसके जवाब में रेलवे बोर्ड के निदेशक/गति शक्ति सिविल-4 एफए अहमद ने अपने पत्रांक 03875 दिनांक 18 अक्टूबर 2022 के साथ अनुभाग अधिकारी (कार्य-1) रेलवे बोर्ड, चन्द्रशेखर वर्मा द्वारा दिये गये उत्तरों की प्रति उपलब्ध करायी गयी है।

नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार उत्तराखंड में खटीमा से सितारगंज होते हुये किच्छा तक प्रस्तावित रेल लाइन का विवरण उसके सर्वेक्षण और अन्य प्रगति के विवरण के उत्तर मे अवगत कराया है कि किच्छा खटीमा नई लाइन का सर्वे किया जा चुका है। 53.60 किमी. की लम्बाई वाले इस रेलपथ की लगभग 9 किमी लम्बाई रिजर्व जंगल से गुजर रही है। सर्वे रिर्पोेर्ट के अनुसार इस परियोजना की लागत 1546 करोड़ रुपये है, जिसमें 528.69 करोड़ रूपये मात्र भूमि की लागत है, इसलिए राज्य सरकार सेे अनुरोध किया गया है कि परियोजना हेतु लागत रहित भूमि रेलवे को प्रदान की जाए। लेकिन राज्य सरकार द्वारा इस विषय में असमर्थता जताई गयी है, जिस वजह से यह परियोजना फिलहाल अधर में लटकी हुई पड़ी है।

इसके अलावा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम ने टनकपुर से बागेश्वर रेल लाइन का विवरण, उसके सर्वेक्षण और अन्य प्रगति विवरण जो मांगा है, उसके लिखित जवाब में बताया गया कि टनकपुर-बागेश्वर (155 किमी.) नई रेल लाइन के निर्माण के लिये एफएलएस (फाइनल लोकेशन सर्वे) 11 अक्टूबर 2021 को स्वीकृत किया गया है, जिसकी रिपोर्ट जनवरी 2023 में प्रस्तुत किया जाना प्रस्तावित है। रिपोर्ट आने के बाद ही इसका परीक्षण कर इस परियोजना पर कोई निर्णय लिया जा सकेगा।

इस मामले में नदीम बताते हैं कि यह रेल लाइनें नेपाल, चीन की अन्तरराष्ट्रीय सीमा को जोड़ने, पहाड़ के विकास तथा सितारगंज औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिये भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, इसलिये इनका शीघ्र निर्माण आवश्यक है।

उत्तराखंड और केन्द्र में एक ही दल की सरकार के होते हुुये और खटीमा स्वयं वर्तमान मुख्यमंत्री की कर्मभूमि होते हुये भी भूमि देने के विवाद में खटीमा-सितारगंज किच्छा रेल परियोजना को रोका जाना इसलिए भी आश्चर्यजनक है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बीते 8 सालों से देश के हर चुनावी प्रदेश के चुनाव प्रचार में जाकर वहां के विकास के लिए डबल इंजन की सरकार बनाने की अपील करते हैं। मोदी की ही इस अपील के कारण प्रदेश में बीते छः साल से डबल इंजन की सरकार तो है, लेकिन उनका प्रदेश की विकास योजनाओं के प्रति आपस में तालमेल कितना है, यह इन सूचनाओं से सामने आ रहा है।

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