मौद्रिकरण नीति के नाम पर सरकारी संपत्ति को बेच रहा केंद्र, पी. चिदंबरम ने सरकार पर बोला हमला

चिदंबरम ने कहा कि पिछले 70 वर्षों में जो कुछ भी बनाया गया है, वह कुछ चुनिंदा लोगों के हाथों में दिया जा रहा है। लोगों को इस खतरे के प्रति जागरूक होना चाहिए और इसका विरोध करना चाहिए...

Update: 2021-09-03 08:28 GMT

जनज्वार। संपत्ति मौद्रिकरण पाइपलाइन योजना को लेकर केंद्र पर हमला बोलते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि सरकार मौद्रिकरण नीति के नाम पर अपनी संपत्ति बेचने की योजना बना रही है।

मुंबई में मीडिया को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने कहा, "पिछले 70 वर्षों में जो कुछ भी बनाया गया है, वह कुछ चुनिंदा लोगों के हाथों में दिया जा रहा है। लोगों को इस खतरे के प्रति जागरूक होना चाहिए और इसका विरोध करना चाहिए।"

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, "अर्थशास्त्र में एक अवधारणा है जिसे एसेट स्ट्रिपिंग कहा जाता है। यहां यही हो रहा है। इस नीति पर कोई परामर्श नहीं किया गया था। संसद में कोई बहस नहीं हुई। सरकार कभी भी इस मुद्दे पर चर्चा की अनुमति नहीं देगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सवालों के जवाब नहीं देते।

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री चिदंबरम ने आगे कहा, "कांग्रेस ने केवल गैर-प्रमुख संपत्ति बेची। हमारा मानदंड यह था कि मूल और रणनीतिक संपत्ति कभी नहीं बेची जाएगी। जो घाटे में चल रहे थे और मामूली बाजार हिस्सेदारी के साथ बिक गए थे। लेकिन मोदी सरकार सब कुछ बेच रही है। यह सरकार कोंकण रेलवे और दिल्ली-मुंबई फ्रेट कॉरिडोर को भी बेचने की योजना बना रही है।"

इन संपत्तियों को बेचने के औचित्य पर सवाल उठाते हुए चिदंबरम ने कहा, "ये संपत्तियां हमारे लिए राजस्व उत्पन्न करती हैं। वित्त मंत्री का कहना है कि इन संपत्तियों से 1.5 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे, लेकिन केंद्र इन संपत्तियों से होने वाले राजस्व का खुलासा क्यों नहीं कर रहा है। मेरा मानना ​​है कि ये संपत्ति फिलहाल करीब 1.3 लाख करोड़ रुपये कमा रही है। इसलिए, केवल 20,000 करोड़ रुपये के लाभ के लिए 70 वर्षों में बनाई गई संपत्ति को बेचने का कोई औचित्य नहीं है।" 

नीति आयोग द्वारा तैयार राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन में 2021-22 और 2024-25 के दौरान निजी कंपनियों को छह लाख करोड़ रुपये की सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्ति को बेचने या पट्टे पर देने की योजनाक है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार 23 अगस्त को राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन की घोषणा की थी। इसके तहत यात्री ट्रेन, रेलवे स्टेशन से लेकर हवाई अड्डे, सड़कें और स्टेडियम तक के मौद्रिकरण शामिल हैं। इन बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में निजी कंपनियों को शामिल करते हुए संसाधन जुटाए जाएंगे और संपत्तियों का विकास किया जाएगा।  

केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले महीने कहा था कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की अगले पांच साल में टोल ऑपरेटर ट्रांसफर के माध्यम से राजमार्गों का मौद्रिकरण कर एक लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना है। गडकरी ने कहा था कि एनएचएआई अगले पांच साल में टीओटी के मार्फत राजमार्गों का मौद्रिकरण कर एक लाख करोड़ रुपये जुटाना चाह रहा है। हमें शानदार प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। हमे विदेश के निवेशकों के साथ ही पेंशन कोषों से भी पेशकर प्राप्त हुई है।

वहीं सरकार की इस योजना का जमकर विरोध भी हो रहा है। कांग्रेस के अलावा टीएमसी प्रमुख व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन को चौंकाने वाला और दुर्भाग्यपूर्ण फैसला करार दिया था। ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि इन संपत्तियों को बेचने से मिले पैसों को इस्तेमाल चुनाव के दौरान विपक्षी दलों के खिलाफ किया जाएगा। बनर्जी ने कहा था, हम इस चौंकाने वाले और दुर्भाग्यपूर्ण फैसले की निंदा करते हैं। ये संपत्ति देश की है। ये न तो मोदी की संपत्ति है और नहीं भाजपा की। वे अपनी मर्जी से देश की संपत्ति नहीं बेच सकते। 

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