चार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस नहीं पहुंच पाई 28 के पार, यूपी में इस बार प्रियंका गांधी पर है सारा 'दारोमदार'

इस बार अंतर यह है कि यूपी कांग्रेस का संगठन बदला हुआ है। यूपी कांग्रेस की कमान पूरी तरह से प्रियंका गांधी के हाथों में है। वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद की जगह इस बार छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल हैं। वहीं अखिलेश यादव इस बार मंच शेयर करने के बदले कांग्रेस पर हमला बोलने की भूमिका में है।

Update: 2021-12-18 09:53 GMT

यूपी में कांग्रेस के प्रदर्शन का सारा दारोमदार प्रियंका गांधी की लोकप्रियता और रणनीति पर निर्भर है। 

यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हाल पर धीरेंद्र मिश्र की रिपोर्ट

UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सभी पार्टियां कमर कस चुकी हैं। जहां तक कांग्रेस ( Congress ) की बात है इस बार पार्टी को के बहतर परफार्मेंस के लिए सारा दारोमदार प्रियंका गांधी वाड्रा ( Priyanka Gandhi Vadra ) पर है। करीब तीन दशक से ज्यादा समय सत्ता में वापसी के लिए जूझ रही कांग्रेस को मुख्यधारा में लाने के लिए प्रियंका गांधी लोकसभा चुनाव के बाद से पार्टी को जमीन पर उतारने में जुटी हैं। हाथरस दुष्कर्म कांड, लखीमखीरी हत्याकांड, यूपी टेट पेपर लीक, बेरोजगारी के मुदृे पर वह योगी सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी हैं। लेकिन अहम सवाल यह है कि क्या कांग्रेस पिछले चार विधानसभा चुनावों से इस बार बेहतर प्रदर्शन कर पाएगी।

यह सवाल अहम इसलिए भी है कि 2017 विधानसभा में चुनाव ( UP Assembly Election 2022 ) में सपा और कांग्रेस ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार सपा प्रमुख अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav ) भी कांग्रेस पर लगातार हमला बोल रहे हैं। कांग्रेस पर हमला बोलने में वो एक मौका भी अपने हाथ नहीं जाने देते। उनका दावा तो यहां तक कि कांग्रेस इस बार जीरो पर आउट होने वाली है। मायावती ( Mayawati ) ने भी एक साथ चुनाव लड़ने को लेकर प्रिंयका के प्रस्ताव को लगभग ठुकरा चुकी हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए 2012 के चुनाव में 28 सीटों पर मिली जीत से आगे बढ़ पाना किसी चुनौती से कम नहीं है। बीजेपी के सत्ता वाले यूपी में चुनौती देने के लिए प्रियंका गांधी पुरजोर कोशिश कर रही हैं। प्रियंका गांधी लगातार योगी सरकार को निशाने पर ले रही हैं। साथ ही प्रियंका गांधी पसीना भी बहा रही हैं।

बेहतर परिणाम के लिए प्रियंका बहा रही हैं पसीना

इस बार अंतर यह है कि यूपी कांग्रेस का संगठन बदला हुआ है। कांग्रेस महासचिव होने के साथ यूपी कांग्रेस की कमान पूरी तरह से प्रियंका गांधी के हाथों में है। इस बार प्रियंका गांधी के सलाहकार या यूपी प्रभारी जो कह लें वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ( Gulam Nabi Azad  ) के बदले छत्तीगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ( CM Bhupesh Baghel ) हैं। प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर की जगह अजय कुमार लल्लू हैं। साथ ही संगठन में भी इस बार अधिकांश चेहरे नए हैं। इसके बावजूद कांग्रेस के लिए अपने प्रदर्शन में सुधार लाना आसान नहीं है। ऐसा इसलिए कि हाल हल में रायबरेली से एक विधायक अदिति सिंह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। युवा और ब्राह्मण नेता जितिन प्रसाद पहले ही कांग्रेस को झटका देकर योगी मंत्रिमंडल की शोभा बढ़ा रहे हैं। आगे भी कुछ नेता कांग्रेस को झटका दे सकते हैं।


एक नजर : पिछले 4 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के हाल पर

यूपी में कांग्रेस ( Congress ) तीन दशक दशक से ज्यादा समय से सत्ता में आने के लिए संघर्ष कर रही है। लेकिन पिछले चार चुनावों में से एक में भी कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई। पिछले चार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का सबसे बेहतर प्रदर्शन 2012 में रहा। यानि दस साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 403 में 28 सीटों पर जीत हासिल करने में सफल हुई थी। अब हम आपको बताते हैं पिछले चार विधानसभा चुनाव का हाल।

विधानसभा चुनाव 2017

साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 312 सीटें जीती थीं। समाजवादी पार्टी को 47, बसपा को 19 और कांग्रेस को 7 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। कांग्रेस से ज्यादा अनुप्रिया पटेल की Apna Dal Sonelal को 9 सीटों पर जीत मिली थी। अपना दल का एनडीए के साथ गठबंधन था।

विधानसभा चुनाव 2012

साल 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने यूपी में 224 सीटें जीती थीं। मायावती की पार्टी बीएसपी को 80 सीटों पर जीत मिली थीं। बीजेपी ने 47 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस इस चुनाव में 28 सीटें जीत पाई थीं। यूपीए के गठबंधन में आरएलडी ने 9 सीटें जीती थीं।

विधानसभा चुनाव 2007

साल 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें मायावती की पार्टी बसपा ने जीती थीं। बसपा को इस चुनाव में 206 सीटों पर जीत मिली थी। समाजवादी पार्टी इस चुनाव में 97 सीटें जीत पाई थीं। राजनाथ सिंह के लीडरशिप में बीजेपी ने 51 सीटें जीती थीं। वहीं कांग्रेस 22 सीटें जीत पाई थी।

विधानसभा चुनाव 2002

साल 2002 के विधानसभा चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा का परिणाम थी. इसमें समाजवादी पार्टी को 143, बीएसपी को 98, बीजेपी को 88, कांग्रेस को 25 और अजित सिंह की रालोद को 14 सीटें आई थीं। किसी भी पार्टी की सरकार न बनते देख पहले तो राष्ट्रपति शासन लगा. फिर बीजेपी और रालोद के समर्थन से तीन मई, 2002 को मायावती मुख्यमंत्री बन गईं।

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