Gujrat : चेहवाना मुवाडा के लोगोंं ने मोदी के विकास को दिखाया ठेंगा, मतदान का किया बहिष्कार, कहा - नो रोड नो वोट

Gujrat Chunav 2022 : गुजरात के चेहवाना मुवाडा गांव के लोगों का कहना है कि भले ही पीएम मोदी आजादी का अमृत महोत्वसव मना रहे हों पर आजादी के 75 साल बाद भी हमारा गांव सड़क मार्ग से नहीं जुड़ा है।

Update: 2022-11-25 05:24 GMT

Gujrat Chunav 2022 : गुजरात विधानसभा चुनाव ( Gujrat Assembly Electuon ) के पहले चरण में 89 सीटों पर चुनाव होना है। यानि मतदान ( Voting ) के अब चार दिन शेष रह गए हैं। ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए एक तरफ जहां सभी राजनीतिक दलों के लोग हरेक गांव और हरेक दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं, वहीं राज्य के कुछ गांव ऐसे हैं जो किसी भी राजनीतिक दल को अपने गांव में चुनाव प्रचार करने के लिए घुसने नहीं दे रहे हैं। इन गांव वालों ने 2022 के विधानसभा चुनाव का बहिष्कार ( boycott voting ) करने का ऐलान किया है।

दरअसल, गुजरात छोटे से अरावली जिले का चेहवाना मुवाडा ( Chehwana Muvada ) गांव एक ऐसा गांव है जो आजादी के 75 साल बाद भी सड़क मार्ग से नहीं जुड़ सका है। इससे आहत गांव के लोगों ने अपने गांव में चुनाव का प्रचार करने वालों का प्रवेश वर्जित ( Ban on election campaign ) कर दिया है। गांव वालों का कहना है कि जब तक गांव के लिए पक्की सड़क नहीं बनाई जाती, तब तक वे लोग वोट नहीं देंगे। ग्रामीणों ने 'नो रोड, नो वोट' का बैनर भी गांव के बाहर लगा दिया है। चौंकाने वाली बात यह है कि ये हाल मोदी के गुजरात में उस सयम है जब अटल बिहारी वापपेयी की सरकार ने ही देश के हर गांव को सड्क मार्ग से जोड़ने का फैसला लिया था। आठ साल से नरेंद्र मोदी ( PM Modi ) देश के पीएम हैं। इससे पहले वो लगातार 13 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसके बावजूद गुजरात के कुछ गांवों को सड़क मार्ग से जुड़ा न होना चौंकाने वाला है।

इमरजेंसी होने पर बजुर्गों को चारपाई पर टांग कर ले जाना पड़ता है




 चेहवाना मुवाडा ( Chehwana Muvada ) गांव की आबादी 200 की आबादी वाले इस छोटे से गांव में एक प्राइमरी स्कूल तो है लेकिन मुख्य सड़क से यहां तक आने के लिए तीन किलोमीटर की कच्ची सड़क है, जिस पर कई गड्ढे हैं। मेडिकल इमरजेंसी में बुजुर्गों को या बीमारों को लाने-ले जाने में काफी परेशानी होती है। मजबूरी में लोग चारपाई पर टांग कर उन्हें ले जाते हैं क्योंकि एम्बुलेंस वहां नहीं पहुंच सकता है। चार महीने की बरसात में यह गांव शहर से कट जाता है।

नर्मदा जिले के ओरी गांव के लोगों का भी यही हाल है। ओरी गांव भी सड़क मार्ग से अभी तक नहीं जुड़ा है, लेकिन गांव के लोगों का कहना है कि हमारे लिए सबसे बड़ी समस्या अवैध बालू उत्खनन और उसकी ढुलाई है। इससे इलाके के खेतों में रेत पसर जाता है, जिससे न सिर्फ उनकी फसल चौपट होती है बल्कि ट्रकों से होने वाली रेत की ढुलाई की वजह से उनके घरों में भी रेत धूल के रूप में पहुंच रहा है। इससे उनका स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

Gujrat Chunav 2022 : इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक यहां के ग्रामीणों ने भी मतदान का बहिष्कार ( boycott voting ) था। लोगों ने मतदान के बहिष्कार का ऐलान करते हुए गांव के बाहर उसका बैनर लगा दिया है। यहां भी ग्रामीण किसी भी प्रत्याशी को चुनाव प्रचार करने के लिए गांव में घुसने नहीं दे रहे हैं।

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