रामविलास पासवान की पहली पुण्यतिथि पर नहीं पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तेजस्वी ने चाचा को याद दिलाया शिष्टाचार
राजद नेता तेजस्वी यादव से जब नीतीश कुमार के न आने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में शामिल न होना उनका निजी फैसला है, लेकिन वो हम सबसे बड़े है, उन्हें शिष्टाचार दिखाना चाहिए.....
पटना। लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के संस्थापक रामविलास पासवान (Ramvilas Paswan) की पहली बरसी (First Anniversary) पर रविवार 12 अगस्त को पटना में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का आयोजन बेटे चिराग पासवान (Chirag Paswan) के श्रीकृष्णापुरी स्थित आवास पर हुआ, जिसमें बिहार के कई दलों के नेता रामविलास पासवान को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। लेकिन इस कार्यक्रम से सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दूरी बना ली। इसके अलावा जदयू की तरफ से किसी भी बड़े नेता के कार्यक्रम में शामिल नहीं होने से सूबे में राजनीतिक पारा बढ़ गया है। नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के द्वारा रामविलास पासवान को सोशल मीडिया पर डेढ़ लाइन की श्रद्धांजलि दी गई, जिसपर विपक्ष ने मुख्यमंत्री को शिष्टाचार का पाठ पढ़ा दिया।
राजद नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को याद दिलाया शिष्टाचार
कार्यक्रम में शामिल राजद नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) से जब नीतीश कुमार के न आने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में शामिल न होना उनका निजी फैसला है। लेकिन वो हम सबसे बड़े है, उन्हें शिष्टाचार दिखाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने रामविलास जी को श्रद्धांजलि देते हुए कई पन्नों में पत्र लिखा, पर मुख्यमंत्री जी ने श्रद्धांजलि भी एक लाइन में ही खत्म कर दिया।
रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने भी नीतीश कुमार के न आने पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि मुख्यमंत्री का कोई पत्र या संदेश उन्हें नहीं प्राप्त हुआ है।
अन्य विरोधी नेताओं का कहना- लोजपा के चिराग से मतभेद जरूर, पर मनभेद नहीं
आपको बता दें कि रामविलास पासवान के पहले बरसी के लिए उनके बेटे चिराग पासवान ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत बिहार के तमाम पार्टियों के नेताओं को निमंत्रण भेजा था। बरसी कार्यक्रण में श्रद्धांजलि देने पहुंचे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने चिराग पासवान को आगे बढ़ने का आशीर्वाद दिया। उन्होंने यह भी कहा कि रामविलास पासवान दलित समाज के नेता थे, उनके साथ रातनीतिक मतभेद जरूर था, पर किसी प्रकार का मनभेद नहीं था।
वहीं, कार्यक्रम में पहुंची बिहार की उप मुख्यमंत्री रेणु देवी ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि रामविलास पासवान के साथ हमनें मिलकर बिहार के विकास के लिए काम किया है। लेकिन, मुख्यमंत्री के शामिल होने के सवाल पर रेणु देवी ने चुप्पी साध ली।
कार्यक्रम में श्रद्धांजलि देने के लिए कई और बड़ी हस्तियां भी पहुंचे, जिसमें राज्यपाल फागू चौहान, केंद्रीय गृह मंत्री नित्यानंद राय, विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा आदि जैसे नाम शामिल हैं। इसके अलावा चिराग पासवान पर सैंकड़ों कार्यकर्ताओं ने भी अपने नेता रामविलास पासवान को श्रद्धांजलि सुमन अर्पित किया।
दुख के मौके पर एकजुट नजर आया पासवान परिवार
आपको बता दें कि रामविलास पासवान के बेटे और छोटे भाई पशुपति पारस के बीच पार्टी को लेकर चल रहे विवाद के बीच कार्यक्रम में चाचा-भतीजा साथ नजर आए। पशुपति पारस समय से पहले ही कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज कराने पहुंचे और संपूर्ण पूजा विधि के दौरान भतीजे चिराग के आसपास ही नजर आए। पशुपति पारस ने कहा कि चिराग उन्हें नहीं बुलाते, वह फिर भी अपने भाई को श्रद्धांजलि देने जरूर आते।
रामविलास पासवान के निधन के बाद यह पहला मौका था जब पूरा परिवार एक छत के नीचे नजर आया। बरसी पूजा के दौरान चिराग की मां राजकुमारी देवी, बड़ी मां, चाची, बहन-बहनोई समेत अन्य सदस्य मौजूद रहे। हालांकि, चिराग के चचेरे भाई और समस्तीपुर सांसद प्रिंस राज कार्यक्रम में नहीं नजर आए।
चिराग ने पिता को राजकीय सम्मान देने का किया आग्रह
कार्यक्रम में मीडिया से बातचीत के दौरान चिराग पासवान ने कहा कि पिताजी ने अपने जीवन के अहम 50 साल सक्रिय राजनीति में योगदान देकर बिताया। राज्य सरकार के तरफ से उन्हें सम्मान मिलना चाहिए, इसके अलावा उनकी पुण्यतिथि को राष्ट्रीय शोक के तौर पर मनाया जाए। राज्य में रामविलास पासवान की प्रतिमा लगाई जानी चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी को उनके जीवन से मार्गदर्शन प्राप्त हो सके। गौरतलब है कि इससे पहले राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी रामविलास पासवान और आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद की प्रतिमा राज्य में लगवाने की मांग कर चुके हैं।