कांग्रेस नेत्री ने राहुल के जन्मदिन पर लिखा 'निराशा और नाउम्मीदी के दौर में हिंदुस्तान की एक मात्र उम्मीद हैं राहुल गांधी'
सुप्रिया कहती हैं, निराशा और नाउम्मीदी के दौर में हिंदुस्तान की एक मात्र उम्मीद हैं राहुल गांधी। आज उनके हौंसले की हवा से भ्रष्टाचार के बरगद की जड़ कांप रही है। देश लूटने वालों की आंखों से नींद गायब है, तानाशाह को उसके किए कुकर्मों का भय सता रहा है...
Rahul Gandhi Birthday : कांग्रेस नेत्री और प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने राहुल गांधी के जन्मदिन पर उन्हें बधाई देते हुए ट्वीटर पर एक नोट शेयर किया है। सुप्रिया लिखती हैं, उसके लिए क्या कहूँ जो रोज़ मुझको अन्याय के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए प्रेरित करता है? जो रोज़ मुझे एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करता है? जो अपने ख़िलाफ़ हर षड्यंत्र और नफ़रत के बाद भी मोहब्बत की बात करता है? जिसको अपना लीडर, अपना भाई कहने पर गर्व है मुझको।
सोचा वो लिखूँ जो मैं सोचती हूँ और मेरे जैसे इस देश के करोड़ों लोग सोचते हैं आपके बारे में राहुल जी। सियासत में राहुल गांधी होना सबके बस की बात नहीं है। नफ़रत और विभाजन के इस दौर में सच का परचम थामे सत्याग्रह का दूसरा नाम और साहस के पर्याय हैं राहुल गांधी।
सुप्रिया कहती हैं, निराशा और नाउम्मीदी के दौर में हिंदुस्तान की एक मात्र उम्मीद हैं राहुल गांधी। आज उनके हौंसले की हवा से भ्रष्टाचार के बरगद की जड़ कांप रही है। देश लूटने वालों की आंखों से नींद गायब है, तानाशाह को उसके किए कुकर्मों का भय सता रहा है।
ये राहुल गांधी की शख्सियत का ही कमाल है कि जब कायर तानाशाह को लगा था कि उन पर ज़ुल्म और ज़्यादती करके उन्हें डरा देंगे - तो उल्टा हो गया। सत्ता के हर जुल्म के बाद राहुल लगातार निखर रहे हैं, उभर रहे हैं। क्योंकि राहुल 'मन की बात' करने के बजाए 'जन की बात' सुनते हैं। उनके दिल में हिंदुस्तान धड़कता है।
उनके ऊपर मनगढ़ंत आरोप लगाने वाले शायद यह समझ ही नहीं पाये कि वो फ़ौलाद हैं, हर प्रहार उनको अपनी लड़ाई के लिए और प्रतिबद्ध करता है, इरादों को और मज़बूत करता है। वो आपसे और शिद्दत से लड़ेंगे, आपकी घिनौनी विचारधारा से - बिना आप पर व्यक्तिगत हमले, बिना अपने दिल में ज़रा सी भी नफ़रत और ग़ुस्सा लिए।
पर उनके विपक्षियों को आख़िर राहुल गांधी से तकलीफ़ क्या है? इसका सिर्फ़ एक जवाब है। सालों से उनपर हमला किया मगर वो टूटे नहीं, रुके नहीं, झुके नहीं। उनकी आंखों की निडरता समय के साथ और प्रखर होती गई और उनमें अब एक नया संकल्प साफ़ झलकता है।
वो अकेले ऐसे नेता हैं जो सत्ता से लोहा ले रहे हैं, अकेले ऐसे नेता जिन्होंने किसी भी वक़्त सत्ता से किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया। वो उस तंत्र से लड़ रहे हैं - जिसके पास बेशुमार पैसा है, मीडिया है, एजेंसियाँ हैं, जो निरंकुश है, बर्बर है।
लेकिन वक्त बदलने के लिये और सत्ता को घुटने टिकाने के लिए एक ही आदमी की ज़रूरत होती है - वो एक आदमी जो आँख में आँख डाल कर प्रतिकार कर दे। जो उद्घोष कर दे, मैं किसी से नहीं डरता और मैं हर क़ीमत चुकाने के लिए तैयार हूँ।
पर राहुल गांधी के अंदर एक बेहद कोमल मन भी है - जो बेझिझक ग्रीस के दाग से सने मिकैनिक को गले लगा लेता है, जो ट्रक ड्राइवर की व्यथा सुन कर चुप हो जाता है, जो यूनिवर्सिटी के छात्रों की बातें तल्लीनता से सुनता है, जिसके सामने एक औरत के आंसुओं का बांध टूट जाता है, जो बच्चों को कभी गले लगा लेता है कभी उनको कंधों पर बिठा कर चल पड़ता है।
वो ज़िद्दी हैं - बहुत ज़िद्दी। इस देश को जोड़ने की ऐसी ज़िद की कि फिर 4000 किलोमीटर कन्याकुमारी से कश्मीर पैदल ही नाप दिये। उन दो जोड़ी कपड़ों में हुई भारत जोड़ो यात्रा और जनता से संवाद का सिलसिला लगातार जारी है। देश के किसानों, मज़दूरों, यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले युवाओं, सिविल सेवा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों, महिलाओं और ट्रक चालकों के साथ चलकर, समय बिताकर, बातें करके राहुल लगातार समस्याओं के समाधान की तलाश कर रहे हैं। कभी डिलीवरी पार्टनरों ,कभी बस में आम नागरिकों से तो कभी आधी रात को ट्रक के ड्राइवरों से मिलकर राहुल उनकी दुश्वारियों को जानना चाहते हैं।
आज जब इस युग में नेता सत्ता के मद में लोगों से बहुत दूर हो चुके हैं, वहाँ राहुल गांधी लोगों की बातें सुनने को तैयार हैं - और सच यह है कि सुनना बोलने से कहीं ज़्यादा कठिन होता है। सत्य, साहस और बलिदान राहुल गांधी की विरासत है, और यही उनकी ताकत भी।
सुप्रिया लिखती हैं, 'राहुल जी आपकी ताक़त, हिम्मत और हौसले को सलाम। उम्मीदों के चिराग़ रौशन रहें - और सच का सूरज जगमगाता रहे। आज का दिन और आने वाला वक्त मुबारक हो!'